नई दिल्ली (13 फरवरी, 2025): वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर संसद में घमासान मचा हुआ है। आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट को पूरी तरह नजरअंदाज कर लोकतंत्र का मजाक बनाया है।
राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान संजय सिंह ने कहा, “मैं वक्फ बोर्ड पर बनी जेपीसी का सदस्य था। हमने रिपोर्ट में अपना पक्ष रखा और अपनी असहमति दर्ज कराई, लेकिन भाजपा सरकार ने उसे पूरी तरह कूड़ेदान में डाल दिया। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है। अगर आज वक्फ की संपत्तियों पर कब्जा करने के लिए कानून लाया जा रहा है, तो कल गुरुद्वारे, मंदिरों और चर्चों की जमीनें भी अपने उद्योगपति मित्रों को देने के लिए बिल लाया जाएगा।”
आप नेता ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि विविधता में एकता भारत की पहचान है और हर धर्म के लोगों को अपनी मान्यताओं के अनुसार पूजा-अर्चना का अधिकार है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार धार्मिक संपत्तियों को निशाना बनाकर अपने करीबी उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाना चाहती है।
संजय सिंह ने सवाल उठाया कि अगर लोकतंत्र में सभी पार्टियों को अपनी राय देने का अधिकार है, तो फिर विपक्ष के विरोध को क्यों अनदेखा किया गया? उन्होंने चेतावनी दी कि इतिहास भाजपा को इसके लिए माफ नहीं करेगा। उन्होंने कहा, “हमने जेपीसी रिपोर्ट में अपना विरोध दर्ज कराया था, लेकिन भाजपा सरकार ने इसे कूड़ेदान में डाल दिया। अगर सरकार इसी तरह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को दरकिनार करेगी, तो आने वाले समय में इससे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को गहरा आघात पहुंचेगा।”
विपक्षी दलों का कहना है कि यह विधेयक सिर्फ वक्फ संपत्तियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भविष्य में अन्य धार्मिक संपत्तियों को भी निशाना बनाया जा सकता है। आम आदमी पार्टी के अलावा कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भी इस विधेयक का विरोध किया है और सरकार पर अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।
राज्यसभा में इस मुद्दे पर बहस के दौरान सरकार की ओर से यह तर्क दिया गया कि संशोधन विधेयक का उद्देश्य केवल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक पारदर्शी बनाना है, लेकिन विपक्ष का कहना है कि यह एक सुनियोजित साजिश है। संजय सिंह ने कहा कि अगर सरकार को पारदर्शिता की इतनी चिंता होती, तो जेपीसी रिपोर्ट में विपक्ष की आपत्तियों को शामिल किया जाता।।
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