गौतमबुद्ध नगर में किसानों की महापंचायत: 7 जनवरी तक का अल्टीमेटम!
टेन न्यूज नेटवर्क
ग्रेटर नोएडा (31 दिसंबर 2024): ग्रेटर नोएडा के जीरो प्वाइंट पर मंगलवार को गौतमबुद्ध नगर संयुक्त मोर्चा की किसान महापंचायत आयोजित की गई। सुबह 10 बजे से ही किसान जुटने लगे, जिससे प्रशासन के लिए स्थिति संभालना चुनौतीपूर्ण हो गया। इस महापंचायत की अध्यक्षता महरो देवी ने की, जबकि संचालन राजीव मलिक, कृष्णा नागर, और बॉबी नागर ने किया।
किसानों का बढ़ता आक्रोश और पुलिस की कार्रवाई
मेरठ मंडल से आने वाले कुछ किसानों को पुलिस प्रशासन ने टोल पर रोकने का प्रयास किया, जिससे किसानों में गुस्सा बढ़ गया। रोके जाने पर किसानों ने वहीं धरना शुरू कर दिया। करीब दोपहर 2 बजे भारतीय किसान यूनियन के नेता चौधरी राकेश टिकैत ने महापंचायत में पहुंचकर किसानों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “यह आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा। पुलिस और प्रशासन की तानाशाही से डरने की कोई जरूरत नहीं है। आंदोलन और जेल दोनों ही संघर्ष का हिस्सा हैं।”
उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाया कि किसान संगठनों को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। टिकैत ने सभी किसान संगठनों से अपने संगठन को मजबूत करने और एकजुट रहने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी मांग की कि संयुक्त मोर्चा के जिन किसानों को जेल भेजा गया है, उन्हें तुरंत रिहा किया जाए।
प्रमुख मुद्दे और प्रशासन के साथ वार्ता
महापंचायत में किसानों ने तीन प्रमुख मांगें उठाईं:
•आबादी निस्तारण का समाधान।
•2013 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम का पूर्ण कार्यान्वयन।
•10% विकसित भूखंड देने की गारंटी।
एडीएम फाइनेंस अतुल कुमार, तीनों प्राधिकरणों के ओएसडी, और एडीसीपी अशोक कुमार भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। इसके बाद प्रशासन और किसानों के बीच वार्ता हुई। प्रशासन ने किसानों को आश्वासन दिया कि 7 जनवरी को कमिश्नर, जिलाधिकारी, और तीनों प्राधिकरणों के सीईओ के साथ बैठक कर समाधान निकाला जाएगा।
पवन खटाना ने क्या कहा?
भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष पवन खटाना ने अपने एक बयान में कहा कि उनका आंदोलन केवल किसानों की जमीन और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “जब तक प्रशासन हमारी मांगों को पूरा नहीं करता, तब तक हम पीछे नहीं हटेंगे। हमारा संघर्ष पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहेगा और हम अपने हक के लिए डटे रहेंगे।”
अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि प्रदेश में कई अच्छे अधिकारी मौजूद हैं, जो किसानों की समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि जो अधिकारी अपनी जिम्मेदारी निभाने में असफल हो रहे हैं, उन्हें हटाकर उनकी जगह सक्षम अधिकारियों को तैनात किया जाना चाहिए।
उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर जेल में बंद किसानों को जल्द रिहा नहीं किया गया, तो आंदोलन और तेज हो जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 4 से 5 किसान जेल में बंद हैं और यह स्थिति किसानों के सब्र की परीक्षा ले रही है। खटाना ने कहा, “जेल में किसानों को बंद रखने से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि आंदोलन और अधिक उग्र रूप ले लेगा।”
टेन न्यूज़ नेटवर्क की टीम से बातचीत के दौरान भारतीय मज़दूर संघर्ष मोर्चा के प्रवक्ता बृजेश भाटी ने कहा कि उनकी अगली रणनीति 25 तारीख को नोएडा प्राधिकरण में किए गए आंदोलन को आगे बढ़ाने की है, क्योंकि उनकी मांगों को अभी तक सरकार द्वारा पूरा किया नहीं गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की तानाशाही नीतियों के खिलाफ किसानों की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। बृजेश भाटी ने कहा कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होंगी, आंदोलन जारी रहेगा। उनका उद्देश्य सरकार की नीतियों में सुधार लाने और किसानों के हितों की रक्षा करना है।
यमुना अथॉरिटी के ओएसडी शैलेंद्र सिंह ने किसानों की समस्याओं पर समाधान की जानकारी देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद किसानों के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। उन्होंने बताया कि यमुना एयरपोर्ट और अन्य परियोजनाओं के लिए मुआवजा वृद्धि की गई है, और जल्द ही सर्किल रेट भी बढ़ाया जाएगा। डीएम द्वारा यह सुनिश्चित किया गया है कि किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए एक कमेटी गठित की गई है। शैलेंद्र सिंह ने बताया कि अगली बैठक संयुक्त किसान मोर्चा के साथ आयोजित की जाएगी, ताकि किसानों की समस्याओं का सकारात्मक और ठोस समाधान निकाला जा सके।
निर्णय और आगे की रणनीति
वार्ता के दौरान अधिकारियों ने यह भी आश्वासन दिया कि जेल में बंद किसानों को जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा और अंसल बिल्डर द्वारा बाउंसरों के माध्यम से किए जा रहे विकास कार्यों को तुरंत रोक दिया जाएगा। भविष्य में किसानों की सहमति के बिना किसी भी प्रकार का विकास कार्य नहीं किया जाएगा।
महापंचायत का समापन अध्यक्ष महरो देवी के भाषण के साथ हुआ। हालांकि, किसानों ने स्पष्ट कर दिया कि अगर 7 जनवरी को उनकी मांगों पर ठोस समाधान नहीं निकला, तो आंदोलन और तेज होगा।
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