रक्षा मंत्री ने आईसीजी कमांडरों के सम्मेलन में दी भविष्य की सुरक्षा की रूपरेखा
टेन न्यूज नेटवर्क
New Delhi News (29 September 2025): आज़ादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली स्थित भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) मुख्यालय में आयोजित 42वें आईसीजी कमांडरों के सम्मेलन का उद्घाटन किया और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का महत्वपूर्ण स्तंभ बताया। 28 से 30 सितम्बर तक चलने वाला यह तीन दिवसीय सम्मेलन समुद्री सुरक्षा, उभरती चुनौतियों और हिंद महासागर क्षेत्र के सामरिक महत्व पर केंद्रित है।
रक्षा मंत्री ने आईसीजी की व्यावसायिकता और मानवीय सेवाओं की सराहना करते हुए कहा कि यह बल भारत की 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा और द्वीपीय क्षेत्रों की सुरक्षा का दायित्व सफलतापूर्वक निभा रहा है। उन्होंने कहा कि आईसीजी ने अपनी स्थापना से अब तक 1,638 विदेशी पोत और 13,775 विदेशी मछुआरों को पकड़ा है, 6,430 किलोग्राम नशीले पदार्थ (लगभग ₹37,833 करोड़ मूल्य) जब्त किए हैं तथा 14,500 से अधिक लोगों की जान बचाई है। इस वर्ष जुलाई तक बल ने 76 एसएआर मिशन चलाकर 74 लोगों को सुरक्षित बचाया।

राजनाथ सिंह ने कहा कि आईसीजी बाहरी व आंतरिक दोनों तरह की सुरक्षा में अहम योगदान देता है—जहां यह विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में गश्त कर अवैध मछली पकड़ने, मादक पदार्थ व हथियारों की तस्करी, मानव तस्करी और प्रदूषण पर रोक लगाता है, वहीं नागरिक प्रशासन, नौसेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय कर बहु-एजेंसी ढांचे को मज़बूती देता है। उन्होंने आईसीजी को केवल सुरक्षा प्रदाता नहीं बल्कि बल गुणक (Force Multiplier) बताया।
रक्षा मंत्री ने स्वदेशीकरण पर बल देते हुए कहा कि आईसीजी के पूंजीगत बजट का लगभग 90 प्रतिशत स्वदेशी परिसंपत्तियों पर खर्च किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी जहाज और विमानों के निर्माण से न केवल बल की क्षमताएं बढ़ी हैं, बल्कि भारत की जहाज निर्माण उद्योग और अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहन मिला है।

उन्होंने समुद्री सीमाओं की जटिलताओं को रेखांकित करते हुए कहा कि तस्करी करने वाला जहाज अक्सर मछली पकड़ने वाली नाव जैसा दिख सकता है और समुद्र की खुली जगह का आतंकवादी संगठन फायदा उठा सकते हैं। ऐसे में निरंतर सतर्कता और उन्नत तकनीकी निगरानी आवश्यक है। उन्होंने बताया कि ड्रोन, उपग्रह, जीपीएस स्पूफिंग और साइबर खतरों ने पारंपरिक सुरक्षा उपायों को चुनौती दी है, इसलिए अब एआई, मशीन लर्निंग, साइबर डिफेंस और स्वचालित प्रतिक्रिया तंत्र को सुरक्षा ढांचे में शामिल करना होगा।
महिला सशक्तिकरण की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि अब महिला अधिकारी पायलट, पर्यवेक्षक, होवरक्राफ्ट ऑपरेटर और लॉजिस्टिक्स अधिकारी के रूप में अग्रिम पंक्ति में कार्य कर रही हैं, जो समावेशी भागीदारी के विज़न को दर्शाता है।

रक्षा मंत्री ने क्षेत्रीय भू-राजनीतिक परिस्थितियों, विशेषकर बंगाल की खाड़ी क्षेत्र की चुनौतियों, पर सतर्क रहने का आह्वान किया और कहा कि समुद्री सुरक्षा भारत की आर्थिक सुरक्षा से सीधे जुड़ी है, क्योंकि बंदरगाह और नौवहन मार्ग देश की अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा हैं।
2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में आईसीजी के लिए भविष्योन्मुखी रोडमैप तैयार करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि अब युद्ध महीनों नहीं बल्कि सेकंडों में मापा जाता है और ऐसे में तैयारी, अनुकूलनशीलता और त्वरित प्रतिक्रिया इसकी आधारशिला होनी चाहिए।

इस अवसर पर रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार तथा आईसीजी महानिदेशक परमेश शिवमणि सहित रक्षा मंत्रालय और तटरक्षक बल के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। सम्मेलन में परिचालन प्रदर्शन, लॉजिस्टिक्स, मानव संसाधन, प्रशिक्षण और स्वदेशी तकनीक पर विशेष चर्चा की जा रही है, जिससे भारत की समुद्री उपस्थिति को और मजबूत बनाया जा सके।।
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