पुरानी गाड़ियों पर रोक की नीति पर फिर से विचार करें: एलजी ने सीएम रेखा गुप्ता को लिखा पत्र

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली, (06 जुलाई 2025): दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को एक विस्तृत और विचारोत्तेजक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में लागू की गई ‘एंड ऑफ लाइफ व्हीकल्स’ (EOLV) नीति पर कई कानूनी, सामाजिक और पर्यावरणीय चिंताएं जताई हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि इस नीति की वर्तमान रूपरेखा पर दोबारा विचार किया जाना चाहिए, ताकि यह संवैधानिक मूल्यों, तकनीकी सच्चाइयों और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप हो सके।

एलजी ने अपने पत्र में बताया कि उन्होंने हाल ही में न केवल मुख्यमंत्री, पर्यावरण मंत्री, पीडब्ल्यूडी मंत्री और मुख्य सचिव से व्यक्तिगत रूप से इस विषय पर चर्चा की है, बल्कि उन्हें सैकड़ों नागरिकों, विशेषज्ञों और जनप्रतिनिधियों से भी फीडबैक मिला है। ये सभी लोग इस बात से चिंतित हैं कि दिल्ली में पुराने वाहनों को लेकर जो नीति लागू की जा रही है, वह व्यावहारिक नहीं है और न ही यह प्रदूषण कम करने में उतनी प्रभावी है, जितनी अपेक्षित थी।

उन्होंने पत्र में इस बात को रेखांकित किया कि इस नीति की वैधानिक नींव मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 और सुप्रीम कोर्ट तथा एनजीटी के विभिन्न आदेशों पर आधारित है, लेकिन केवल दिल्ली जैसे एक भौगोलिक क्षेत्र में इसे लागू करना एकतरफा और भेदभावपूर्ण प्रतीत होता है। उन्होंने लिखा कि अगर दिल्ली में 10 साल पुरानी डीजल गाड़ी गैरकानूनी है, लेकिन वही गाड़ी मुंबई, चेन्नई या कोलकाता में चल सकती है, तो यह संविधान के समानता और न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है।

एलजी ने इस बात पर भी जोर दिया कि वाहन की ‘आयु’ के आधार पर उसे कबाड़ घोषित करना वैज्ञानिक नहीं है। उन्होंने कहा कि एक बीएस-6 मानक पर आधारित गाड़ी की प्रदूषण क्षमता और तकनीकी फिटनेस को बीएस-3 या पुराने मॉडल की गाड़ियों के बराबर नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने बताया कि कई ऐसी गाड़ियां हैं जो बहुत कम चली हैं, बेहतर मेंटेन की गई हैं और आधुनिक मानकों पर खरी उतरती हैं, फिर भी उन्हें जबरन स्क्रैप करने की नीति न सिर्फ अनुचित है बल्कि यह नागरिकों की मेहनत की कमाई का भी अपमान है।

अपने पत्र में उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि यह नीति दिल्ली के नागरिकों के साथ विशेष रूप से अन्यायपूर्ण है। एक ही वाहन अगर गुरुग्राम, नोएडा या गाजियाबाद में वैध है, तो वही दिल्ली में प्रतिबंधित क्यों है? इससे न केवल नागरिकों में असंतोष है बल्कि यह दिल्ली को आर्थिक और सामाजिक रूप से अलग-थलग करने जैसा है। उन्होंने यह भी चिंता जताई कि यह नीति मध्यवर्गीय लोगों पर सबसे अधिक बोझ डालती है, जिन्होंने अपनी जीवन भर की बचत से वाहन खरीदा है और अब उसे स्क्रैप के दामों पर बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है।

एलजी ने दिल्ली सरकार से आग्रह किया है कि वह सीएक्यूएम (CAQM) से इस नीति पर फिर से विचार करने की मांग करे और तब तक इन निर्देशों को स्थगित रखने की बात करे, जब तक कि पूरा एनसीआर क्षेत्र इस नीति को समान रूप से लागू करने के लिए तैयार न हो जाए। साथ ही, उन्होंने केंद्रीय परिवहन मंत्रालय को पत्र लिखकर 2021 के स्क्रैपिंग नियमों पर पुनर्विचार की सलाह भी दी है। एलजी का मानना है कि इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी दोबारा प्रस्तुत किया जाना चाहिए, ताकि कोर्ट को यह बताया जा सके कि अब दिल्ली में बुनियादी ढांचे में काफी सुधार हुआ है।

उन्होंने पत्र में उल्लेख किया कि हाल के महीनों में दिल्ली सरकार, नगर निगम और केंद्र सरकार ने मिलकर कई महत्वपूर्ण पर्यावरणीय कदम उठाए हैं। इनमें सार्वजनिक परिवहन का विस्तार, सड़क धूल को कम करने के लिए यांत्रिक सफाई, एंटी-स्मॉग गन और एयर मिस्ट सिस्टम की तैनाती, फुटपाथों की मरम्मत और पौधारोपण जैसे कदम शामिल हैं। इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहन नीति और वाहनों को सीएनजी या इलेक्ट्रिक में बदलने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने की योजना भी लागू की जा रही है।

एलजी का कहना है कि प्रदूषण से लड़ना सभी की साझी ज़िम्मेदारी है, लेकिन नीति-निर्माण में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कानूनी स्पष्टता, निष्पक्षता और सामाजिक संवेदनशीलता बनी रहे। उन्होंने यह भी कहा कि पिछली सरकार ने फरवरी 2024 में सिर्फ वाहनों को स्क्रैप करने पर जोर दिया, लेकिन प्रदूषण से निपटने के लिए कोई समग्र रणनीति नहीं बनाई। अब समय है कि सरकार एक व्यापक कार्य योजना बनाए, जिसमें सार्वजनिक परिवहन, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, निर्माण धूल नियंत्रण, ट्रैफिक प्रबंधन, वृक्षारोपण और रेट्रोफिटिंग जैसे सभी पहलुओं को शामिल किया जाए।।


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