New Delhi News (08 October 2025): दिल्ली की हवा को ताज़ा करने और शहर को हरा-भरा बनाने के लिए दिल्ली सरकार ने एक बड़ी पर्यावरणीय पहल की शुरुआत की है। सरकार 17 नए जंगल विकसित करने जा रही है, जिनमें 15 “नमो वन” और 2 घने “मियावाकी जंगल” शामिल हैं। पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा (Manjinder Singh Sirsa) ने बताया कि इस योजना के तहत लगभग 195 एकड़ जमीन पर काम किया जाएगा। इसका उद्देश्य न केवल दिल्ली को हरियाली से आच्छादित करना है, बल्कि प्रदूषण को नियंत्रित करना और तापमान में कमी लाना भी है।
कहां बनेंगे ये जंगल
वन विभाग ने 10 से अधिक स्थानों का चयन किया है जहां ये नए जंगल विकसित किए जाएंगे। दक्षिण दिल्ली के सतबारी और मैदानगढ़ी में 18.6-18.6 एकड़ में दो जंगल बनेंगे। वहीं, उत्तर और उत्तर-पश्चिम दिल्ली में अधिकांश जंगल स्थापित होंगे। रोहिणी में बरवाला, पहलादपुर बागर, पंसाली, महमूदपुरा माजरी जैसे इलाकों में सात जंगल बनाए जाएंगे, जबकि नरेला में सी-बी4 नरेला, मामूरपुर, जी7 और जी8 क्षेत्रों में तीन नए जंगल विकसित किए जाएंगे। इसके अलावा अलीपुर में भी तीन जंगल 12, 12.2 और 28 एकड़ क्षेत्र में तैयार होंगे।
मियावाकी तकनीक से बनेंगे दो घने जंगल
सरकार दो मियावाकी जंगल भी बनाने जा रही है, जो जापानी वैज्ञानिक अकिरा मियावाकी की तकनीक पर आधारित होंगे। यह तकनीक देशी प्रजातियों को बहुत नजदीक लगाकर कम समय में घना जंगल तैयार करने की है। नजफगढ़ के पास खरखरी जटमल (6.02 एकड़) और जैनपुर (11.21 एकड़) में ये जंगल बनाए जाएंगे। इनमें से एक जंगल गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत वर्षगांठ को समर्पित होगा। मियावाकी जंगल सामान्य जंगलों से 30 गुना घने होते हैं और मात्र 6 से 8 महीनों में घना रूप ले लेते हैं।
कब शुरू होगा पौधरोपण?
वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, मिट्टी की जांच और स्थल तैयारी का कार्य पूरा हो चुका है। अगर मौसम ने साथ दिया तो नवंबर से पौधरोपण शुरू किया जाएगा। हालांकि, अगर देरी हुई तो फरवरी में काम प्रारंभ होगा। अधिकारियों ने बताया कि नमो वन को परिपक्व होने में 4 से 5 साल लगेंगे, जबकि मियावाकी जंगल आधे वर्ष में विकसित हो जाएंगे।
जैव विविधता बढ़ाने पर विशेष ध्यान
इन सभी जंगलों में कम से कम 10 अलग-अलग देशी प्रजातियों को लगाया जाएगा ताकि जैव विविधता को प्रोत्साहित किया जा सके। मियावाकी जंगलों में पौधे एक-दूसरे के पास लगाए जाएंगे, जबकि नमो वन में बड़े पेड़ों के बीच लगभग 3×3 मीटर का फासला रखा जाएगा और बीच में झाड़ियां व घास लगाई जाएगी। दिल्ली के पर्यावरण विशेषज्ञ फैयाज खुदसार ने कहा कि स्थानीय पारिस्थितिकी के अनुरूप पौधों का चयन बेहद जरूरी है, जिससे जंगल दीर्घकालिक रूप से स्थायी बन सकें।
विकसित दिल्ली की हरित दिशा में बड़ा कदम
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा घोषित “नमो वन” योजना का उद्देश्य बंजर और खाली पड़ी जमीनों को हरियाली में बदलना है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये जंगल न केवल दिल्ली की सुंदरता बढ़ाएंगे, बल्कि प्रदूषण घटाने, कार्बन अवशोषण और तापमान नियंत्रण में भी अहम भूमिका निभाएंगे। जल्द ही दिल्लीवासियों को नए हरे ठिकाने मिलेंगे, जहां वे प्रकृति के बीच सुकून भरे पल बिता सकेंगे और यह कदम “विकसित दिल्ली, हरित दिल्ली” के विज़न की दिशा में एक मजबूत मील का पत्थर साबित होगा।।
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