दिल्ली में 3 दशक बाद बना ड्रेनेज मास्टर प्लान, 5 चरण और 3 भागों में बंटा पूरा प्रोजेक्ट

टेन न्यूज नेटवर्क

New Delhi News (20/09/2025): दिल्ली सरकार ने राजधानी को जलभराव की समस्या से स्थायी रूप से निजात दिलाने के लिए 30 साल बाद एक बड़ा कदम उठाया है। शुक्रवार को केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) और पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा (parvesh Varma) ने नया ड्रेनेज मास्टर प्लान जारी किया। इस योजना की कुल लागत 57,362.85 करोड़ रुपये आंकी गई है और इसे पांच चरणों में लागू किया जाएगा। सरकार का दावा है कि यह योजना सिर्फ कागज पर नहीं, बल्कि आने वाले तीन दशकों तक दिल्ली को बाढ़ मुक्त रखने की गारंटी है।

दिल्ली का पिछला ड्रेनेज मास्टर प्लान साल 1976 में तैयार किया गया था। उस समय राजधानी की आबादी करीब 60 लाख थी और शहर की संरचना आज के मुकाबले बहुत सीमित थी। अब दिल्ली की जनसंख्या लगभग 2 करोड़ के पार पहुंच चुकी है। लगातार बढ़ते शहरीकरण, अतिक्रमण और बारिश के पैटर्न में बदलाव ने जलभराव की समस्या को और गंभीर बना दिया है। मौजूदा 18,958 किलोमीटर लंबे ड्रेनेज नेटवर्क पर आठ विभाग और एजेंसियां काम कर रही हैं, लेकिन यह नेटवर्क अब राजधानी की जरूरतों के हिसाब से अपर्याप्त साबित हो रहा है।

तीन प्रमुख बेसिनों में विभाजन

नए मास्टर प्लान में राजधानी को तीन प्रमुख बेसिनों नजफगढ़, बरापुला और ट्रांस-यमुना में बांटा गया है। प्रत्येक बेसिन के लिए अलग-अलग एक्सपर्ट कंसल्टेंट नियुक्त किए गए हैं। इन कंपनियों ने इलाके की ढाल, मिट्टी की परत, मौजूदा नालों और निकासी प्रणाली की खामियों का अध्ययन कर रिपोर्ट सौंपी है। इससे हर क्षेत्र की स्थानीय समस्याओं के मुताबिक जल निकासी के लिए समाधान तैयार किए गए हैं।

नजफगढ़, बरापुला और ट्रांस-यमुना बेसिन की स्थिति

नजफगढ़ बेसिन का काम जुलाई 2023 से M/s Haskoning DHV Consulting Pvt. Ltd. के पास है, जिसने अलिपुर, नजफगढ़ और कंझावला ब्लॉकों की DPR पेश कर दी है। बरापुला बेसिन और ट्रांस-यमुना बेसिन का जिम्मा मई 2024 से M/s Green Design & Engineering Services Pvt. Ltd. संभाल रही है और दोनों की DPR सरकार को सौंप दी गई है। इससे साफ है कि शुरुआती स्तर पर ही योजना के क्रियान्वयन की दिशा तय हो चुकी है।

गहराई से की गई स्टडी और सर्वे

इस मास्टर प्लान को तैयार करने से पहले सरकार ने माइक्रो और मैक्रो लेवल पर विस्तृत स्टडी करवाई है। इसमें बारिश के दौरान जलभराव के कारणों, पानी के वितरण, सतही निकासी में रुकावट और देरी के पहलुओं का अध्ययन शामिल है। इसके अलावा बारिश के पानी को दोबारा इस्तेमाल करने और डिस्पोजल के लिए नई तकनीकों को अपनाने का सुझाव भी दिया गया है। टोपोग्राफी सर्वे के जरिए पाइपलाइन, नालों, सड़कों और आसपास की जमीन के स्तर का रिकॉर्ड तैयार किया गया ताकि वैज्ञानिक तरीके से समाधान निकाला जा सके।

पांच चरणों में होगा क्रियान्वयन

योजना को पांच चरणों में लागू किया जाएगा और सबसे पहले हाई-रिस्क वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी। पहले चरण में 11,961.40 करोड़ रुपये, दूसरे में 10,855.61 करोड़ रुपये, तीसरे में 11,749.67 करोड़ रुपये, चौथे चरण में 9,852.61 करोड़ रुपये और पांचवें व अंतिम चरण में 7,216.35 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस क्रमबद्ध क्रियान्वयन से न केवल पारदर्शिता सुनिश्चित होगी, बल्कि हर चरण के बाद प्रभाव का मूल्यांकन भी किया जा सकेगा।

सभी विभागों की साझा भागीदारी

इस योजना को सफल बनाने के लिए दिल्ली सरकार ने सभी संबंधित विभागों और एजेंसियों की राय शामिल की है। पीडब्ल्यूडी, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, एमसीडी, डीडीए और एनडीएमसी जैसे संस्थानों से परामर्श लेकर ही रणनीति तय की गई है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कार्यान्वयन के दौरान विभागीय समन्वय की कमी किसी तरह की बाधा न बने।

तकनीकी रूप से सक्षम समाधान

नई योजना में हाइड्रोलिक स्टडी को आधार बनाया गया है। रणनीतिक स्थलों पर तकनीकी आकलन कर ऐसे समाधान सुझाए गए हैं, जिनसे तेज बारिश के दौरान पानी तुरंत बह सके और सड़कें जलमग्न न हों। साथ ही पुराने जर्जर ड्रेनेज ढांचे को चरणबद्ध तरीके से बदला जाएगा। इससे भविष्य में बार-बार मरम्मत पर होने वाले खर्च से भी बचा जा सकेगा।

सरकार का बड़ा दावा

मास्टर प्लान पेश करते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि यह योजना सिर्फ एक प्रशासनिक दस्तावेज नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को बाढ़ मुक्त दिल्ली देने का खाका है। वहीं, केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि यह प्रोजेक्ट दिल्ली के लिए “गेम चेंजर” साबित होगा और अगले 30 साल तक राजधानी की ड्रेनेज प्रणाली आधुनिक और सुरक्षित होगी। पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा ने भी भरोसा दिलाया कि यह काम समय पर और पूरी पारदर्शिता से पूरा किया जाएगा।

दिल्लीवासियों को बड़ी राहत की उम्मीद

बारिश के मौसम में दिल्लीवासियों को अक्सर घंटों तक जलभराव का सामना करना पड़ता है। जगह-जगह सड़कें डूब जाती हैं और यातायात प्रभावित होता है। नया ड्रेनेज मास्टर प्लान इस समस्या का दीर्घकालिक समाधान बनने की उम्मीद जगाता है। यदि योजना निर्धारित समय सीमा में लागू हो जाती है, तो आने वाले दशकों तक दिल्ली में जलभराव अब केवल अतीत की समस्या बनकर रह जाएगा।


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