कैलाश में सिक्स सिग्मा की वापसी, डोलमा पास पर पहली ‘माउंटेन मेडिसिन’ सेवा

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (03 जुलाई 2025): पाँच वर्षों के अंतराल के बाद, भारत की प्रतिष्ठित उच्च हिमालयन चिकित्सा संस्था सिक्स सिग्मा हाई एल्टिट्यूड मेडिकल सर्विसेज एक बार फिर कैलाश मानसरोवर यात्रा में लौट आई है। इस बार यह वापसी सिर्फ एक सेवा नहीं, बल्कि भारतीय चिकित्सा क्षमता, साहस, आस्था और सेवा संकल्प की ऐतिहासिक गाथा है। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की विशेष पहल पर नाथू-ला रूट (सिक्किम) से भेजी जा रही यह मेडिकल टीम डोलमा दर्रे (Dolma Pass) की 19,300 फीट ऊँचाई पर सेवाएँ देगी, जोकि पहली बार भारत की ओर से चीन सीमा के इतने नजदीक चिकित्सा सेवा की ऐतिहासिक तैनाती है।

सिक्स सिग्मा की यह टीम उस कठिन स्थल पर तैनात रहेगी जिसे विश्व के सबसे ऊँचे और दुर्गम दर्रों में गिना जाता है। यहाँ भारतीय तिरंगा चिकित्सा के माध्यम से तिब्बत की पहाड़ियों पर लहराएगा, एक ऐसा प्रयास जो भारत की उच्च हिमालयन सेवा शक्ति का प्रतीक है। डोलमा पास की सेवा न केवल श्रद्धालुओं के लिए जीवनरक्षक होगी, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की सामर्थ्य और संवेदनशीलता का भी परिचायक बनेगी।

यह वही सिक्स सिग्मा है जो अमरनाथ, केदारनाथ, बद्रीनाथ, तुंगनाथ, सियाचिन, भारत-नेपाल-तिब्बत सीमा, महाकुंभ और राम जन्मभूमि अयोध्या तक कठिनतम परिस्थितियों में लाखों श्रद्धालुओं, यात्रियों और जवानों को आपातकालीन चिकित्सा सेवा प्रदान कर चुकी है। यह टीम सैन्य, अर्धसैनिक और पर्वत चिकित्सा शैली में प्रशिक्षित है।

इस बार की यात्रा के लिए भारत सरकार ने विशेष रूप से जिन विशेषज्ञों का चयन किया है, उनमें प्रमुख हैं, डॉ. प्रदीप भारद्वाज (संस्थापक व सीईओ), जो पिछले 25 वर्षों से उच्च हिमालय में सेवा दे रहे हैं,
डॉ. अनीता भारद्वाज (मेडिकल डायरेक्टर), जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जा चुका है,
डॉ. सपना बुढलाकोटी (एसोसिएट कंसल्टेंट), जो उच्च पर्वतीय चिकित्सा में प्रशिक्षित हैं,
तथा लक्की बुढलाकोटी, जो सेवा समन्वय की भूमिका निभा रहे हैं।

डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने इस पहल को ‘ईश्वर की पुकार’ बताते हुए कहा कि “कैलाश यात्रा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, यह आस्था, साहस और सेवा का संगम है। हम हर तीर्थयात्री की सुरक्षा हेतु जीवन समर्पित करते हैं।”

कैलाश पर्वत को हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों में परम पवित्र माना जाता है। वैज्ञानिक इसे पृथ्वी का ऊर्जा केंद्र मानते हैं। डोलमा दर्रे पर देखी जाने वाली 7 रहस्यमयी दिव्य रोशनियाँ, हिम मानव, दुर्लभ औषधियाँ और कस्तूरी मृग यहाँ की विशेष पहचान हैं। यही वह स्थल है जहाँ से चार पवित्र नदियाँ ब्रह्मपुत्र, सिंधु, सतलज और करनाली जन्म लेती हैं।

मानसरोवर झील भी शिव की चेतना की झील मानी जाती है। समुद्र तल से 15,060 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह झील विश्व की सबसे ऊँची मीठे पानी की झीलों में एक है। इसे शिव के “मानस” से उत्पन्न माना गया है।

सिक्स सिग्मा का लक्ष्य है, हर तीर्थयात्री तक वैज्ञानिक, सशक्त और सुरक्षित चिकित्सा सेवा पहुँचना, चाहे वह कैलाश की चोटी हो या मानसरोवर की तटरेखा। यह केवल सेवा नहीं, यह भारतीय आत्मा की ऊँचाई को विश्व के सामने प्रस्तुत करने का प्रयास है।।


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