ITS डेंटल कॉलेज में सिस्टमेटिक रिव्यू एवं मेटा-एनालिसिस पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

आई0 टी0 एस0 डेंटल कॉलेज , हॉस्पिटल एंड रिसर्च सैंटर, ग्रेटर नोएडा में दिनांक 21 और 22 अगस्त 2025 को पीडोडाॅन्टिक्स विभाग द्वारा एक विशेष वैल्यू एडेड प्रोग्राम के अंतर्गत सिस्टमेटिक रिव्यू एवं मेटा-एनालिसिस पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में प्रतिष्ठित शिक्षविद् डाॅ0 बालेंद्र प्रताप सिंह, प्रोफेसर, प्राॅस्थोडाॅन्टिक विभाग, किंग जाॅर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ एवं डायरेक्टर, कोक्रेन इंडियाः केजीएमयू एफिलिएट, और उनके साथ डाॅ0 सुनीत कुमार जुरेल, प्रोफेसर, प्राॅस्थोडाॅन्टिक विभाग, किंग जाॅर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ दोनों ही विशेषज्ञ इस विषय पर गहन ज्ञान एवं अंतरराष्ट्रीय अनुभव रखते हैं। डाॅ0 बलेंद्र प्रताप सिंह ने सिस्टमैटिक रिव्यू एवं मेटा-एनालिसिस पर हैंड्स-आॅन वर्कशाॅप को छात्रों और शिक्षकों के लिए अत्यंत उपयोगी एवं ज्ञानवर्धक बताया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में गुणवत्तापूर्ण शोध की मांग तेजी से बढ़ रही है और इस दिशा में सिस्टमैटिक रिव्यू एवं मेटा-एनालिसिस जैसी तकनीकों की गहन समझ आवश्यक है। इस कार्यशाला के माध्यम से प्रतिभागियों को शोध पद्धति, डेटा संग्रह, विश्लेषण और निष्कर्षों की व्याख्या करने की व्यवहारिक जानकारी प्राप्त होती है।

पीडोडाॅन्टिक्स की विभागाध्यक्षा डाॅ0 मौसमी गोस्वामी ने कहा कि सिस्टेमैटिक रिव्यू एवं मेटा-एनालिसिस पर हैंड्स-आॅन वर्कशाॅप का उद्देश्य छात्रों, शोधार्थियों एवं संकाय सदस्यों को रिसर्च के क्षेत्र में नवीनतम विधियों से अवगत कराना तथा उन्हें साक्ष्य-आधारित चिकित्सा के महत्व को समझाना था। कार्यशाला में प्रतिभागियों को सिस्टमेटिक रिव्यू एवं मेटा-एनालिसिस की मूल अवधाराणाओं, शोध, प्रश्न तैयार करने, डेटा संग्रहण, विश्लेषण तकनीकों एवं रिपोर्टिंग स्टैंडडर््स पर व्यावहारिक जानकारी प्रदान की गई। यह कार्यशाला दंतचिकित्सा को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होगी और शोध संस्कृति को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

संस्थान के प्रधानाचार्य डाॅ0 सचित आनंद अरोरा ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह कार्यशाला शोध के क्षेत्र में रूचि रखने वाले छात्रों, शिक्षकों एवं शोधकर्ताओं के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि आज के समय में साक्ष्य-आधारित शोध की महत्ता बढती जा रही है और ऐसे में सिस्टमैटिक रिव्यू व मेटा-एनालिसिस जैसे शोध उपकरणों का समुचित ज्ञान आवश्यक है। डाॅ0 अरोरा ने यह भी कहा कि इस प्रकार की व्यावहारिक कार्यशालाएं प्रतिभागियों को शोध की बारीकियों को समझने, सटीक डेटा विश्लेषण करने तथा गुणवत्ता युक्त निष्कर्ष निकालने में सहायक होती हैं। उन्होंने प्रतिभागागियों को प्रोत्साहित किया कि वे इस अवसर का पूरा लाभ उठाएं और सीखने की इस प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी करें।

आई0टी0एस0 – द एजूकेशन ग्रुप उपाध्यक्ष सोहिल चड्ढा ने कार्यशाला की सराहना करते हुए कहा कि सिस्टमैटिक रिव्यू और मेटा-एनालिसिस आज के शोध जगत में अत्यंत महत्वपूर्ण विधियां हैं। इस वर्कशाॅप ने प्रतिभागियों को इन तकनीकों की व्यवहारिक जानकारी देने का अवसर प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की पहलें छात्रों और शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में सहायक होती हैं।


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