NOIDA News (21/10/2025): दीपावली की रोशनी और आतिशबाज़ी की चमक अब धुएं और धुंध में बदल गई है। त्योहार के बाद उत्तर प्रदेश के कई बड़े शहरों की हवा इतनी दूषित हो गई है कि अब सांस लेना मुश्किल हो गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, नोएडा और गाजियाबाद देश के शीर्ष पांच प्रदूषित शहरों में शामिल रहे।
सोमवार रात 10 बजे नोएडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 313 दर्ज किया गया, जबकि गाजियाबाद 310 AQI के साथ दूसरे स्थान पर रहा। वहीं, हापुड़ (294), मेरठ (266) और बागपत (256) में भी प्रदूषण का स्तर खतरनाक सीमा के करीब पहुंच गया।
रेड जोन में हवा, सांस लेना हुआ मुश्किल
वायु गुणवत्ता के स्तर के अनुसार, नोएडा और गाजियाबाद की हवा अब “बहुत खराब” श्रेणी (Stage-II, AQI 301-400) में आ गई है। इसका अर्थ है कि हवा अब स्वास्थ्य के लिए असुरक्षित है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए। CPCB के पूर्वानुमान के मुताबिक, आने वाले दो दिनों में वायु गुणवत्ता “गंभीर” स्तर तक पहुंच सकती है। प्रदूषण के कारण सुबह के समय कई इलाकों में धुंध और धुएं की चादर छाई रही, जिससे दृश्यता भी प्रभावित हुई।
डॉक्टरों की चेतावनी – मास्क लगाना जरूरी
गाजियाबाद के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. शरद जोशी ने लोगों को बाहर निकलते समय N95 या डबल सर्जिकल मास्क पहनने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि हवा में मौजूद सूक्ष्म कण (PM-2.5 और PM-10) फेफड़ों तक आसानी से पहुंच जाते हैं, जो दीर्घकालिक बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
उन्होंने खासकर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
प्रदूषण के प्रमुख कारण
सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, वायु प्रदूषण में पीएम-10 कणों का 86% हिस्सा सड़कों की धूल से आता है। इसके अलावा,
6% उत्सर्जन वाहनों के धुएं से,
5% निर्माण कार्यों से और
3% औद्योगिक इकाइयों से होता है।
वहीं PM-2.5 प्रदूषण में 72% योगदान सड़कों की धूल का है, जबकि 20% वाहन, 6% उद्योग और 3% निर्माण कार्य इसके स्रोत हैं।
गैसों में सल्फर डाइऑक्साइड का 58% उत्सर्जन उद्योगों से, जबकि नाइट्रोजन ऑक्साइड का सबसे बड़ा स्रोत वाहन हैं।
पराली जलाना भी बड़ी वजह
दिवाली के बाद हर साल उत्तर भारत में प्रदूषण की बड़ी वजह पराली जलाना बनती है। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धान की कटाई के बाद खेतों में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। इससे हवा में सूक्ष्म कणों की मात्रा तेजी से बढ़ती है। हालांकि, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 2015 में पराली जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बावजूद, किसानों को विकल्पों की कमी के कारण यह प्रथा जारी है।
2021 में लागू वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) अधिनियम के तहत पराली जलाने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है —
2 एकड़ तक जमीन पर जलाने पर ₹5,000
2 से 5 एकड़ तक पर ₹10,000
5 एकड़ से अधिक पर ₹30,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
प्रशासन हरकत में, नियंत्रण उपाय शुरू
नोएडा और गाजियाबाद प्रशासन ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है। सड़कों पर पानी का छिड़काव, निर्माण स्थलों पर कवर लगाने और खुले में कचरा या पत्तियां जलाने वालों पर जुर्माना लगाने के निर्देश दिए गए हैं। त्योहार की रात भले ही आसमान आतिशबाज़ी से जगमगा उठा हो, लेकिन अब वही धुआं शहर की हवा को भारी बना रहा है। विशेषज्ञों का कहना है — अगर आने वाले दिनों में मौसम में बदलाव नहीं हुआ, तो दिल्ली-एनसीआर सहित पश्चिमी यूपी के शहरों में प्रदूषण और गंभीर स्तर पर पहुंच सकता है। नोएडा की हवा में अब त्योहार की मिठास नहीं, बल्कि ज़हर घुल चुका है — और यह चिंता का कारण है।
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