पूर्व सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों की भी विशेष अदालत में होगी सुनवाई, एलजी ने दी मंजूरी
टेन न्यूज़ नेटवर्क
New Delhi News (16 October 2025): दिल्ली में अब पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों से जुड़े मामलों की सुनवाई भी विशेष अदालतों में की जाएगी। उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस फैसले के तहत अब पॉक्सो अधिनियम, 2012 और बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 के तहत दर्ज मामलों की सुनवाई उन विशेष अदालतों में होगी, जो पहले से ही मौजूदा सांसदों और विधायकों के मामलों की सुनवाई के लिए गठित की गई थीं। इससे न्याय प्रक्रिया को तेज़ और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस प्रस्ताव को उपराज्यपाल को भेजते हुए कहा था कि पूर्व जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित मामलों को लेकर न्याय प्रक्रिया में अनावश्यक देरी हो रही है। उन्होंने बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार वर्ष 2020 में इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई थी, लेकिन पिछली आम आदमी पार्टी सरकार ने इसे तीन वर्षों से अधिक समय तक लंबित रखा था। नई सरकार ने इस अधिसूचना को लागू कर न्यायिक प्रक्रिया को गति देने का निर्णय लिया है।
दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा तैयार किए गए इस प्रस्ताव की विधि विभाग ने जांच की थी, जिसके बाद इसे उपराज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेजा गया। एलजी द्वारा मंजूरी मिलने के बाद अब यह व्यवस्था लागू हो गई है। सरकार का कहना है कि इस निर्णय से संवेदनशील मामलों में न्याय की प्रक्रिया और सख्त तथा त्वरित होगी, जिससे पीड़ितों को शीघ्र न्याय मिल सकेगा।
इससे पहले जुलाई 2023 में, दिल्ली में सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई के लिए राउज एवेन्यू कोर्ट परिसर में तीन विशेष अदालतों की स्थापना की गई थी। ये अदालतें सीपीसीआर और पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत आने वाले मामलों को सुनने के लिए नामित की गई थीं। अब इन्हीं अदालतों का दायरा बढ़ाकर पूर्व जनप्रतिनिधियों को भी इसमें शामिल किया गया है, ताकि किसी भी स्तर पर भेदभाव या देरी न हो।
राउज एवेन्यू कोर्ट परिसर में स्थित ये तीन अदालतें विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट) (सीबीआई) की अदालत संख्या 9, 23 और 24 अब वर्तमान के साथ-साथ पूर्व विधायकों और सांसदों के मामलों की सुनवाई करेंगी। सरकार का मानना है कि यह कदम न केवल न्याय प्रणाली को सशक्त करेगा बल्कि जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही को भी बढ़ाएगा। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि यह निर्णय “न्याय सबके लिए समान” की भावना को सशक्त करता है और दिल्ली में सुशासन की दिशा में एक नई मिसाल पेश करता है।।
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