गलगोटियास विश्वविद्यालय में अध्यात्मिक गुरू दाजी ने किया भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र का उद्घाटन
ग्रेटर नोएडा, 13 जून: गलगोटियास विश्वविद्यालय के एआईडीएस ब्लॉक स्थित पुस्तकालय में भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र का शुभारंभ विश्वविख्यात आध्यात्मिक गुरु कमलेश डी. पटेल (दाजी) के करकमलों द्वारा हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के वरिष्ठ पदाधिकारियों, छात्र-छात्राओं और अध्यापकों की उपस्थिति रही।
कार्यक्रम की शुरुआत में दाजी ने भारतीय प्राचीन ग्रंथों जैसे वेद, उपनिषद, पुराण आदि की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने भगवद्गीता के दूसरे अध्याय के दसवें श्लोक का उल्लेख करते हुए आत्मा, जन्म और मृत्यु के सिद्धांत को सरल उदाहरणों के माध्यम से समझाया। उन्होंने कहा, “जीवन में यदि वास्तविक परिवर्तन लाना है, तो चेतना में परिवर्तन आवश्यक है, और यह केवल सही आध्यात्मिक साधनाओं के माध्यम से संभव है।”
दाजी ने चेतना और अवचेतन मन की शक्ति पर चर्चा करते हुए बताया कि हमारे विचारों की दिशा इन्हीं के प्रभाव से निर्धारित होती है। उन्होंने वैज्ञानिकों के उदाहरण देकर समझाया कि कैसे शांति और ध्यान जैसे तत्व महान खोजों में सहायक रहे हैं — चाहे वह आइंस्टाइन की सापेक्षता सिद्धांत हो, मेंडलेव की आवर्त सारणी हो या बेंजीन संरचना की खोज।
चेतना का विस्तार कैसे करें?
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुनील गलगोटिया ने स्वागत भाषण में विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के चेतना संबंधी विचारों की विस्तृत व्याख्या की और ध्यान को जीवन में आवश्यक बताया।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. ध्रुव गलगोटिया ने दाजी के सामाजिक चेतना जागरण अभियान की सराहना की और छात्रों से जीवन-मूल्य, मानसिक स्वास्थ्य और विकास हेतु ध्यान एवं क्रिटिकल थिंकिंग को अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा, “अनुभव, विश्वास से भी अधिक प्रभावशाली होता है।”
द बायोलॉजी ऑफ बिलीफ और 20 मिनट का ध्यान
दाजी ने डॉ. ब्रूस लिप्टन की पुस्तक “The Biology of Belief” पढ़ने की सलाह देते हुए बताया कि गर्भावस्था के दौरान मां की मानसिक स्थिति शिशु के मानसिक विकास को प्रभावित करती है — और यह बात वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुकी है। इसके पश्चात दाजी के मार्गदर्शन में 20 मिनट का ध्यान सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें छात्रों ने गहन सहभागिता दिखाई।
छात्रों के सवाल और हार्टफुलनेस प्रदर्शन
छात्रों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देते हुए दाजी ने भारतीय दर्शन और पाश्चात्य विचारधारा के बीच अंतर को रेखांकित किया और कहा कि “विचारों की शक्ति दोधारी होती है — वे निर्माण भी कर सकते हैं और विनाश भी। यह हम पर निर्भर करता है कि हम किस दिशा में उन्हें उपयोग में लाते हैं।”
कार्यक्रम की शुरुआत Heartfulness Campus App की टीम द्वारा प्रशिक्षित छात्रों के माध्यम से स्किल प्रदर्शन के साथ हुई, जिसमें छात्रों ने आँखों पर पट्टी बांधकर सेंसरी स्किल्स का अद्भुत प्रदर्शन किया। इस दौरान सुनील गलगोटिया और डॉ. ध्रुव गलगोटिया ने मुख्य अतिथि दाजी का स्वागत पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर किया।
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