हस्तशिल्प को नई उड़ान: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने दिए 2023-24 के लिए राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार

टेन न्यूज नेटवर्क

National News (09 December 2025): राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज (9 दिसंबर, 2025), नई दिल्ली में वर्ष 2023 और 2024 के लिए राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार प्रदान किए। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि कला हमारे अतीत की स्मृतियों, वर्तमान के अनुभवों और भविष्य की आकांक्षाओं को प्रतिबिम्बित करती है। प्राचीन काल से ही मनुष्य चित्रकला या मूर्तिकला के माध्यम से अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करता रहा है। कला लोगों को संस्कृति से जोड़ती है। कला लोगों को एक-दूसरे से भी जोड़ती है। हमारी सदियों पुरानी हस्तशिल्प परंपरा के जीवंत और संरक्षित रहने का श्रेय, पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे कारीगरों की प्रतिबद्धता को जाता है। हमारे कारीगरों ने अपनी कला और परंपरा को समय के साथ ढाला है और साथ ही मूल भावना को भी जीवित रखा है। उन्होंने अपनी प्रत्येक कलात्मक रचना में देश की मिट्टी की खुशबू को संजोकर रखा है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हस्तशिल्प न केवल हमारी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं, बल्कि आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी हैं। यह क्षेत्र देश में 32 लाख से ज़्यादा लोगों को रोज़गार देता है। उल्लेखनीय है कि हस्तशिल्प से रोज़गार और आय प्राप्त करने वाले ज़्यादातर लोग ग्रामीण या दूरदराज के इलाकों में रहते हैं। यह क्षेत्र रोज़गार और आय का विकेंद्रीकरण करके समावेशी विकास को बढ़ावा देता है। उन्होंने आगे कहा कि सामाजिक सशक्तिकरण के लिए हस्तशिल्प को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र पारंपरिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लोगों को सहायता प्रदान करता रहा है। हस्तशिल्प न केवल कारीगरों को आजीविका का साधन प्रदान करता है, बल्कि उनकी कला उन्हें समाज में पहचान और सम्मान भी दिलाती है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में कार्यरत कार्यबल में 68 प्रतिशत महिलाओं की हिस्‍सेदारी है और इस क्षेत्र के विकास से महिला सशक्तिकरण को भी बल मिलेगा। हस्तशिल्प उद्योग की सबसे बड़ी ताकत प्राकृतिक और स्थानीय संसाधनों पर इसकी निर्भरता है। यह उद्योग पर्यावरण के अनुकूल है और इसमें कार्बन उत्सर्जन कम होता है। आज, दुनिया भर में पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ जीवनशैली की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा है। ऐसे में, यह क्षेत्र स्थायित्व में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

राष्ट्रपति ने जीआई टैग द्वारा दुनिया भर में भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों की पहचान को मज़बूत करने की उपलब्धियों पर खुशी व्‍यक्‍त की। उन्होंने सभी हितधारकों से अपने अनूठे उत्पादों के लिए जीआई टैग प्राप्त करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जीआई टैग उनके उत्पादों को एक विशिष्ट पहचान प्रदान करेगा और राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनकी विश्वसनीयता को बढ़ाएगा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि एक ज़िला एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल हमारे क्षेत्रीय हस्तशिल्प उत्पादों की अंतर्राष्ट्रीय पहचान को भी मज़बूत कर रही है। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, कि हमारे कारीगरों के पीढ़ी दर पीढ़ी संचित ज्ञान, समर्पण और कड़ी मेहनत के बल पर, भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों की दुनिया भर में अपनी अलग पहचान बनी है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि भारतीय हस्तशिल्प की मांग में वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र युवा उद्यमियों और डिज़ाइनरों को उद्यम स्थापित करने के बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।

इस अवसर पर केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने बताया कि सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प पर जीएसटी दरें 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी हैं, जिससे इस क्षेत्र को बड़ी राहत मिली है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय भारतीय हस्तशिल्प को गाँवों से वैश्विक बाजार तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रहा है। सरकार ने 2031-32 तक हस्तशिल्प उत्पादों के निर्यात को 1 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य तक पहुंचाने का संकल्प भी दोहराया।

पुरस्कार वितरण में 2023 और 2024 के शिल्प गुरु तथा राष्ट्रीय पुरस्कारों के विजेताओं को सम्मानित किया गया। वर्ष 2023 के लिए हस्त-चित्रित वस्त्र श्रेणी में पश्चिम बंगाल के अजीत कुमार दास और चमड़े की कठपुतली में आंध्र प्रदेश की डी. शिवम्मा को शिल्प गुरु पुरस्कार मिला। राष्ट्रीय पुरस्कारों में धातु शिल्प के लिए छत्तीसगढ़ की हीराबाई झरेका बघेल, हस्तनिर्मित क़ालीन के लिए उत्तर प्रदेश के इम्तियाज अहमद और कलात्मक वस्त्रों के लिए राजस्थान के रोशन छीपा को सम्मान दिया गया।

वर्ष 2024 में धातु शिल्प श्रेणी में हरियाणा के सुभाष अरोड़ा और काष्ठ नक्काशी श्रेणी में उत्तर प्रदेश के मोहम्मद दिलशाद को शिल्प गुरु पुरस्कार प्रदान किया गया। वहीं राष्ट्रीय पुरस्कार पत्थर नक्काशी के लिए तमिलनाडु के टी. भास्करन, चित्रकला के लिए पश्चिम बंगाल के रूपबन चित्रकार और आदिवासी कारीगर श्रेणी में मध्य प्रदेश के बलदेव बाघमारे को दिए गए। कुल मिलाकर दोनों वर्षों में 12 शिल्प गुरुओं और 36 शिल्पकारों को राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

समारोह ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि भारत की हस्तशिल्प परंपरा केवल कला नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों के जीवन से जुड़ी धरोहर है, जिसे संजोने और सशक्त बनाने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है।।


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