विश्व पुस्तक मेला 2025: साहित्य, संस्कृति और विचारों का महासंगम | टेन न्यूज विशेष
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (10 फरवरी 2025): नई दिल्ली के प्रतिष्ठित भारत मंडपम (प्रगति मैदान) में 1 से 9 फरवरी 2025 तक विश्व पुस्तक मेला 2025 का शानदार आयोजन हुआ। इस भव्य आयोजन में न केवल पुस्तकों का महोत्सव हुआ, बल्कि यह भारत की साहित्यिक विरासत, सांस्कृतिक विविधता और ज्ञान के आदान-प्रदान का प्रमुख मंच भी बना। नेशनल बुक ट्रस्ट (NBT) द्वारा आयोजित इस मेले की इस बार की थीम “हम, भारत के लोग…” रखी गई, जो भारतीय संविधान की प्रस्तावना से प्रेरित है। इस विषय के माध्यम से भारतीय गणतंत्र के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में देश की लोकतांत्रिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक विविधता को उत्सव के रूप में मनाने का प्रयास किया गया।
पुस्तक मेलों का इतिहास और साहित्यिक योगदान
भारत में पुस्तक मेलों की परंपरा सैकड़ों वर्षों पुरानी है। प्राचीन भारत में भी पांडुलिपियों और ग्रंथों के आदान-प्रदान की परंपरा रही है। आधुनिक युग में 15वीं शताब्दी में गुटेनबर्ग द्वारा मुद्रण तकनीक के विकास के बाद यूरोप में पुस्तक मेलों का चलन बढ़ा। भारत में 1972 में पहली बार दिल्ली के प्रगति मैदान में विश्व पुस्तक मेले का आयोजन किया गया, जो समय के साथ साहित्यिक संवाद और सांस्कृतिक समन्वय का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया।
विश्व पुस्तक मेला 2025 के प्रमुख आकर्षण
इस वर्ष मेले का आयोजन पहले से भी अधिक व्यापक और आधुनिक रूप में रहा। इसमें 50 से अधिक देशों के प्रकाशक और लेखक भाग लिए, जो वैश्विक साहित्य को एक मंच पर लेकर आए। इस बार थीम मंडप (हॉल 5) को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन, अहमदाबाद द्वारा विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया, जिसमें भारतीय गणराज्य के आदर्शों को प्रदर्शित किया गया। अंतर्राष्ट्रीय फोकस मंडप (हॉल 4) में ‘रूस से आई किताबें’ नामक प्रदर्शनी लगाई गई, जो रूस की समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित किया।
लेखक कॉर्नर और लेखक मंच में प्रमुख साहित्यकारों, कवियों और अनुवादकों के साथ संवाद के कार्यक्रम आयोजित किए गए। बच्चों के मंडप (हॉल 6) में विशेष रूप से कथावाचन, लेखन कार्यशालाएँ और रचनात्मक गतिविधियाँ आयोजित की गई। दिव्यांगजन के लिए ‘सभी के लिए पुस्तकें’ नामक पहल के तहत ब्रेल पुस्तकों का निशुल्क वितरण किया गया। वहीं, सांस्कृतिक मंच पर हर शाम 6 से 8 बजे तक सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ आयोजित की गई, जिनमें भारतीय लोककला, नाट्य प्रदर्शन और संगीत कार्यक्रम शामिल रहे।
साहित्यिक संवाद और सांस्कृतिक विविधता का संगम
विश्व पुस्तक मेला 2025 केवल पुस्तकों की खरीद-बिक्री का मंच नहीं बना, बल्कि यह साहित्यिक संवाद और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का केंद्र भी बना। यहाँ भारतीय भाषाओं और विदेशी साहित्य को एक साथ प्रस्तुत किया गया, जिससे पाठकों को विभिन्न संस्कृतियों से परिचित होने का अवसर मिला। अनुवादित पुस्तकों के माध्यम से भारतीय साहित्य को वैश्विक स्तर पर पहुँचाने का भी प्रयास किया गया। इस मेले में विभिन्न देशों के लेखक, विद्वान और साहित्यकार अपने विचार साझा किए, जिससे वैश्विक साहित्यिक दृष्टिकोण को बढ़ावा मिला।
तकनीकी नवाचार और डिजिटल युग में पुस्तक मेला
तकनीकी विकास के साथ, पुस्तक मेले में ई-बुक्स, ऑडियोबुक्स और वर्चुअल प्लेटफॉर्म को भी शामिल किया जा रहा है। इस वर्ष पहली बार वर्चुअल बुक फेयर का आयोजन किया गया, जिससे वे पाठक भी जुड़ पाए जो व्यक्तिगत रूप से मेले में उपस्थित नहीं हो सके। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और वर्चुअल रियलिटी (VR) जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया, जिससे पाठक डिजिटल रूप से पुस्तकों का अनुभव ले सके।
प्रकाशन उद्योग और साहित्यिक बाजार पर प्रभाव
पुस्तक मेला प्रकाशन उद्योग के लिए भी एक महत्वपूर्ण आर्थिक मंच प्रदान करता है। यहाँ सैकड़ों नई पुस्तकों का विमोचन किया जाता है, जिससे लेखकों और प्रकाशकों को अपने कार्यों को व्यापक रूप से प्रचारित करने का अवसर मिलता है। पुस्तक मेले के दौरान विशेष छूट और ऑफर के चलते पुस्तक विक्रय में वृद्धि होती है, जिससे साहित्यिक उद्योग को आर्थिक मजबूती मिलती है।
नवोदित लेखकों और पाठकों के लिए सुनहरा अवसर
यह मेला नए और उभरते लेखकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ। विशेष रूप से रचनात्मक लेखन कार्यशालाएँ, युवा लेखकों के विमोचन सत्र और प्रकाशकों के साथ संवाद आयोजित किए गए, जिससे नवोदित लेखक अपनी पहचान बना सकेंगे। इसके अलावा, साहित्यिक प्रतियोगिताएँ और पैनल चर्चाएँ पाठकों को नए विचारों और विषयों से जोड़ेंगी।
भविष्य की संभावनाएँ और वैश्विक साहित्यिक संवाद
विश्व पुस्तक मेला 2025 केवल भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक संवाद को बढ़ावा दिया। विदेशी लेखकों और प्रकाशकों की भागीदारी के चलते वैश्विक साहित्यिक परिदृश्य में भारत की मजबूत उपस्थिति स्थापित हुई। विभिन्न भाषाओं के साहित्य के अनुवाद से साहित्यिक सीमाएँ धुंधली हुई, जिससे सांस्कृतिक समन्वय को बल मिलेगा।
विश्व पुस्तक मेला 2025 साहित्य प्रेमियों, लेखकों, प्रकाशकों और पाठकों के लिए एक अनूठा अवसर साबित हुआ। यह मेला केवल पुस्तकों का संगम नहीं, बल्कि साहित्यिक चेतना, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और पठन-संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रमुख मंच बना। डिजिटल युग में भी यह मेला साहित्य और पुस्तकों के प्रति प्रेम को जीवंत बनाए रखने का कार्य किया।।
रंजन अभिषेक (टेन न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली)
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