New Delhi News (30 November 2025): दिल्ली के पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) ने अपनी टेंडर प्रक्रिया में बड़ा सुधार करते हुए एक ऐसी बाधा को हटाया है, जिसकी वजह से कई बड़ी कंपनियां डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स में हिस्सा ही नहीं ले पाती थीं। पहले, छोटी-छोटी कमियों के चलते कंपनियों की एप्लीकेशन सीधे रिजेक्ट कर दी जाती थी, जिससे कॉम्पिटिशन कम हो रहा था और प्रोजेक्ट्स में सीमित संख्या में ही कंपनियां शामिल हो पाती थीं। अब नए सिस्टम के लागू होने से अधिक कंपनियों को भाग लेने का मौका मिलेगा, जिससे पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा दोनों बढ़ेंगी।
दिल्ली में फरवरी में बनी नई BJP सरकार के सामने यह मामला तब आया जब कई कंपनियों ने शिकायत की कि सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (CPWD) का 2024 में जारी एक आदेश उनके आवेदन प्रक्रिया में सबसे बड़ी रुकावट बन गया है। कंपनियों का कहना था कि आवेदन के समय अगर किसी डॉक्यूमेंट में कमी रह जाए, तो उसे सुधारने का मौका नहीं मिलता और सीधा रिजेक्शन होता है। इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए PWD मंत्री प्रवेश वर्मा ने विभाग से रिपोर्ट मांगी और समीक्षा के बाद प्रक्रिया को सरल बनाने के आदेश दिए।
पिछले नियम के तहत कंपनियों को सिर्फ एक बार ही डॉक्यूमेंट जमा करने की अनुमति थी। यदि कोई कागज़ या डेटा छूट जाता, तो आवेदन अधूरा मानकर उसे रद्द कर दिया जाता था। इससे कॉम्पिटिशन काफी कम हो गया था क्योंकि बहुत सी योग्य कंपनियां सिर्फ डॉक्यूमेंटेशन की छोटी गलती के कारण प्रक्रिया से बाहर हो जाती थीं। इस पॉलिसी की वजह से बड़े प्रोजेक्ट्स में भी कम संख्या में बिड्स आती थीं, जो सरकारी कार्यों की गति और गुणवत्ता पर असर डालती थीं।
अब PWD के प्रिंसिपल चीफ इंजीनियर प्रदीप गुप्ता द्वारा 21 नवंबर को जारी किए गए नए आदेश के तहत, 5 करोड़ रुपये से अधिक के टेंडर में डॉक्यूमेंट्स की कमी पूरी करने के लिए कंपनियों को 8 दिनों का अतिरिक्त समय दिया जाएगा। इसका मतलब है कि अब यदि कोई जानकारी छूट भी जाए, तो कंपनी को उसे ठीक करने का मौका मिलेगा। विभाग का मानना है कि इस बदलाव से न केवल कॉन्ट्रैक्टर्स के बीच कॉम्पिटिशन बढ़ेगा, बल्कि ज्यादा कंपनियों द्वारा बिडिंग करने से बेहतर प्रस्ताव और बेहतर क्वालिटी के प्रोजेक्ट सामने आएंगे।
विदित हो कि PWD दिल्ली सरकार की प्रमुख डेवलपमेंट एजेंसी है और इसकी जिम्मेदारी 1,259 किलोमीटर लंबी मुख्य सड़कों से लेकर अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, अदालतों और कई सरकारी इमारतों के निर्माण व मेंटेनेंस तक फैली हुई है। इस वजह से टेंडर प्रक्रिया पूरे वर्ष चलती रहती है। ऐसे में यह नया सुधार दिल्ली के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को गति देने वाला साबित हो सकता है, क्योंकि अधिक प्रतियोगिता का मतलब बेहतर काम और तेज़ प्रगति है।
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