GREATER NOIDA News (17/08/2025): सामूहिक प्रयासों और मानवीय सहयोग की एक प्रेरणादायक मिसाल ग्रेटर नोएडा वेस्ट की रॉयल नेस्ट सोसायटी (Royal Best Society) में देखने को मिली। यहां के निवासियों ने न केवल एक घरेलू सहायिका के बीमार बेटे के इलाज में मदद की, बल्कि उसके जन्मदिन पर उसे जीवनदान भी दिया। डेंगू (Dengue) और इंसेफेलाइटिस (Encephalitis) (दिमाग में सूजन) से पीड़ित 14 वर्षीय मिथुन को गंभीर हालत में 13 दिन तक आईसीयू (ICU) में रखा गया। इलाज का कुल खर्च करीब 7.5 लाख रुपये तक पहुंच गया, लेकिन अस्पताल प्रशासन और सोसायटीवासियों की मदद से यह इलाज संभव हो सका।
गंभीर स्थिति में पहुंचा था अस्पताल
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के निवासी विनोद और यशोदा इस समय ग्रेटर नोएडा वेस्ट के मिलक लच्छी गांव में रह रहे हैं। यशोदा रॉयल नेस्ट सोसायटी में घरेलू सहायिका के रूप में काम करती हैं। कुछ दिन पहले उनके बेटे मिथुन की तबीयत अचानक बिगड़ गई। मुंह और नाक से तेज़ खून बहने लगा। तुरंत उसे न्यूमेड अस्पताल ले जाया गया, जहां जांच में डेंगू और इंसेफेलाइटिस की पुष्टि हुई। प्लेटलेट्स बेहद कम हो चुके थे और दिमाग में सूजन थी। स्थिति इतनी गंभीर थी कि ऑपरेशन करना भी जोखिम भरा हो गया था।
इंजेक्शन के लिए जुटाए 2.5 लाख रुपये
चिकित्सकों ने मिथुन की जान बचाने के लिए एक विशेष इंजेक्शन की सिफारिश की, जिसकी कीमत 2.5 लाख रुपये थी। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के लिए यह रकम जुटाना असंभव था। ऐसे में सोसायटी के निवासियों ने आगे आकर सामूहिक रूप से सहायता की। रॉयल नेस्ट सोसायटी के लोगों ने आपसी सहयोग से 2.5 लाख रुपये की राशि जुटाई। इसके अतिरिक्त ऑनलाइन क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म ‘मिलाप’ के जरिए 65,000 रुपये और इकट्ठे किए गए।
अस्पताल ने नहीं लिया आईसीयू शुल्क
इलाज के दौरान जब आर्थिक संकट और गहराने लगा, तब फ्लैट मालिकों और स्थानीय लोगों ने बच्चे को चाइल्ड पीजीआई अस्पताल (Child PGI Hospital) में स्थानांतरित करने में मदद की। वहां डॉ. पवन यादव और उनकी टीम ने न केवल इलाज की जिम्मेदारी ली, बल्कि उन्होंने विजिट चार्ज और ICU शुल्क भी माफ कर दिए। अस्पताल प्रशासन ने भी इंसानियत दिखाते हुए इलाज का एक बड़ा हिस्सा नि:शुल्क कर दिया, जिससे परिवार पर से आर्थिक बोझ काफी हद तक कम हुआ।
जन्मदिन पर घर लौटा मिथुन
लगभग दो सप्ताह तक जीवन और मृत्यु के बीच झूलने के बाद, मिथुन का स्वास्थ्य धीरे-धीरे सुधरने लगा। इलाज के 13वें दिन, गुरुवार को उसके जन्मदिन के दिन ही वह पूरी तरह स्वस्थ होकर अस्पताल से घर लौटा। यह क्षण न केवल उसके माता-पिता के लिए, बल्कि सोसायटी के हर उस व्यक्ति के लिए बेहद भावुक और खुशी से भरा था, जिन्होंने इस बच्चे की जान बचाने में भागीदारी निभाई।
मानवता की अनमोल मिसाल
इस घटना ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि सामूहिक सहयोग और मानवीय संवेदनाएं मिलकर असंभव को संभव बना सकती हैं। जब समाज एकजुट होकर किसी जरूरतमंद की मदद करता है, तो न केवल एक जीवन बचता है, बल्कि मानवता की नींव भी और मजबूत होती है।
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