DUSU Election 2025: NSUI प्रत्याशी जोसलिन नंदिता चौधरी को लेकर विवाद, धर्मांतरण की क्या है सच्चाई?

टेन न्यूज नेटवर्क

New Delhi News (17 September 2025): दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (DUSU) चुनाव 2025 इस बार सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि राजस्थान की राजनीति के लिए भी बड़ा अखाड़ा बन गया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के बीच जोरदार टक्कर है। खासकर, NSUI की ओर से अध्यक्ष पद पर जोधपुर की जोसलिन नंदिता चौधरी की उम्मीदवारी ने चुनाव को और भी दिलचस्प बना दिया है।

नाम परिवर्तन पर विवाद

सोशल मीडिया पर जोसलिन चौधरी का मुद्दा गरमाया हुआ है। दरअसल, उनकी 12वीं की मार्कशीट वायरल हो रही है, जिसमें उनका नाम जीतू चौधरी दर्ज है। बताया जा रहा है कि उन्होंने जयपुर के डीपीएस से स्कूली पढ़ाई की है। मार्कशीट में उनकी माता का नाम बेबी देवी लिखा हुआ है। अब आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने ईसाई धर्म अपनाने के बाद अपना नाम बदलकर जोसलिन नंदिता चौधरी रख लिया। हालांकि, इन दावों को पुख्ता करने वाले सबूत अब तक सामने नहीं आए हैं। दसवीं और बारहवीं के प्रमाणपत्रों में भी उनका नाम जीतू चौधरी ही दर्ज है, लेकिन ABVP इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही है।

टिकट वितरण से बढ़ा बवाल

NSUI के टिकट वितरण ने भी संगठन में असंतोष की लहर पैदा कर दी है। लंबे समय से अध्यक्ष पद की दावेदारी कर रहे उमांशी लांबा और गोपाल चौधरी को दरकिनार कर जोसलिन को टिकट दिए जाने से कई कार्यकर्ता नाराज हैं। उमांशी लांबा ने तो बगावत का रास्ता अपनाते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है। उन्हें राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के नेता हनुमान बेनीवाल और नरेश मीणा खेमे का समर्थन भी मिल रहा है। इस फैसले से NSUI में गुटबाजी साफ दिखाई दे रही है।

पायलट की सक्रियता और आंतरिक कलह

NSUI की ओर से टिकट वितरण का फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी ने लिया, लेकिन इससे संगठन में आंतरिक कलह और गहरा गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने भी जोसलिन के समर्थन में प्रचार किया, लेकिन इससे असंतुष्ट खेमे को साधने में खास सफलता नहीं मिली। कैंपस में इसका सीधा असर देखा जा रहा है और माहौल गर्म हो चुका है।

ABVP की रणनीति

दूसरी ओर, ABVP ने NSUI की अंदरूनी लड़ाई को भुनाने की पूरी तैयारी कर ली है। राजस्थान के मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा और हरियाणा में भाजपा के प्रभारी सतीश पूनिया ने भी चुनावी मैदान में ताल ठोकी है। ABVP ने जोसलिन के नाम परिवर्तन के मुद्दे को हवा देते हुए छात्रों के बीच इसे बड़ा चुनावी विषय बनाने की कोशिश की है। संगठन का मकसद इस बार किसी भी तरह से जीत सुनिश्चित करना है।

राजस्थान का दबदबा

गौरतलब है कि राजस्थान में लंबे समय से छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए हैं। ऐसे में युवा नेता DUSU चुनाव को अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत का मंच मानते हैं। इस बार जोसलिन चौधरी, राहुल झांसला और निर्दलीय उमांशी लांबा जैसे चेहरे चुनावी दंगल में आमने-सामने हैं। यही वजह है कि दिल्ली विश्वविद्यालय का यह चुनाव न सिर्फ छात्र राजनीति बल्कि राजस्थान के बड़े नेताओं की साख का भी इम्तिहान बन गया है।।


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