नई दिल्ली (9 फरवरी 2025): दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार निर्दलीय समेत 80% उम्मीदवारों को करारी हार का सामना करना पड़ा, जिससे उनकी जमानत जब्त हो गई। 699 उम्मीदवारों में से 555 (79.39%) अपनी जमानत नहीं बचा सके। कांग्रेस के लिए यह चुनाव बेहद निराशाजनक रहा, क्योंकि पार्टी के केवल तीन उम्मीदवार ही अपनी जमानत बचाने में सफल रहे, जबकि 67 की जमानत जब्त हो गई।
कभी दिल्ली की सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस का लगातार तीसरी बार खाता नहीं खुल सका। पार्टी ने सभी 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन केवल कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त, नांगलोई जाट से रोहित चौधरी और बादली से देवेंद्र यादव अपनी जमानत बचाने में सफल रहे। दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी, भाजपा और उसके सहयोगी दलों जद (यू) और लोजपा (रामविलास) के सभी उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में सफल रहे।
कांग्रेस के खराब प्रदर्शन ने पार्टी नेतृत्व के सामने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। 2013 तक तीन बार लगातार दिल्ली की सत्ता पर काबिज रहने वाली कांग्रेस अब लगातार तीसरे चुनाव में एक भी सीट जीतने में नाकाम रही। इस निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी में आत्ममंथन की जरूरत बताई जा रही है, ताकि भविष्य में वापसी की रणनीति तैयार की जा सके।
चुनाव में हारने वाले उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने का कारण जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत तय होता है। इसके अनुसार, अगर किसी उम्मीदवार को कुल वैध मतों के छठे हिस्से से कम वोट मिलते हैं, तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है। सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए यह जमानत राशि 10,000 रुपये, जबकि अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए 5,000 रुपये होती है।
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