New Delhi News (30/07/2025): दिल्ली की राजनीति एक बार फिर धार्मिक संस्थाओं को लेकर गरमा गई है। राजधानी की उन 185 मस्जिदों के इमामों की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं जिन्हें Delhi Government हर महीने वेतन देती है। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) से मुलाकात कर शिकायत की है कि इन मस्जिदों से कुछ राजनीतिक दल सियासी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। उन्होंने मस्जिदों में राजनीतिक बैठकों और चर्चाओं की रिपोर्ट देते हुए इमामों की भूमिका की गहन जांच की मांग की। मुख्यमंत्री ने मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया है।
जानकारी के अनुसार, दिल्ली में लगभग चार हजार मस्जिदें हैं। इनमें से 185 मस्जिदों में नियुक्त इमामों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद दिल्ली सरकार से वेतन मिलता है। हर महीने एक इमाम को 18 हजार और सह इमाम (मुअज्जिन) को 16 हजार रुपए दिए जाते हैं। मस्जिदों की देखरेख करने वाली समितियां इमामों की नियुक्ति करती हैं, लेकिन जिन मस्जिदों का संचालन सरकारी वेतन से हो रहा है, उनकी पारदर्शिता को लेकर अब सवाल खड़े हो गए हैं।
जमाल सिद्दीकी ने मुख्यमंत्री से अपनी मुलाकात के दौरान इमाम मोहिबुल्लाह नदवी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि नदवी ने रामपुर के सांसद और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को मस्जिद में आमंत्रित कर राजनीतिक चर्चा की। उन्होंने इसे न केवल सरकारी सेवा की शर्तों का उल्लंघन बताया, बल्कि इसे इस्लामी मर्यादा के भी खिलाफ बताया। सिद्दीकी ने जल्द ही लोकसभा अध्यक्ष से मिलकर सांसद नदवी की सदस्यता रद्द करने की भी मांग करने की बात कही है।
भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने मामले में कड़ी जांच की मांग की है। उन्होंने अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की मस्जिद में मौजूदगी को मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति बताया और कहा कि वे धार्मिक स्थलों का उपयोग केवल वोट बैंक के लिए कर रहे हैं। त्रिपाठी ने कहा कि यह न केवल संविधान का उल्लंघन है, बल्कि सरकारी धन का दुरुपयोग भी है। उन्होंने कहा कि इमामों को सरकारी वेतन मिलता है, इसलिए वे लाभ के पद पर हैं और उन्हें राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहना चाहिए।
इस्लामी मामलों के जानकार फैज अहमद फैजी ने भी मस्जिदों में राजनीतिक गतिविधियों को इस्लामिक कानून के विरुद्ध बताया। उन्होंने कहा कि मस्जिदें इबादत के स्थान हैं और किसी भी प्रकार की गैर-धार्मिक गतिविधियों की इजाजत इस्लाम में नहीं है। फैजी ने समाजवादी पार्टी से सार्वजनिक माफी की मांग की और कहा कि यदि गलती हुई है तो उसे स्वीकार करना चाहिए।
हालांकि समाजवादी पार्टी ने भाजपा के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। सपा प्रवक्ता मोहम्मद आजम ने कहा कि भाजपा धार्मिक और जातीय आधार पर राजनीति कर रही है और वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस प्रकार की सस्ती राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि मस्जिद में केवल नमाज ही नहीं, अन्य सामाजिक गतिविधियां भी होती हैं और इसमें कुछ भी अनुचित नहीं है।
सपा ने भाजपा के आरोपों को “राजनीतिक स्वार्थ” करार दिया है और कहा कि इमामों को मिलने वाली राशि “सम्मान भत्ता” के तौर पर दी जाती है, इसे सरकारी वेतन नहीं माना जाना चाहिए। उनका कहना है कि केवल वेतन मिलने से इमाम को लाभ के पद पर नहीं कहा जा सकता। आजम ने कहा कि जांच होनी चाहिए, लेकिन किसी को भी धार्मिक आधार पर निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।
फिलहाल मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच का आदेश देने का संकेत दिया है। यदि जांच में राजनीतिक गतिविधियों के आरोप सही पाए जाते हैं, तो दिल्ली सरकार इन इमामों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। यह मामला अब न केवल धार्मिक आस्था, बल्कि संवैधानिक जिम्मेदारियों और सरकारी अनुदान की पारदर्शिता से भी जुड़ गया है।
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