भारत मंडपम में हथकरघा का गौरवमयी उत्सव: डॉ. राकेश कुमार की सराहना से गूंजा मंच
टेन न्यूज नेटवर्क
New Delhi News (07 August 2025): नई दिल्ली के भारत मंडपम में 7 अगस्त 2025 को 11वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस भव्यता के साथ मनाया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर 5 संत कबीर पुरस्कार और 19 राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य देश की समृद्ध हथकरघा परंपरा का उत्सव मनाना और इस क्षेत्र के कारीगरों, बुनकरों व डिज़ाइनरों के असाधारण योगदान को सम्मानित करना था।
कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने इंडिया एक्सपो मार्ट, ग्रेटर नोएडा के अध्यक्ष और “हैंडीक्राफ्ट मैन ऑफ इंडिया” के नाम से विख्यात डॉ. राकेश कुमार की प्रशंसा करते हुए कहा कि “जो भी अपने उत्पाद विदेशों में बेचना चाहता है, वह डॉ. राकेश कुमार से संपर्क करें। उन्होंने लाखों कारीगरों का जीवन संवारा है और भारतीय हस्तशिल्प एवं हथकरघा को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाई है। जिन निर्यातकों को उत्पाद निर्यात करना है वह डॉ राकेश कुमार से संपर्क करें कि इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कैसे उतारें, घरेलू बाजार तक पहुंच कैसे बनाएं।” इस टिप्पणी के बाद पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा।
इस अवसर पर हथकरघा क्षेत्र के नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए हैंडलूम हैकाथॉन 2025 का आयोजन भी उल्लेखनीय रहा, जो 4 अगस्त को IIT दिल्ली में आरंभ हुआ था। थीम “सपना देखो; कर दिखाओ” पर आधारित इस हैकाथॉन में युवा डिज़ाइनर, छात्र, इंजीनियर और शोधकर्ता शामिल हुए। इसके माध्यम से तकनीक और परंपरा के संगम से समाधान आधारित सोच को बढ़ावा मिला।
हथकरघा उत्सव के तहत 1 से 8 अगस्त तक अनेक आयोजन किए गए जिनमें ‘अपनी बुनाई को जानें’ अभियान के माध्यम से युवाओं को हथकरघा की विरासत से जोड़ने का प्रयास किया गया। जनपथ स्थित हैंडलूम हाट में साड़ी महोत्सव, भारत मंडपम में ‘वस्त्र वेद’ फैशन शो, अशोक होटल में ‘नाद बुनाई का संगीत’ तथा इंडिया इंटरनेशनल हैंड-विवन एक्सपो जैसे आयोजन इस सप्ताह के प्रमुख आकर्षण रहे।
भारतीय हथकरघा उद्योग न केवल देश की सांस्कृतिक पहचान है, बल्कि लाखों परिवारों की जीविका का आधार भी है। 2019-20 की अखिल भारतीय हथकरघा जनगणना के अनुसार, 35 लाख से अधिक बुनकर और संबंधित श्रमिक इस क्षेत्र से जुड़े हैं, जिनमें 72% महिलाएं हैं। यह क्षेत्र पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण का भी माध्यम है। भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम, कच्चा माल आपूर्ति योजना, बुनकर मुद्रा ऋण योजना और हथकरघा विपणन सहायता जैसी योजनाओं ने इस क्षेत्र को मजबूत आधार प्रदान किया है। 2024-25 में 367.67 करोड़ रुपये की सहायता इस दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
वर्तमान में भारतीय हथकरघा उत्पादों की वैश्विक मांग भी निरंतर बढ़ रही है। भारत दुनिया का 95% हाथ से बुना कपड़ा उत्पादन करता है। 2024-25 में अमेरिका, UAE, नीदरलैंड, फ्रांस और UK जैसे देशों को भारी मात्रा में निर्यात हुआ। खासकर मेड-अप्स (कुशन, पर्दे, टेबल लिनन) और फ्लोर कवरिंग (कालीन, चटाई) में सबसे अधिक योगदान देखा गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान से प्रेरित होकर हथकरघा क्षेत्र नई ऊँचाइयों को छू रहा है। हथकरघा अब केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि स्थिरता, आत्मनिर्भरता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बन चुका है। इस प्रकार 11वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस परंपरा, प्रौद्योगिकी और प्रतिभा का अद्वितीय संगम बनकर सामने आया, जिसमें डॉ. राकेश कुमार जैसे समर्पित व्यक्तित्वों की भूमिका को विशेष सम्मान मिला और यह संदेश भी गया कि यदि भारत की बुनाई आगे बढ़ रही है, तो उसके पीछे ऐसे मार्गदर्शकों का बड़ा योगदान है।।
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