60वें IHGF Delhi Fair के समापन पर भारतीय संगीत की सुरमयी गूंज से सजी शाम, कलाकारों ने रचा आध्यात्मिक माहौल
टेन न्यूज नेटवर्क
GREATER NOIDA News (19/10/2025): ग्रेटर नोएडा स्थित इंडिया एक्सपो मार्ट में चल रहे 60वें इंडियन हैंडीक्राफ्ट्स एंड गिफ्ट फेयर (IHGF Delhi Fair 2025) के अंतिम दिन भारतीय कला और संगीत का ऐसा संगम देखने को मिला, जिसने हर दर्शक को भारतीय संस्कृति की गहराइयों से रूबरू करा दिया। इस विशाल आयोजन में देशभर से आए कलाकारों और शिल्पकारों ने अपनी पारंपरिक और समकालीन कला का प्रदर्शन किया, वहीं संगीतकारों की प्रस्तुतियों ने पूरे परिसर में भक्ति, भाव और सौंदर्य का वातावरण बना दिया।

इस भव्य आयोजन के दौरान गुजरात की प्रसिद्ध सितार वादक संगीता नासिक देसाई ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया। टेन न्यूज नेटवर्क से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा, मुझे सितार साधना करते हुए लगभग पाँच वर्ष हो चुके हैं। संगीत मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा है, जिसे मैंने अपने पिता से सीखा — वे गुजरात राज्य के जाने-माने संगीतज्ञ थे और ऑल इंडिया रेडियो से जुड़े हुए थे।
संगीता नासिक देसाई ने अपने संगीत जीवन की एक विशेष स्मृति साझा करते हुए बताया कि उनका पहला डेब्यू कॉन्सर्ट वर्ष 2000 में लंदन में हुआ था, जहाँ उन्हें इंग्लैंड की क्वीन मदर के समक्ष प्रस्तुति देने का सम्मान प्राप्त हुआ। उन्होंने गर्वपूर्वक कहा कि उन्हें महान सितार वादक पंडित रवि शंकर से मिलने और उनके मार्गदर्शन में संगीत सीखने का अवसर मिला, पंडित रवि शंकर जी ने भारतीय संगीत को वैश्विक मंच पर सम्मान दिलाया। वे मेरे लिए केवल प्रेरणा ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति के सच्चे प्रतिनिधि हैं।
भारतीय संगीत के महत्व पर उन्होंने कहा कि संगीत केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि “ईश्वर से एक पवित्र संवाद” है। उन्होंने कहा, जब हम संगीत की साधना करते हैं, तो भीतर की शांति में हमें परमात्मा का स्पर्श मिलता है। यही कारण है कि हर व्यक्ति को संगीत को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए।
इसी कार्यक्रम में दिल्ली से आए युवा तबला वादक मोहम्मद आदिल ने अपनी सधी हुई लयकारी से वातावरण में ऊर्जा भर दी। आदिल ने बताया कि उन्होंने तबला की शिक्षा अपने पिता और गुरु उस्ताद सैफ खान से प्राप्त की है, और बाद में मंजुहा शाह तथा क्षमा मा साहब जैसे कई नामचीन गुरुओं से प्रशिक्षण लिया। कथक और तबला का रिश्ता आत्मा और शरीर की तरह है — दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। आज जरूरत है कि नई पीढ़ी इन वाद्य परंपराओं को फिर से जीवन दे।

आदिल ने कहा कि आज के समय में भारतीय शास्त्रीय संगीत को आधुनिकता के साथ जोड़कर युवाओं तक पहुँचाना आवश्यक है ताकि यह धरोहर आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवित रहे।
कार्यक्रम के दौरान दिल्ली के बांसुरी वादक पवन कपूर ने अपने मधुर स्वर से श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। पिछले 15 वर्षों से बांसुरी वादन में निपुण पवन कपूर ने अपनी संगीत यात्रा पंडित रवि सिंह से शुरू की थी। वे बनारस घराने से जुड़े हैं और अपने गुरु की परंपरा को आगे बढ़ाने को जीवन का उद्देश्य मानते हैं। गुरु परम धर्म हैं। शिष्य का सबसे बड़ा कर्तव्य है कि वह गुरु की दी हुई विद्या को समर्पण के साथ आगे बढ़ाए।
उन्होंने अपने नाम और वाद्ययंत्र के बीच के सुंदर संबंध का उल्लेख करते हुए कहा, ‘पवन’ का अर्थ है हवा, और बांसुरी उसी वायु से अपनी आत्मा पाती है। यह मेरा संगीत से आत्मिक संबंध है। पवन कपूर ने कहा कि आज के समय में “प्लास्टिक संगीत” नहीं, बल्कि भारतीय शास्त्रीय संगीत की आवश्यकता है, क्योंकि वही हमारी असली पहचान है। जब युवा पीढ़ी तबला, सितार और बांसुरी जैसे वाद्ययंत्रों की साधना करेगी, तभी भारत की सांस्कृतिक आत्मा पीढ़ी दर पीढ़ी जीवित रहेगी।
यह आयोजन एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर हैंडीक्राफ्ट्स (EPCH) द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें 3000 से अधिक प्रदर्शक और देश-विदेश के हजारों खरीदार शामिल हुए। फेयर में भारत के हर राज्य से पारंपरिक हस्तशिल्प, वस्त्र, होम डेकोर और कला प्रदर्शित की गईं, वहीं संगीत और नृत्य ने इसमें सांस्कृतिक गहराई जोड़ी।
पवन कपूर ने EPCH की इस पहल की सराहना करते हुए कहा, यह मंच न केवल भारतीय कलाकारों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाता है, बल्कि भारत की आत्मा उसकी कला और संस्कृति — को दुनिया के हर कोने तक पहुँचाता है। 60वें IHGF Delhi Fair 2025 का समापन भारतीय संगीत की अनुगूंज के साथ हुआ, जहाँ हर राग, हर सुर और हर थाप ने एक ही संदेश दिया —भारत की पहचान उसकी संस्कृति, उसके संगीत और उसकी साधना में निहित है।
Discover more from टेन न्यूज हिंदी
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
टिप्पणियाँ बंद हैं।