नोएडा एयरपोर्ट के नाम पर ठगी का खुलासा, 33 करोड़ की संपत्ति कुर्क
टेन न्यूज नेटवर्क
NOIDA NEWS (25/08/2025): नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Noida International Airport) के नाम पर दिल्ली-एनसीआर (Delhi NCR) और उत्तर प्रदेश के कई शहरों के सैकड़ों लोगों को फ्लैट और प्लॉट दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले भूमाफियाओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है। शनिवार को अलीगढ़ प्रशासन ने ठगों की करीब ₹33.72 करोड़ की संपत्ति कुर्क कर ली है, जिसे जल्द ही नीलाम कर ठगे गए खरीदारों में राशि के रूप में बांटा जाएगा।
ठगी का जाल: जेवर एयरपोर्ट और यमुना अथॉरिटी के नाम पर सपना बेचा गया
यह पूरा मामला जेवर एयरपोर्ट और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) के आसपास विकसित हो रहे क्षेत्र से जुड़ा है। 2015 में जब जेवर में एयरपोर्ट परियोजना की नींव रखी गई, तभी से अलीगढ़, मथुरा, आगरा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट जैसे इलाकों में अवैध कॉलोनियों का फैलाव तेजी से शुरू हो गया। कॉलोनाइज़र एयरपोर्ट और प्रस्तावित फिल्म सिटी के नाम पर प्लॉट और फ्लैटों की बुकिंग करने लगे। लोगों को बताया गया कि यह कॉलोनियां यमुना अथॉरिटी से स्वीकृत हैं, जबकि हकीकत में न तो नक्शा पास था, न ही कोई वैध अनुमति।
इस गोरखधंधे के पीछे मुख्य रूप से दिल्ली के शाहीन बाग निवासी मोहम्मद जाकिर । इन्होंने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर यमुना अथॉरिटी के अधिसूचित क्षेत्र में फर्जी दस्तावेजों (Fake Documents) के जरिए अवैध रूप से प्लॉट्स और फ्लैट बेच डाले। इनके खिलाफ अलीगढ़ के क्वारसी थाने में 2024 और 2025 में कई एफआईआर दर्ज की गई हैं।
ग्रेटर नोएडा, नोएडा, फरीदाबाद, गाजियाबाद, अलीगढ़, बुलंदशहर, मेरठ, बरेली और यहां तक कि गोरखपुर तक के करीब 150 से ज्यादा लोगों से इन कॉलोनियों में फ्लैट और प्लॉट के नाम पर करोड़ों रुपये ऐंठे गए। ग्राहकों को विश्वास में लेने के लिए टप्पल, अलीगढ़ और ग्रेनो वेस्ट जैसे क्षेत्रों में टेंट लगाकर खुलेआम बुकिंग कैंप लगाए जाते थे।
कुर्क की गई संपत्तियों को अब नीलाम किया जाएगा और उससे प्राप्त राशि का वितरण उन खरीदारों में किया जाएगा जिन्होंने अपने जीवन की जमापूंजी इन अवैध कॉलोनियों में निवेश कर दी थी। प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई डीजीपी के निर्देश पर की गई है और आगे भी ऐसे मामलों में संपत्ति ज़ब्त और मुआवजा वितरण की प्रक्रिया जारी रहेगी।
यमुना अथॉरिटी का अधिसूचित क्षेत्र पूरी तरह से नियंत्रित विकास के लिए आरक्षित है। इस क्षेत्र में बिना अथॉरिटी की अनुमति के कोई भी निर्माण या प्लॉटिंग अवैध मानी जाती है। अथॉरिटी या तो खुद निर्माण करती है या प्राइवेट डेवलपर्स को प्लान के अनुसार जमीन आवंटित करती है। इसके बावजूद, वर्षों तक यहां बिना अनुमति के कॉलोनियां काटी जाती रहीं और संबंधित विभागों की लापरवाही से भूमाफिया का हौसला बुलंद होता गया।
यह मामला एक बड़ी चेतावनी है उन लोगों के लिए जो सिर्फ लोकेशन और प्रचार पर भरोसा कर निवेश करते हैं। संपत्ति खरीदने से पहले प्राधिकरण से वैधता की पुष्टि, नक्शे की स्वीकृति, और रेजिस्टर्ड दस्तावेज़ों (Registered Documents) की जांच बेहद जरूरी है। प्रशासन की यह कार्रवाई आने वाले समय में ऐसे अन्य फर्जीवाड़ों पर लगाम लगाने में मददगार साबित हो सकती है।
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