1984 दंगा पीड़ितों के लिए दिल्ली सरकार का बड़ा कदम: दिल्ली सचिवालय में बाँटे नियुक्ति पत्र
टेन न्यूज नेटवर्क
New Delhi News (12 दिसम्बर, 2025): दिल्ली सचिवालय में आयोजित “1984 सिख दंगा पीड़ित परिवारों को नियुक्ति पत्र वितरण समारोह” भावनाओं, पीड़ा और न्याय के दृढ़ संकल्प से भरा रहा। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और कैबिनेट मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने अपने संबोधन में उन भयावह यादों को साझा किया, जिनका घाव आज भी हजारों परिवारों के दिलों में ताज़ा है।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि वह मात्र 10 वर्ष की थीं जब उन्होंने अपने पड़ोस में सिख परिवारों को डर और असुरक्षा में जीते देखा। उन्होंने बताया कि कई युवाओं ने अपनी जान बचाने के लिए केश त्यागे, और कुछ ने परिजनों को आँखों के सामने जिंदा जलते देखा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई आर्थिक सहायता या नौकरी इस पीड़ा को कम नहीं कर सकती, क्योंकि यह केवल दंगों की कहानी नहीं, बल्कि मानवता के पन्नों में दर्ज सबसे दर्दनाक अध्याय है।
उन्होंने राजीव गांधी के उस बयान “जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है” को याद करते हुए कहा कि यह शब्द आज भी चुभते हैं क्योंकि यह दर्शाता है कि कई नेता इसमें शामिल थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबे समय तक किसी सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा SIT गठन के बाद ही दोषियों को सज़ा मिलनी शुरू हुई।
रेखा गुप्ता ने लाल किले के हालिया धार्मिक आयोजन का ज़िक्र करते हुए बताया कि उन्हें सुरक्षा को लेकर चिंता थी, पर अमित शाह के आश्वासन के बाद कार्यक्रम सफलतापूर्वक हुआ। उन्होंने कहा, “जिस दिल्ली में गुरु साहिब की शहादत हुई थी, आज उसी दिल्ली ने लाखों की संख्या में गुरु साहिब के चरणों में शीश नवाया।”
समारोह में कैबिनेट मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि 1984 के पीड़ित परिवारों ने अकल्पनीय दर्द झेला “किसी परिवार के 15–16 सदस्य भी जिंदा जला दिए गए थे।” उन्होंने कहा कि सज्जन कुमार जैसे आरोपी को उम्रकैद दिलाने की लड़ाई सड़कों और न्यायालयों में लड़ी गई।
सिरसा ने पिछले कई दशकों की सरकारों पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहले कांग्रेस और बाद में अरविंद केजरीवाल सरकार पीड़ितों को नौकरी देने में विफल रही। उन्होंने कहा कि सिख कमेटी के माध्यम से मामले को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के सामने लाया गया और उन्होंने सरकार बनते ही इसे प्राथमिकता के तौर पर हल किया।
उन्होंने घोषणा की कि
– जिन परिवारों के एक से अधिक सदस्य मारे गए, उनके बच्चों को भी नौकरी दी जाएगी।
– यह सुविधा लाइफटाइम रहेगी।
– जिन पीड़ितों को नौकरी दी जा चुकी है, उनके रिटायरमेंट के बाद उनके बच्चों को भी नौकरी मिलेगी।
सिरसा ने कहा कि देश के इतिहास में ऐसा फैसला कभी नहीं हुआ और यह केवल प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि भावना और करुणा से जुड़ा संकल्प है।
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