यमुना प्राधिकरण बजट खर्च में कमी, भूमि अधिग्रहण पर 6063 करोड़ रु. का खर्च नहीं हो सका
टेन न्यूज नेटवर्क
ग्रेटर नोएडा (15 फरवरी 2025): यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) के लिए वित्त वर्ष 2024-25 में भारी बजट आवंटन के बावजूद जमीन अधिग्रहण पर खर्च करने में भारी कमी आई है। यद्यपि इस वित्त वर्ष में कुल 9,957 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया गया था, जिसमें से सबसे अधिक 6,063 करोड़ रुपये भूमि अधिग्रहण के लिए आवंटित थे, लेकिन अब तक इसका एक बड़ा हिस्सा खर्च नहीं हो सका है।
प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि अधिकांश योजनाओं का दारोमदार भूमि की उपलब्धता पर है, और जब तक ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक इन योजनाओं को कार्यान्वित करना मुश्किल है। भूमि अधिग्रहण के संबंध में अब तक की प्रक्रिया सुस्त रहने के कारण कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में देरी हुई है। इस स्थिति में, प्राधिकरण अब आगामी बोर्ड बैठक में बजट पुनरीक्षण का प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में बजट का आवंटन
यमुना प्राधिकरण ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 9,957 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था, जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा भूमि अधिग्रहण के लिए था। हालांकि, इस बजट का अधिकांश हिस्सा अभी तक खर्च नहीं किया जा सका है। इसके अलावा, औद्योगिक और आवासीय परियोजनाओं के लिए अन्य श्रेणियों में भी ज़मीन की उपलब्धता को लेकर समस्याएँ आई हैं।
भूमि अधिग्रहण में देरी, औद्योगिक नीति का इंतजार
यमुना प्राधिकरण की ज़मीन अधिग्रहण योजना में भी काफी देरी रही है। यह वर्ष औद्योगिक नीति के निर्धारण का इंतजार करते हुए ही समाप्त हो गया। औद्योगिक भूमि योजना भी इस नीति के अनुसार तय होनी थी, लेकिन नीति के निर्धारण में देरी के कारण इस क्षेत्र में भी कोई ठोस प्रगति नहीं हो सकी। ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में यमुना क्षेत्र में निवेश के लिए 1.26 लाख करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्ताव आए थे, जिससे यह उम्मीद जताई जा रही थी कि औद्योगिक विकास में तेजी आएगी। लेकिन नीति तय न होने के कारण निवेश की दिशा में कोई बड़ा कदम नहीं उठाया जा सका।
भूखंड योजना में नाकामी
इस वर्ष की भूखंड योजना भी विशेष सफलता प्राप्त नहीं कर पाई। खासकर औद्योगिक भूखंडों और अन्य श्रेणियों के लिए आवेदन में कमी देखी गई। जबकि आवासीय भूखंड योजना में बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त हुए, बिल्ट-अप हाउसिंग स्कीम में काफी कम रुचि दिखाई दी। ग्रुप हाउसिंग, विश्वविद्यालय, और होटल जैसे विकासात्मक प्रोजेक्ट्स के लिए आवेदन नहीं आ सके। यह स्थिति प्राधिकरण के लिए चिंता का कारण बन गई है, और अब इसे पुनः अपनी योजनाओं का मूल्यांकन करने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
अंतरिम कदम और भविष्य की योजनाएं
प्राधिकरण को भूमि अधिग्रहण पर खर्च के लिए सरकार से 3,000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण भी प्राप्त हुआ था, जबकि बाकी राशि प्राधिकरण को अपनी विभिन्न स्रोतों से जुटानी थी। इसके लिए प्राधिकरण ने HUDCO से अनुबंध भी किया था, लेकिन भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में गति नहीं आई। अब, प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि आगामी बोर्ड बैठक में भूमि अधिग्रहण के बजट में संशोधन और औद्योगिक भूमि नीति पर चर्चा की जाएगी।
जमीन अधिग्रहण पर निर्धारित 6,063 करोड़ रुपये का बजट अब तक खर्च नहीं हो सका है, और आने वाले महीनों में प्राधिकरण को अपनी नीति और योजनाओं में बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है। भूमि उपलब्धता और औद्योगिक नीति के निर्धारण में देरी ने प्राधिकरण की योजनाओं की गति को प्रभावित किया है। आगामी बोर्ड बैठक में उम्मीद है कि बजट में पुनरीक्षण किया जाएगा और औद्योगिक विकास के लिए नई नीति को मंजूरी दी जाएगी।
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