दिल्ली पुलिस के पत्र से वकील नाराज, 8 सितंबर से करेंगे न्यायिक बहिष्कार

टेन न्यूज़ नेटवर्क

New Delhi News (05/09/2025): राजधानी दिल्ली में वकील एक बार फिर आंदोलन की राह पर हैं। दरअसल, दिल्ली पुलिस (Delhi Police) द्वारा पुलिस थानों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये गवाही दर्ज कराने संबंधी जारी पत्र ने वकीलों को नाराज कर दिया है। निचली अदालतों के सभी बार एसोसिएशंस के संगठन कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ ऑल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशंस ने इस पत्र को केंद्रीय गृह मंत्री के साथ हुई वार्ता में दिए गए आश्वासन का उल्लंघन बताया और 8 सितंबर से न्यायिक बहिष्कार का आह्वान कर दिया है।

पुलिस के इस पत्र में कहा गया है कि केवल औपचारिक पुलिस गवाहों की गवाही पुलिस थानों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये दर्ज कराई जाएगी। जबकि ठोस और महत्वपूर्ण गवाहों की गवाही कोर्ट रूम में ही होगी और इस संबंध में सभी पक्षों से विचार-विमर्श के बाद निर्णय लिया जाएगा। दिल्ली पुलिस का कहना है कि इस प्रक्रिया से मामलों के निपटान में तेजी आएगी और गवाहों के बयान अधिक सुविधाजनक ढंग से दर्ज हो पाएंगे।

पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि बचाव पक्ष का वकील किसी गवाह का सशरीर बयान दर्ज कराने की मांग करता है तो उस पर फैसला कोर्ट करेगा। पत्र में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 530 का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक तरीके से गवाही कराने का प्रावधान न्याय व्यवस्था को अधिक सुचारु बनाने के लिए किया गया है।

वकील संगठनों का कहना है कि यह पत्र सीधे तौर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई वार्ता और आश्वासन के खिलाफ है। उनका आरोप है कि 2 सितंबर को हुई बैठक में गृह मंत्री ने भरोसा दिया था कि अभी पुलिसकर्मियों की गवाही कोर्ट में सशरीर ही होगी। वकीलों का मानना है कि इस पत्र के जरिए उनके विश्वास को तोड़ा गया है, इसलिए न्यायिक बहिष्कार करना मजबूरी है।

याद दिला दें कि हाल ही में दिल्ली में वकील इसी मुद्दे पर एक सप्ताह तक न्यायिक बहिष्कार कर चुके हैं। उस दौरान उन्होंने पुलिस थानों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये गवाही दर्ज कराने की अनुमति देने संबंधी उप-राज्यपाल के नोटिफिकेशन का विरोध किया था। आंदोलन न केवल अदालत परिसरों में बल्कि सड़कों तक फैला था। कई स्थानों पर वकीलों ने उप-राज्यपाल का पुतला भी जलाया था।

इसके बाद 28 अगस्त को दिल्ली पुलिस ने एक पत्र जारी कर कहा था कि इस मुद्दे पर गृह मंत्री से वकीलों की बातचीत होगी और तब तक पुलिस थानों से गवाही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये दर्ज नहीं की जाएगी। इसी क्रम में 2 सितंबर को गृह मंत्री अमित शाह और वकील प्रतिनिधियों की बैठक भी हुई थी, जिसमें आश्वासन दिया गया था कि गवाही फिलहाल कोर्ट रूम में ही होगी।

लेकिन अब दिल्ली पुलिस का यह नया पत्र सामने आने के बाद वकील संगठनों का गुस्सा फिर भड़क गया है। उनका कहना है कि यह कदम न केवल उनके विश्वास के खिलाफ है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया को भी प्रभावित करेगा। इसलिए 8 सितंबर से दिल्ली की सभी निचली अदालतों में वकील न्यायिक कार्यों का बहिष्कार करेंगे और आंदोलन को और तेज करेंगे।


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