1 % काम के घंटे बढ़ाने से 1.7% जीडीपी में होगा इजाफा: आर्थिक सलाहकार परिषद

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (17 फरवरी 2025): भारत में काम के घंटे बढ़ाने से जीडीपी में 1.7% की वृद्धि हो सकती है, ऐसा हाल ही में आर्थिक सलाहकार परिषद द्वारा प्रस्तुत की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है। इस अध्ययन के अनुसार, यदि लोग अपने कार्य घंटे 1% भी बढ़ाते हैं, तो इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट में कहा गया है कि फिलहाल भारत में प्रति सप्ताह औसतन 42 घंटे काम किया जा रहा है। हालांकि, कई विकसित देशों में यह आंकड़ा अधिक है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि यदि लोग औसतन 70 घंटे प्रति सप्ताह काम करें, तो भारत उच्च आय वाले देशों की श्रेणी में शामिल हो सकता है। अध्ययन के अनुसार, बड़े राज्यों में जीडीपी वृद्धि दर 3.7% तक जा सकती है, जबकि छोटे राज्यों में यह वृद्धि 1.8% तक सीमित रह सकती है। खासतौर पर, गुजरात में 7.2% लोग पहले से ही 70 घंटे तक काम कर रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि लंबे कार्य घंटे आर्थिक विकास में योगदान कर सकते हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि शहरी क्षेत्रों में लोग ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक काम कर रहे हैं। शहरों में औसतन 7.8 घंटे जबकि गांवों में 6.65 घंटे प्रतिदिन काम किया जाता है। राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 8.55 घंटे तक जाता है, जो देश के अन्य हिस्सों की तुलना में अधिक है। राज्यवार विश्लेषण के अनुसार, दिल्ली में औसतन 8.3 घंटे तक काम किया जाता है, जबकि गोवा में यह 5.5 घंटे ही है। वहीं, दमन और दीव में सबसे अधिक 11.1 घंटे काम किया जाता है, जो देश में सबसे ऊंचा है।

रिपोर्ट बताती है कि खेती से ज्यादा नौकरियों में लंबा समय दिया जा रहा है। मैन्‍युफैक्चरिंग, आईटी, टेलीकॉम और परिवहन क्षेत्र में लोग औसतन अधिक समय तक काम करते हैं, जबकि कृषि क्षेत्र में यह समय अपेक्षाकृत कम होता है। आर्थिक सलाहकार परिषद का मानना है कि अगर सरकार काम के घंटे बढ़ाने को प्रोत्साहित करे, तो भारत की अर्थव्यवस्था और तेज़ी से आगे बढ़ सकती है। वर्तमान में, भारत मध्यम आय वर्ग के देशों में शामिल है, लेकिन उच्च कार्य घंटे इसे उच्च आय वर्ग के देशों की सूची में शामिल कर सकते हैं।

सामाजिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो सामान्य वर्ग के लोग अपेक्षाकृत कम, जबकि एससी/एसटी और ओबीसी समुदाय के लोग अधिक घंटे काम कर रहे हैं। ओबीसी समुदाय के लोग औसतन 6.6 घंटे, एससी समुदाय के लोग 6.9 घंटे और एसटी समुदाय के लोग 6.6 घंटे काम करते हैं। विभिन्न व्यवसायों में भी कार्य घंटों में अंतर देखने को मिलता है। निजी क्षेत्र में काम करने वाले लोग सरकारी कर्मचारियों की तुलना में अधिक घंटे काम कर रहे हैं। सरकारी कर्मचारियों की औसत कार्य अवधि 7.1 घंटे है, जबकि निजी क्षेत्र के कर्मचारी 7.6 घंटे प्रतिदिन काम करते हैं।

महिलाओं और पुरुषों के काम करने के समय में भी अंतर है। रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में महिलाएं पुरुषों की तुलना में 2 घंटे कम काम करती हैं। औसतन, महिलाएं 5.3 घंटे जबकि पुरुष 7.3 घंटे काम करते हैं। शहरी इलाकों में भी यह अंतर 1.5 घंटे का है। कार्य संस्कृति को लेकर आर्थिक सलाहकार परिषद का मानना है कि यदि भारत को विकसित राष्ट्र बनना है, तो कार्य घंटे बढ़ाने पर विचार करना होगा। कई विकसित देशों में लोग 10 से 12 घंटे प्रतिदिन तक काम करते हैं, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि बढ़े हुए कार्य घंटों से आर्थिक लाभ तभी मिलेगा जब लोगों की उत्पादकता भी बढ़ेगी। इसलिए, कंपनियों को कर्मचारियों के कौशल विकास और कार्यस्थल पर सुविधाओं को भी बेहतर बनाने की जरूरत है। भारत में कई राज्यों में लंबे कार्य घंटे वाली संस्कृति पहले से मौजूद है। उदाहरण के तौर पर, राजस्थान, झारखंड, बिहार और गुजरात में औसत कार्य घंटे अधिक हैं। इन राज्यों में बेहतर कार्य संस्कृति के चलते आर्थिक विकास भी तेज़ी से हो रहा है।

कुल मिलाकर, आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट यह दर्शाती है कि अगर लोग अपने कार्य घंटे बढ़ाते हैं, तो यह न केवल देश की जीडीपी बल्कि उनके व्यक्तिगत विकास के लिए भी लाभकारी साबित होगा। सरकार और उद्योगों को इस दिशा में नीतिगत सुधार करने की आवश्यकता है, ताकि भारत की अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिले। यह अध्ययन बताता है कि कार्य घंटों में मामूली वृद्धि भी आर्थिक विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है। हालाँकि, इसके साथ ही कार्य-जीवन संतुलन और उत्पादकता पर भी ध्यान देना आवश्यक है।।


प्रिय पाठकों एवं दर्शकों, प्रतिदिन नई दिल्ली, दिल्ली सरकार, दिल्ली राजनीति, दिल्ली मेट्रो, दिल्ली पुलिस, दिल्ली नगर निगम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र की ताजा एवं बड़ी खबरें पढ़ने के लिए hindi.tennews.in : हिंदी न्यूज पोर्टल को विजिट करते रहे एवं अपनी ई मेल सबमिट कर सब्सक्राइब भी करे। विडियो न्यूज़ देखने के लिए TEN NEWS NATIONAL यूट्यूब चैनल को भी ज़रूर सब्सक्राइब करे।


Discover more from टेन न्यूज हिंदी

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

टिप्पणियाँ बंद हैं।