शिक्षा में प्राइवेट संस्थानों का 50% योगदान रहेगा: शारदा यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति पी.के. गुप्ता
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली, 17 दिसंबर, 2024: “भारत में उच्च शिक्षा के परिवर्तन में निजी क्षेत्र की भूमिका” पर राउंड टेबल चर्चा और सांसदों व विधायकों के रूप में चुने गए शैक्षिक उद्यमियों के लिए सम्मान कार्यक्रम नई दिल्ली के द पार्क होटल में आयोजित किया गया। एजुकेशन प्रमोशन सोसाइटी फॉर इंडिया (EPSI) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में प्रमुख शिक्षाविद, नीति निर्माता और शिक्षा क्षेत्र के हितधारक भारत की उच्च शिक्षा में परिवर्तन लाने वाली प्रमुख पहलों पर चर्चा के लिए एकत्रित हुए।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुई। इसके बाद ईपीएसआई के महासचिव पी. पलानीवेल ने स्वागत भाषण दिया। ईपीएसआई के अध्यक्ष और रामैया विश्वविद्यालय के चांसलर, डॉ. एम.आर. जयराम ने शिक्षा में सहयोगात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया। राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए) के अध्यक्ष प्रो. अनिल डी. सहस्रबुद्धे ने कहा, “जब सभी हितधारक मिलकर काम करेंगे, तो हमारे छात्रों को बेहतर मंच मिलेगा।”
शारदा यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति पी.के. गुप्ता ने बताया कि पूरी दुनिया में सरकारी संस्थानों की तुलना में प्राइवेट संस्थानों का योगदान अधिक रहा है। उन्होंने कहा, “हमने भारत सरकार को भी कई सुझाव भेजे हैं। मेरा मानना है कि आने वाले समय में 50% योगदान प्राइवेट क्षेत्र का ही रहेगा। भारत की आबादी 1.4 बिलियन है, और अभी भी यहां 80 करोड़ लोग प्रधानमंत्री अन्न योजना पर निर्भर हैं। अगर 2050 तक हमारी अर्थव्यवस्था 30 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचती है, तो यहां विकास की अपार संभावनाएं हैं।”
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बारे में अपनी राय व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि मैं इस मामले में थोड़ा रूढ़िवादी हूं। शिक्षा और सीखने के लिए ‘आंखों से आंखों का संपर्क’ (eye-to-eye contact) बहुत जरूरी है। आप भले ही सुबह से शाम तक सोशल मीडिया पर सक्रिय रहें और आपके हजारों फॉलोअर्स हों, लेकिन इसके बावजूद आप खुद को अकेला महसूस करते हैं। शिक्षक और छात्र के बीच का रिश्ता ईश्वर प्रदत्त है। जिस तरह माता-पिता के बिना बच्चा बड़ा नहीं हो सकता, उसी तरह शिक्षक के बिना शिक्षा पूरी नहीं हो सकती।”
उन्होंने आगे कहा, “हालांकि, इन तकनीकों का सही उपयोग समय बचाने में मदद करता है। हमारे समय में हमें जानकारी प्राप्त करने के लिए लाइब्रेरी में पूरा दिन बिताना पड़ता था, लेकिन आज AI के माध्यम से हम यह जानकारी कुछ ही मिनटों में प्राप्त कर सकते हैं।”
शिक्षा सुधारों के बिना प्रगति रुक सकती है : पी के गुप्ता , कुलाधिपति , शारदा विश्वविद्यालय | EPSI
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पी.के. गुप्ता ने कहा कि Educational Tribunals Bill, 2010 के स्थगन के लिए , डॉ अशोक मित्तल और मैंने लगभग चार साल संसद में बिताए, चर्चाओं में भाग लिया और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। हमने भाजपा, डीएमके और एआईएडीएमके सहित सभी पार्टियों से संपर्क किया और हर जगह से समर्थन जुटाया। यह ईपीएसआई के लिए और व्यक्तिगत रूप से हमारे लिए सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है कि हम संसद में इस बिल को स्थगित करने में कामयाब हुए। उस समय शिक्षा क्षेत्र से सांसद नहीं थे, जैसा कि आज हैं। हमें आज भी रोज़ाना चुनौतियों का सामना करता हूं, चाहे वह राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार, और कभी-कभी इसमें लंबा समय लग जाता है। यदि प्राइवेट शिक्षा का उदय नहीं हुआ होता, तो हम आज जहां हैं , वहां नहीं होते। प्राइवेट शिक्षा क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख योगदानकर्ता है। प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों से स्नातक होने वाले लाखों इंजीनियर इस देश के लिए राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गए हैं। भारत एक विकसित और अग्रणी राष्ट्र बनने की आकांक्षा रखता है, लेकिन शिक्षा सुधारों के बिना प्रगति रुकी हुई रहेगी।
कार्यक्रम के समापन पर, प्रतिभागियों ने भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने और इसे सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़े रखने की प्रतिबद्धता जताई।।
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