GREATER NOIDA News (14/12/2025): ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-27 स्थित एक प्रमुख आवासीय परियोजना को लेकर उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण (UP RERA Tribunal) ने कड़ा रुख अपनाया है। न्यायाधिकरण ने परियोजना के प्रमोटर को निर्देश दिए हैं कि वह 45 दिनों के भीतर फ्लैट खरीदारों को निर्माण में देरी के लिए निर्धारित ब्याज का भुगतान करे और टाउनशिप के मास्टर क्लब व गोल्फ कोर्स के नाम पर वसूली गई राशि वापस करे।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार (अध्यक्ष) और रामेश्वर सिंह (प्रशासनिक सदस्य) की खंडपीठ द्वारा पारित किया गया। ट्रिब्यूनल ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रमोटर को पंजीकृत त्रिपक्षीय सब-लीज डीड में मौजूद कमियों को दूर करने के लिए करेक्शन डीड निष्पादित करानी होगी, ताकि खरीदारों को सही और पूरी जानकारी उपलब्ध हो सके।
न्यायाधिकरण ने 100 एकड़ में विकसित गोडरेज गोल्फ लिंक टाउनशिप के अंतर्गत आने वाले गोडरेज क्रेस्ट रेजिडेंशियल क्लस्टर की प्रमोटर कंपनी एआर लैंडक्राफ्ट एलएलपी की सभी अपीलें खारिज कर दीं। कंपनी ने 7 मार्च 2024 को यूपी रेरा द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती देते हुए ट्रिब्यूनल में अपील दाखिल की थी, जिसे सुनवाई के बाद खारिज कर दिया गया।
ट्रिब्यूनल ने यूपी रेरा को रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 के प्रावधानों के तहत आगे की कार्रवाई पर गंभीरता से विचार करने का निर्देश दिया है। साथ ही राज्य सरकार के प्रमुख सचिव को यह जांच कराने को कहा गया है कि ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GNIDA) ने रिक्रिएशनल एंटरटेनमेंट पार्क (REP) योजना और भवन उपविधियों का उल्लंघन कर प्रमोटर को अनुचित लाभ तो नहीं पहुंचाया।
अपने आदेश में न्यायाधिकरण ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रमोटर ने परियोजना की शुरुआत से ही भ्रामक, अनुचित और धोखाधड़ीपूर्ण तरीकों को अपनाया। ट्रिब्यूनल ने GNIDA द्वारा दी गई नियामक स्वीकृतियों पर भी सवाल उठाए और निर्देश दिया कि आरईपी योजना से जुड़े सभी अभिलेख, स्वीकृत लेआउट प्लान और सब-लीज दस्तावेज रेरा के समक्ष प्रस्तुत किए जाएं।
न्यायाधिकरण ने यह भी दर्ज किया कि खरीदारों को संपत्ति की वास्तविक प्रकृति, स्वामित्व के हस्तांतरण और क्लब व गोल्फ कोर्स से जुड़े शुल्कों को लेकर गुमराह किया गया। आदेश में कहा गया कि ये शुल्क मूल रूप से वैकल्पिक थे, लेकिन इन्हें जबरन वसूल कर कब्जा और कन्वेयंस प्रक्रिया को रोकने के लिए दबाव का साधन बनाया गया। ट्रिब्यूनल के अनुसार, प्रमोटर ने इन मदों के जरिए लगभग 100 करोड़ रुपये एकत्र किए, जो खरीदारों के साथ धोखाधड़ी को दर्शाता है।
अदालत ने त्रिपक्षीय सब-लीज डीड में गंभीर खामियां भी रेखांकित कीं। इनमें प्लॉट के वास्तविक आकार, एक्सक्लूसिव उपयोग क्षेत्र, सीमाओं का विवरण और अनुपातहीन अविभाजित हिस्सेदारी (Undivided Share) का उल्लेख न होना शामिल है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि ये कमियां अलग-अलग त्रुटियां नहीं हैं, बल्कि एक सुनियोजित प्रक्रिया का हिस्सा हैं, जो परियोजना की स्वीकृतियों, अनुबंधों और खरीदारों पर डाले गए वित्तीय बोझ में स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं।
इस पूरे मामले पर गोडरेज समूह के प्रवक्ता ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि न्यायाधिकरण के निष्कर्षों और निर्देशों से वे आश्चर्यचकित हैं। उन्होंने बताया कि आदेश का विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है और इसके बाद सक्षम न्यायालय में कानूनी विकल्पों पर विचार करते हुए उचित कदम उठाए जाएंगे।
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