दिल्ली में पुराने वाहनों पर बवाल, कांग्रेस ने उठाई 20 साल तक चलाने की मांग
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (02 जुलाई 2025): दिल्ली में 1 जुलाई 2025 से लागू हुए पुराने वाहनों पर प्रतिबंध को लेकर सियासी विवाद गहराता जा रहा है। अब 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को राजधानी में ईंधन नहीं मिलेगा। इस फैसले से आम लोगों में भारी असंतोष है। दिल्ली कांग्रेस ने इस नीति को “अन्यायपूर्ण और अव्यवहारिक” करार देते हुए केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों पर जनता के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया है। पार्टी की मांग है कि जो वाहन फिटनेस और प्रदूषण जांच (PUC) में खरे उतरते हैं, उन्हें 20 साल तक चलने की अनुमति दी जाए।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता डॉ. नरेश कुमार ने कहा कि यह नीति आम लोगों को आर्थिक रूप से बर्बाद करने की साजिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार वाहन निर्माता कंपनियों से मिलीभगत कर पुरानी लेकिन फिट गाड़ियों को जबरन कबाड़ घोषित करवा रही है, ताकि नई गाड़ियों की बिक्री को बढ़ावा दिया जा सके। कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि अगर यह नीति वापस नहीं ली गई, तो पार्टी जन आंदोलन छेड़ेगी। नरेश कुमार ने यह भी कहा कि ऐसे सभी वाहन मालिकों को उचित मुआवजा और टैक्स में छूट दी जाए जिनकी गाड़ियां जब्त की गई हैं।
कांग्रेस नेताओं ने यह भी तर्क दिया कि बीएस-2 से बीएस-6 तक के मानकों को पूरा करने वाले वाहनों को भी इस नीति में बिना किसी वैज्ञानिक आधार के खारिज कर दिया गया है। पार्टी ने पूछा कि अगर गाड़ी प्रदूषण मानकों को पूरा कर रही है और फिटनेस जांच में पास हो रही है, तो उसे क्यों कबाड़ में तब्दील किया जाए? नरेश कुमार का कहना है कि सरकार तर्क और विज्ञान की जगह कंपनियों के मुनाफे को प्राथमिकता दे रही है।
इस बीच दिल्ली सरकार ने पुराने वाहनों से होने वाले प्रदूषण का हवाला देते हुए अपनी नीति का बचाव किया है। सरकार का कहना है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) और दिल्ली हाईकोर्ट के पुराने आदेशों के मुताबिक ही यह फैसला लिया गया है। वर्ष 2018 के हाईकोर्ट के निर्देशों और 2014 में NGT द्वारा दिए गए आदेशों में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों को दिल्ली की सड़कों से हटाया जाए। इन आदेशों के आधार पर ही पेट्रोल पंपों पर ईंधन देने से रोक लागू की गई है।
हालांकि कांग्रेस इस नीति को जनविरोधी बताते हुए सरकार पर दबाव बना रही है। पार्टी की मांग है कि मौजूदा नियमों की समीक्षा की जाए और तकनीकी रूप से ठीक गाड़ियों को कम से कम 20 साल तक चलाने की अनुमति दी जाए। विशेषज्ञों का भी मानना है कि आधुनिक वाहनों में प्रदूषण नियंत्रण तकनीक काफी बेहतर हो चुकी है, इसलिए फिटनेस पास गाड़ियों को बंद करना वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी उचित नहीं। अब देखना होगा कि सरकार इस राजनीतिक और सामाजिक दबाव के आगे अपने फैसले पर पुनर्विचार करती है या नहीं।
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