GREATER NOIDA News (09/09/2025): यमुना नदी के जलस्तर में गिरावट शुरू होते ही डूब क्षेत्र में फंसे लोगों को कुछ हद तक राहत मिली है। पिछले एक सप्ताह से जलमग्न नोएडा और उसके आसपास के इलाके अब धीरे-धीरे पानी से बाहर निकलने लगे हैं। हालांकि बाढ़ के पानी के साथ आई गंदगी, कीचड़ और कचरे ने अब इन इलाकों में नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।
फार्म हाउस और नर्सरियों में अब भी भरा है पानी
यमुना के किनारे बसे कई फार्म हाउस और नर्सरियां अब भी जलमग्न हैं। प्रशासन का कहना है कि अगले दो दिनों में अधिकांश इलाकों से पानी पूरी तरह निकल जाएगा। इस बीच, जो लोग रिलीफ कैंपों या पुश्ता रोड की झुग्गियों में रह रहे थे, वे अब अपने-अपने फार्म हाउस की ओर लौटने लगे हैं। हालांकि प्रशासन उन्हें बार-बार चेतावनी दे रहा है कि जब तक इलाका पूरी तरह सुरक्षित न हो, वहां वापस न जाएं। इसके लिए मुनादी भी कराई जा रही है।
बाढ़ ने उजाड़े दो हजार से अधिक फार्म हाउस
दो सितंबर को हथनीकुंड बैराज से छोड़े गए करीब 3.29 लाख क्यूसेक पानी ने नोएडा के यमुना डूब क्षेत्र में तबाही मचा दी। जलस्तर तेजी से बढ़ते हुए सेक्टर-133, 134, 135, 168 समेत 150 से ज्यादा इलाकों में पहुंच गया। इस दौरान करीब 2,000 से ज्यादा फार्म हाउस जलमग्न हो गए। हजारों लोगों ने घर खाली कर पुश्ता रोड और उसके आसपास अस्थायी झुग्गियां बसा लीं।
प्रशासन द्वारा आठ राहत शिविर स्थापित किए गए, जिनमें लगभग 3,000 लोगों को अस्थायी रूप से ठहराया गया। पीड़ितों को भोजन, दवाइयां और अन्य बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई गईं। इसके अलावा, 800 से अधिक मवेशियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
पानी तो उतरा, लेकिन अवैध निर्माण बना रुकावट
हालांकि यमुना का जलस्तर अब खतरे के निशान 205 मीटर से नीचे आ चुका है, लेकिन कुछ स्थानों पर पानी अभी भी रुका हुआ है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, पुश्ता क्षेत्र में किए गए अवैध निर्माणों के कारण पानी की निकासी बाधित हो रही है, जिससे लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
सीवर ओवरफ्लो की आशंका, बैराज खोलने की तैयारी
अब जबकि जलस्तर लगातार घट रहा है, प्रशासन नोएडा के बंद बैराज को खोलने पर विचार कर रहा है। इससे सीवर ओवरफ्लो की समस्या से राहत मिल सकती है। जलभराव वाले क्षेत्रों से धीरे-धीरे पानी हट रहा है, और उम्मीद है कि आगामी कुछ दिनों में हालात सामान्य हो जाएंगे।
बीमारियों की बढ़ती आशंका
जलस्तर घटने के साथ-साथ बाढ़ के पानी में पनपे संक्रमण अब नई मुसीबत बनकर सामने आ रहे हैं। रिलीफ कैंपों में पहले ही प्रतिदिन 200 से 300 मरीजों का इलाज किया जा रहा था, जिनमें अधिकांश त्वचा संक्रमण, डायरिया और बुखार जैसी बीमारियों से ग्रसित थे। अब जब लोग अपने घरों और खेतों की ओर लौट रहे हैं, तो गंदगी के कारण बीमारियों के फैलने का खतरा और बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें सक्रिय हैं, लेकिन हालात चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं।
किसानों को भारी नुकसान, फसलें बर्बाद
इस बाढ़ ने किसानों को आर्थिक रूप से भी गहरा झटका दिया है। लाखों रुपये की खड़ी फसलें पानी में बह गईं या सड़ गईं। कई किसानों की नर्सरियां भी पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं। नुकसान का आकलन करने के लिए प्रशासन की टीमें क्षेत्र का निरीक्षण कर रही हैं, लेकिन किसानों को मुआवजा मिलने में समय लग सकता है। यमुना नदी के जलस्तर में गिरावट से जहां लोगों को राहत मिली है, वहीं बाढ़ के बाद की स्थिति ने नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। प्रशासन राहत और पुनर्वास कार्यों में जुटा है, लेकिन अवैध निर्माण, गंदगी और संक्रमण की स्थिति को देखते हुए अभी भी सतर्कता जरूरी है।
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