सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ए. पी. सिंह ने बताया: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 का नया समीकरण

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (08 जनवरी 2025): दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं। हर दल और प्रत्याशी अपनी रणनीतियों को लेकर मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा है। इसी क्रम में, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ए. पी. सिंह ने टेन न्यूज नेटवर्क से विशेष बातचीत में चुनावी समीकरण, संभावनाओं और जनता की उम्मीदों पर अपने विचार साझा किए।

ए. पी. सिंह ने कहा कि अगर दिल्ली को एक आदर्श प्रदेश बनाना है, तो सरकार को महिलाओं, बेटियों और धार्मिक गुरुओं का सम्मान करना होगा। उन्होंने कहा, दिल्ली एक ऐसा प्रदेश बनेगा, जहां हमारी बहन-बेटियों को ₹2100 प्रति माह की आर्थिक सहायता मिलेगी। इसके साथ ही, पुजारियों और ग्रंथियों को भी ₹18,000 प्रति माह की सुविधा मिलनी चाहिए, जैसे मौलाना और मौलवियों को दी जा रही है। धार्मिक गुरुओं—चाहे वे पुजारी हों या भंते—को यह सम्मान देना आवश्यक है। इससे धार्मिकता का प्रचार होगा और देश फिर से ‘सोने की चिड़िया’ व ‘जगतगुरु’ बन सकेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि चुनावी वादे केवल “लॉलीपॉप” न बनें। वादे ऐसे होने चाहिए, जो पूरी तरह से लागू किए जा सकें। शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में पहले किए गए सुधार प्रेरणा देने वाले हैं, लेकिन शराब नीति में हुई गलतियों का एहसास भी हुआ, जिसे बाद में ठीक किया गया।

रजौरी गार्डन क्षेत्र के बारे में बात करते हुए उन्होंने प्रत्याशियों के चयन पर जोर दिया। उनका कहना था कि एक प्रत्याशी का चुनाव उसके चरित्र, चाल, और पारिवारिक पृष्ठभूमि पर आधारित होना चाहिए। लोकतंत्र जनता की सरकार है, जनता के लिए है और जनता के द्वारा चुनी जाती है। लेकिन जब लोकतंत्र में जनता के द्वारा ही लोकतंत्र को चोट पहुंचाई जाती है, तो यह दुखद होता है। लोकतंत्र तब रोने लगता है।

वर्तमान विधायकों और उनके कार्यालयों के प्रदर्शन पर बोलते हुए, उन्होंने संतुलित दृष्टिकोण अपनाया और कहा, कोई भी विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री, या प्रधानमंत्री अपनी क्षमता के अनुसार अच्छा काम करने की कोशिश करता है। लेकिन फिर भी, हर किसी में कुछ न कुछ कमी या मजबूरियां रह जाती हैं। सत्ता की राजनीति में अक्सर पार्टी की सीमाएं और दबाव आड़े आ जाते हैं।

उन्होंने यह भी जोड़ा, किसी के ‘बेवफा’ हो जाने के पीछे भी कारण होते हैं—कुछ मजबूरियां, कुछ परिस्थितियां। इसलिए जनता को हर पहलू को समझकर ही निर्णय लेना चाहिए।”

चुनावी परिदृश्य के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अभी यह कहना मुश्किल है कि किस पार्टी का पलड़ा भारी रहेगा। अभी तो चुनावी प्रक्रिया की शुरुआत हुई है। जनता की आवाज़ ही तय करेगी कि कौन विजेता बनेगा। आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी तीनों ही प्रमुख दल मैदान में हैं और जोरदार मुकाबला होगा। इसके साथ ही, छोटे राजनीतिक दल भी अपनी प्रबल उपस्थिति दर्ज कराएंगे।

उन्होंने यह भी बताया कि हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों ने जनता को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि राजनीतिक दल केवल ‘डिफरेंट बोतल्स में सेम वाइन’ की तरह हैं। “आपने देखा होगा कि कांग्रेस के नेता बीजेपी में चले गए, बीजेपी के नेता आम आदमी पार्टी में और आप के नेता कांग्रेस में। टिकटों का बंटवारा भी इन्हीं समीकरणों पर निर्भर करता है। ऐसे में, सिद्धांत कहां रह गए?”

अंत में उन्होंने कहा कि जनता को समझदारी से वोट देना चाहिए। “चुनावी वादों और व्यवहार में फर्क होता है। जनता को प्रत्याशियों के चरित्र और उनके काम को प्राथमिकता देनी चाहिए। लोकतंत्र तभी सशक्त होगा जब जनता सोच-समझकर निर्णय लेगी।”दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की तस्वीर आने वाले दिनों में और स्पष्ट होगी। लेकिन वरिष्ठ अधिवक्ता ए. पी. सिंह के विचारों ने राजनीतिक बहस को एक नई दिशा दी है।।


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