दिल्ली अस्पताल घोटाला: ACB ने सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज पर कसा शिकंजा, केस दर्ज
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (26 जून 2025): दिल्ली में स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े कथित हजारों करोड़ के घोटाले की जांच अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों सत्येंद्र जैन (Satyendar Jain) और सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bharadwaj) के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17A के तहत मामला दर्ज कर लिया है। मामला दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य अवसंरचना परियोजनाओं से जुड़ा है, जिनमें 2018-19 के दौरान करीब 5,590 करोड़ रुपये की लागत से 24 अस्पतालों के निर्माण को मंजूरी दी गई थी। इन परियोजनाओं में अनावश्यक देरी, असाधारण लागत वृद्धि और बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों की पुष्टि जांच एजेंसी ने की है।
जांच में सामने आया है कि दिल्ली भर के सरकारी अस्पतालों, पॉलीक्लिनिकों और ICU निर्माण में अनियमितताएं, बिना मंजूरी के अतिरिक्त निर्माण, धन का दुरुपयोग और अनुबंधों में घोर लापरवाही बरती गई। ज्वालापुरी और मादीपुर अस्पतालों में बिना सक्षम अधिकारियों की मंजूरी के अतिरिक्त निर्माण हुआ। मादीपुर अस्पताल, जो नवंबर 2022 तक पूरा होना था, अभी भी अधूरा पड़ा है। इसी तरह ICU अस्पतालों की लागत दोगुनी हो गई है, जबकि उनके निर्माण कार्य समय से काफी पीछे हैं।
पूर्व स्वास्थ्य मंत्रि पर आरोप है कि उन्होंने बजट में हेरफेर, सार्वजनिक धन के दुरुपयोग और निजी ठेकेदारों के साथ मिलीभगत कर कई परियोजनाओं में गड़बड़ी की। वर्ष 2024 में तत्कालीन विपक्ष नेता विजेंद्र गुप्ता द्वारा दर्ज कराई गई विस्तृत शिकायत के बाद इस घोटाले की जांच शुरू हुई थी। शिकायत में यह भी कहा गया कि बिना किसी वैध कारण के HIMS प्रणाली को लागू नहीं किया गया, जिससे स्वास्थ्य विभाग में पारदर्शिता की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा।
LNJP अस्पताल में न्यू ब्लॉक का निर्माण, जिसे ₹488 करोड़ में पूरा होना था, उसकी लागत चार साल में बढ़कर ₹1,135 करोड़ हो गई, और अब भी निर्माण अधूरा है। इसी तरह, पॉलीक्लिनिक प्रोजेक्ट में ₹168 करोड़ से बढ़कर ₹220 करोड़ की लागत आई, लेकिन 94 में से केवल 52 क्लीनिक ही बन सके। इनमें से भी कई अब तक चालू नहीं हो पाए हैं, जिससे आम जनता को सीधे तौर पर नुकसान हुआ है।
ACB की रिपोर्ट के अनुसार, जांच में कई परियोजनाओं में नियमों और टेंडर प्रक्रियाओं का जानबूझकर उल्लंघन पाया गया। देरी, महंगे ठेके, निष्क्रिय परिसंपत्तियों का निर्माण और किफायती समाधान को नजरअंदाज करने जैसे मामलों ने सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया। रिपोर्ट में बताया गया है कि निर्माण एजेंसियों को बिना जवाबदेही के अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
हैरान करने वाली बात यह है कि ICU प्रोजेक्ट के तहत जिन सात केंद्रों में 6,800 बिस्तरों की व्यवस्था होनी थी, वे अब तक केवल 50% ही पूरे हो सके हैं, जबकि 800 करोड़ रुपये पहले ही खर्च हो चुके हैं। इन प्रोजेक्ट्स की तय समय सीमा केवल छह महीने थी, लेकिन अब तीन साल बीत चुके हैं और काम अधूरा है। इससे आम नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
अब जब पूर्व मंत्रियों के खिलाफ ACB ने विधिवत अनुमति प्राप्त कर केस दर्ज कर लिया है, दिल्ली की सियासत में हलचल मच गई है। यह मामला केजरीवाल सरकार की छवि और दिल्ली के स्वास्थ्य मॉडल पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। आने वाले दिनों में यह केस राजधानी की राजनीति और स्वास्थ्य सेवाओं दोनों पर दूरगामी असर डाल सकता है।
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