“हम भी हिंदुस्तानी”: दिल्ली चुनाव में पहली बार वोट डालकर भावुक हुए हिंदू शरणार्थी
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (6 फरवरी 2025): लोकतंत्र के इस महापर्व में दिल्ली विधानसभा चुनाव में पहली बार पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों ने भी अपनी भागीदारी निभाई। जैसे ही उनकी उंगली पर भारतीय लोकतंत्र की अमिट स्याही लगी, उनकी आंखें खुशी से नम हो गईं। ये वह लोग हैं जो सालों तक अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे और अब पहली बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं।
दिल्ली के मजनू का टीला कैंप में रहने वाले लगभग 200 हिंदू शरणार्थियों को अब तक भारतीय नागरिकता मिल चुकी है। इनमें से कई ने बुधवार को पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग किया। हिंदू शरणार्थी धर्मबीर बागड़ी ने कहा, कि “हमने बहुत संघर्ष किया है। हमें मतदान का अधिकार मिलना एक बड़ी जीत है। अब हमें उम्मीद है कि बाकी शरणार्थियों को भी जल्द नागरिकता मिल जाएगी।”
पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आए रामचंद्र ने मतदान के बाद कहा,
“हमने पाकिस्तान में बहुत यातनाएं सही हैं। न सरकार हमारी सुनती थी, न अदालतें। लेकिन आज हमें गर्व है कि भारत ने हमें अपना लिया है। मतदान करके ऐसा लगा जैसे हमारी आवाज को ताकत मिल गई हो।” बीते 11 वर्षों से भारत में संघर्ष कर रहे इन शरणार्थियों के सामने कई चुनौतियां थीं जैसे नागरिकता की अनिश्चितता, बुनियादी सुविधाओं की कमी और पुनर्वास की चिंता। नैनावंती, जो वर्षों से मजनू का टीला कैंप में रह रही हैं, ने कहा, कि “पहले हमें डर था कि हमें यहां से निकाल दिया जाएगा। लेकिन अब हमें उम्मीद है कि सरकार हमारी समस्याओं का समाधान करेगी।”
फरीदाबाद से आईं मैंना ने भी पहली बार वोट डालने का अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा, कि “जब मैं मतदान केंद्र में गई, तो मुझे नहीं पता था कि वोट कैसे डालना है। लेकिन जब बटन दबाया, तो मुझे लगा कि अब मेरी भी आवाज है।” वहीं एक और मतदाता रेशमा , जो पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत आईं थीं, ने कहा, कि “मैंने अपने जीवन में पहली बार मतदान किया है। यह सिर्फ एक उम्मीदवार को चुनने का सवाल नहीं था, बल्कि अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने का अवसर था।”
पिछले कुछ वर्षों में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के तहत हिंदू शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी गई है। यह चुनाव उनके लिए सिर्फ मतदान करने का मौका नहीं था, बल्कि एक नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक भी था।
अब जब ये हिंदू शरणार्थी भारतीय नागरिक बन चुके हैं, तो क्या सरकार उनकी बाकी समस्याओं को हल करेगी? बिजली, पानी, स्वास्थ्य सुविधाएं और स्थायी पुनर्वास जैसे मुद्दों पर सरकार की नीतियां ही इनके भविष्य का निर्धारण करेंगी। लेकिन फिलहाल, उनके लिए सबसे बड़ी जीत यही है कि वे अब सिर्फ ‘शरणार्थी’ नहीं, बल्कि ‘हिंदुस्तानी’ हैं।
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