नई दिल्ली (06 जून 2025): दिल्ली सरकार के स्कूलों में कक्षाओं के निर्माण में कथित भ्रष्टाचार को लेकर भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने अपनी जांच तेज कर दी है। इसी क्रम में शुक्रवार को पूर्व लोक निर्माण मंत्री सत्येंद्र जैन को पूछताछ के लिए एसीबी मुख्यालय बुलाया गया है। वहीं, पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को 9 जून को पेश होने का समन भेजा गया है। एसीबी ने अप्रैल माह में दोनों पूर्व मंत्रियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। इन पर आरोप है कि सरकारी स्कूलों में कक्षाओं के निर्माण में अनियमितता और बजट से अधिक खर्च हुआ। जांच एजेंसी इस बात की तह में जा रही है कि निर्माण प्रक्रिया में पारदर्शिता क्यों नहीं रखी गई। दोनों पूर्व मंत्रियों से अलग-अलग पूछताछ कर घोटाले से जुड़ी जिम्मेदारियों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है।
ACB की यह कार्रवाई बीजेपी नेता हरीश खुराना की शिकायत पर शुरू हुई, जिसमें उन्होंने 2,000 करोड़ रुपये के कथित घोटाले का आरोप लगाया। शिकायत के अनुसार, दिल्ली सरकार के कार्यकाल के दौरान 12,748 कक्षाओं/भवनों के निर्माण में भारी वित्तीय अनियमितताएं हुईं। आरोप है कि जिन कक्षाओं का निर्माण आरसीसी स्ट्रक्चर से होना था, उनकी जगह सेमी-पेव्ड स्ट्रक्चर बनाए गए, जिनकी उम्र काफी कम है। इसके बावजूद निर्माण की लागत में बेतहाशा वृद्धि हुई और समय सीमा के भीतर प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो सके। साथ ही टेंडर प्रक्रिया को नजरअंदाज कर मनमाने तरीके से ठेकेदारों, सलाहकारों और वास्तुकारों की नियुक्ति की गई। शिकायत में यह भी कहा गया कि यह ठेके आम आदमी पार्टी से जुड़े लोगों को दिए गए थे।
केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) की मुख्य तकनीकी परीक्षक (CTE) रिपोर्ट ने भी इस मामले में कई विसंगतियों की ओर इशारा किया था। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि निर्माण कार्य में गुणवत्ता और लागत दोनों को लेकर गंभीर लापरवाही बरती गई। रिपोर्ट को तत्कालीन दिल्ली सरकार ने लगभग तीन वर्षों तक सार्वजनिक नहीं होने दिया, जो जांच एजेंसियों के अनुसार गंभीर संकेत हैं। सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि कई कार्य बिना किसी नियोजित योजना या मानकों के किए गए थे। निर्माण की लागत को जानबूझकर बढ़ाया गया और तकनीकी सलाह लेने की प्रक्रिया में भी पारदर्शिता नहीं बरती गई। अब CVC रिपोर्ट भी ACB जांच का एक अहम हिस्सा बन चुकी है।
इस घोटाले को लेकर सतर्कता निदेशालय की ओर से भी विस्तृत जांच की गई थी, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि सरकारी स्कूलों में जिन कक्षाओं का निर्माण हुआ, वह निर्धारित दरों से कहीं अधिक पर किया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि निर्माण की स्वीकृति जिन शर्तों पर मिली थी, वह बाजार मूल्य से मेल नहीं खाती। साथ ही, टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी, कार्य पूर्ण न होना और ठेकेदारों के चयन में पक्षपात के आरोपों को भी बल मिला है। ACB इन सभी पहलुओं की पुष्टि करने के लिए वित्तीय दस्तावेज, परियोजना की फाइलें और अधिकारियों से भी पूछताछ कर रही है। दिल्ली सरकार की इस परियोजना की पारदर्शिता पर अब कई गंभीर सवाल खड़े हो चुके हैं।
ACB की पूछताछ और कानूनी कार्यवाही से आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि यह मामला केवल प्रशासनिक चूक तक सीमित नहीं है, बल्कि राजनीतिक रूप से भी गंभीर है। दिल्ली की जनता के लिए स्कूलों के निर्माण से जुड़ी यह योजना अब घोटाले के दायरे में आ चुकी है। पार्टी ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है, लेकिन जांच एजेंसियों का कहना है कि पर्याप्त साक्ष्य मिलने के बाद ही समन जारी किए गए हैं। अब ACB की पूछताछ के बाद आगे की कार्रवाई की दिशा तय होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जांच में किसी और वरिष्ठ नेता का नाम भी सामने आता है। फिलहाल देशभर की निगाहें इस घोटाले की जांच और उससे जुड़ी संभावित गिरफ़्तारियों पर टिकी हुई हैं।
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