जर्जर इमारतों का होगा पुनर्विकास, पुरानी हाउसिंग सोसायटियों को मिलेगा नया रूप | Noida Authority

टेन न्यूज नेटवर्क

NOIDA News (15/07/2025): नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) ने शहर की 30 साल से अधिक पुरानी और संरचनात्मक रूप से जर्जर हो चुकी इमारतों के पुनर्विकास के लिए बड़ी पहल की है। प्राधिकरण ने इसके लिए एक व्यापक पुनर्विकास नीति (Redevelopment Policy) तैयार की है, जिसे नोएडा प्राधिकरण की बोर्ड बैठक (Board Meeting) में स्वीकृति मिल चुकी है। अब इस नीति को लागू करने के लिए प्राधिकरण का प्लानिंग विभाग आवश्यक प्रक्रिया में जुट गया है।

इस नई नीति के तहत नोएडा की लगभग 100 ग्रुप हाउसिंग सोसायटियां (Group Housing Societies) और 500 से अधिक लो-राइज इमारतों (Low rise Building) को फिर से विकसित किया जाएगा। इससे ना सिर्फ इन इमारतों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि यहां रहने वाले लोगों के जीवन स्तर (Living Standard) में भी सुधार आएगा।

छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की तर्ज पर तैयार नीति

प्राधिकरण द्वारा तैयार की गई यह नीति छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) और मध्यप्रदेश (Madhyapradesh) में पहले से लागू पुनर्विकास मॉडल के आधार पर बनाई गई है। इन राज्यों में PPP मॉडल (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) या फिर सार्वजनिक अथॉरिटी एवं निजी डेवलपर्स के माध्यम से पुनर्विकास कराया जाता है। नोएडा प्राधिकरण इसी तर्ज पर पुनर्विकास की योजना बना रहा है, जिसमें निजी डेवलपर्स को भी मौका मिलेगा। हालांकि यह नीति अवैध निर्माणों (Illegal Construction) और किरायेदारों पर लागू नहीं होगी। इस विषय में एक प्रेजेंटेशन बोर्ड रूम में किया जाएगा, जिसके बाद आवश्यक संशोधन कर इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।

किस प्रकार की इमारतें होंगी पुनर्विकास के दायरे में

संरचनात्मक रूप से असुरक्षित घोषित की गई हाइराइज और लो-राइज इमारतें।

वे इमारतें जो 30 साल या उससे अधिक पुरानी हो चुकी हैं।

इमारत की जर्जर स्थिति की पुष्टि IIT/NIT या समकक्ष तकनीकी संस्थान द्वारा की गई हो।

पुनर्विकास की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कम से कम 70% लीज होल्डर्स की सहमति अनिवार्य होगी।

पुनर्विकास की प्रक्रिया

डेवलपर को नोएडा प्राधिकरण से मानचित्र स्वीकृत (Map Approval) कराना होगा।

निर्माण से पूर्व परियोजना को RERA (Real Estate Regulatory Authority) में पंजीकृत कराना आवश्यक होगा।

कार्य पूरा होने पर अधिभोग प्रमाण पत्र (Occupancy Certificate) लेना होगा।

एफएआर (FAR) में मिलेगा इजाफा

नोएडा प्राधिकरण ने यह भी स्पष्ट किया है कि पुनर्विकास के दौरान अतिरिक्त एफएआर (Floor Area Ratio) उपलब्ध कराया जाएगा।

1981 में बनी अधिकांश इमारतों का एफएआर 1.5 था।

वर्तमान में मानक एफएआर 3.5 है।

जर्जर भवनों के पुनर्विकास के दौरान डेवलपर को 2.75 एफएआर तक की अनुमति दी जा सकती है।

इससे डेवलपर्स को अधिक फ्लैट बनाने की सुविधा मिलेगी, जिससे पुनर्विकास की योजना आर्थिक रूप से व्यवहारिक बन सकेगी।

इतिहास और पृष्ठभूमि

नोएडा की स्थापना उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम, 1976 की धारा-3 के तहत की गई थी। 1981 से यहां बहुमंजिला इमारतों का निर्माण शुरू हुआ। उस समय जमीन लीज पर बिल्डरों को दी गई थी, जिन्होंने अपार्टमेंट बनाकर उप-लीज के जरिए बायर्स को बेचा। साथ ही, कम आय वर्ग के लिए प्राधिकरण ने स्वयं ग्रुप हाउसिंग स्कीम के तहत लो-राइज इमारतें बनाई थीं। आज समय के साथ ये इमारतें जर्जर स्थिति में पहुंच गई हैं, जो भूकंप (Earthquake) या अत्यधिक वर्षा जैसे आपदाओं में गंभीर खतरा पैदा कर सकती हैं। ऐसे में इन इमारतों का पुनर्निर्माण समय की आवश्यकता बन चुका है।

निवासियों को मिलेगा लाभ

इस नीति से ना सिर्फ इमारतें नई बनेंगी, बल्कि उसमें रहने वालों को आधुनिक सुविधाएं भी मिलेंगी। रहने का स्तर बेहतर होगा, पार्किंग, लिफ्ट, ग्रीन स्पेस और सुरक्षा जैसी सुविधाओं में भी बढ़ोतरी होगी। नोएडा प्राधिकरण की यह पहल भविष्य के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है, जहां शहर की पुरानी और कमजोर होती संरचनाएं नई ऊर्जा और मजबूती के साथ फिर से खड़ी होंगी।


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