जातिगत जनगणना की राहुल गांधी ने किया स्वागत, मोदी सरकार से कर दी ये बड़ी मांग
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (30 अप्रैल 2025): लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना को राष्ट्रीय जनगणना में शामिल किए जाने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस फैसले का पूरी तरह समर्थन करती है, लेकिन सरकार को यह भी बताना चाहिए कि यह प्रक्रिया कब तक पूरी होगी। राहुल गांधी ने कहा कि बिहार और तेलंगाना के मॉडल में भारी अंतर है और तेलंगाना का मॉडल पूरे देश के लिए ब्लूप्रिंट बन सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस इस जनगणना को डिज़ाइन करने में केंद्र सरकार की मदद करेगी। उनका कहना है कि यह केवल जनगणना नहीं, बल्कि एक सामाजिक बदलाव की शुरुआत है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इसके बाद अगला कदम संस्थाओं में प्रतिनिधित्व की जांच होगी।
राहुल गांधी ने कहा कि जातिगत जनगणना एक दरवाजा खोलने जैसा है, जिससे विकास की नई दिशा तैयार की जा सकती है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने पूरे देश में इस मुद्दे को जमीनी स्तर पर उठाया और अभियान चलाया। सरकार का यह निर्णय उसी अभियान का नतीजा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि गिग वर्कर्स की लिस्ट में ज्यादातर दलित, OBC और आदिवासी होते हैं, लेकिन कॉरपोरेट स्ट्रक्चर में इनकी हिस्सेदारी लगभग न के बराबर है। इसका अर्थ है कि दो भारत बन रहे हैं—एक समृद्ध वर्ग और दूसरा संघर्षरत वर्ग। राहुल ने कहा कि यह विभाजन खतरनाक है और इसे सुधारने के लिए जातिगत जनगणना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि देश में मजदूरी, गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रहे वर्गों में ज्यादातर दलित, पिछड़े और आदिवासी हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ गिने-चुने पूंजीपति देश के संसाधनों और निर्णय लेने की ताकत को नियंत्रित कर रहे हैं। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि देश की सत्ता संरचना पूरी तरह से असंतुलित हो गई है। उन्होंने जोर दिया कि जब तक यह असमानता दूर नहीं होती, तब तक भारत एकजुट और विकसित नहीं हो सकता। जातिगत जनगणना इस असमानता को पहचानने और दूर करने का पहला कदम है। उन्होंने इसे सामाजिक न्याय और समान अवसरों की ओर बढ़ाया गया एक ऐतिहासिक कदम बताया।
राहुल गांधी ने संसद में कहा कि कांग्रेस तब तक पीछे नहीं हटेगी जब तक कि जातिगत जनगणना पूरी नहीं होती। उन्होंने यह भी दोहराया कि आरक्षण की 50% सीमा को तोड़ना अब जरूरी हो गया है। उनका कहना है कि यदि ओबीसी, दलित और आदिवासी वर्गों की वास्तविक जनसंख्या का पता नहीं होगा, तो उन्हें उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार केवल घोषणा करके नहीं बच सकती, उसे समयसीमा और ठोस योजनाएं भी देनी होंगी। उन्होंने यह भी कहा कि पिछली सरकारों ने इस विषय को नजरअंदाज किया है, लेकिन अब देश बदलाव की मांग कर रहा है। कांग्रेस इस बदलाव की अगुवाई करने को तैयार है।
उन्होंने मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री पहले कहते थे कि देश में केवल चार जातियां हैं, लेकिन अब उन्होंने खुद जातिगत जनगणना की घोषणा की है। राहुल ने इसे जन दबाव और विपक्ष की सच्ची राजनीति का असर बताया। उन्होंने कहा कि यह फैसला भले सरकार का हो, लेकिन इसकी नींव कांग्रेस ने रखी थी। कांग्रेस ने इसे अपने घोषणापत्र में शामिल किया था और पूरे देश में इसके लिए समर्थन जुटाया था। राहुल ने कहा कि अब सरकार को इसे केवल राजनीति तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि इसे ज़मीन पर उतारना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि इस मुद्दे पर पूरा विपक्ष एकजुट है।
जातिगत जनगणना को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि इससे यह भी स्पष्ट होगा कि देश के संस्थानों में किन वर्गों की कितनी भागीदारी है। चाहे वो विश्वविद्यालय हों, नौकरशाही हो, न्यायपालिका या मीडिया – हर क्षेत्र में प्रतिनिधित्व का सवाल उठना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आज भी वंचित तबके इन संस्थानों में नजर नहीं आते, जबकि देश की आबादी में उनकी संख्या बड़ी है। यह आंकड़े न केवल असमानता को दिखाएंगे, बल्कि नीति निर्माण में भी मदद करेंगे। राहुल ने कहा कि जब तक प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा, तब तक सामाजिक न्याय अधूरा रहेगा। उन्होंने इसे लोकतंत्र की मजबूती से जोड़ा।
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से मांग की कि सरकार जातिगत जनगणना के कार्यान्वयन की स्पष्ट टाइमलाइन दे। उन्होंने कहा कि केवल घोषणा कर देने से काम नहीं चलेगा, उसे लागू करने की प्रतिबद्धता भी दिखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोग जानना चाहते हैं कि डेटा कब आएगा, रिपोर्ट कब तैयार होगी और उसका उपयोग कब होगा। राहुल गांधी ने कहा कि सरकार को इस प्रक्रिया को पारदर्शी और न्यायसंगत बनाना चाहिए। कांग्रेस इस पूरी प्रक्रिया में हरसंभव सहयोग देगी। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार एक विशेषज्ञ समिति बनाकर इस जनगणना का ढांचा तैयार करे।
राहुल गांधी ने तेलंगाना मॉडल की तारीफ करते हुए कहा कि वहां जातिगत आंकड़ों को व्यवस्थित तरीके से इकट्ठा किया गया है। यह मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर अपनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बिहार मॉडल भी अहम है लेकिन उसमें कुछ खामियां थीं, जिन्हें तेलंगाना में दूर किया गया। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार इस ब्लूप्रिंट को माने और राज्य सरकारों से समन्वय करे, तो एक सटीक और व्यापक जातिगत जनगणना संभव है। राहुल ने चेताया कि यह काम जल्द शुरू नहीं हुआ, तो मुद्दा फिर राजनीतिक विवाद में फंस जाएगा। इसलिए समय रहते इसे गंभीरता से लागू करना होगा।
राहुल गांधी ने एक बार फिर दोहराया कि कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में अनुच्छेद 15(5) के तहत निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने का वादा किया था। उन्होंने कहा कि यह पहले से कानून में है, लेकिन लागू नहीं किया गया। उन्होंने सरकार से अपील की कि इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए। उनका मानना है कि केवल सरकारी संस्थानों में आरक्षण से वंचित तबकों को पूरा न्याय नहीं मिल सकता। निजी शिक्षा संस्थानों में अवसर बढ़ाकर ही संतुलन लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम होगा। कांग्रेस इस पर पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
राहुल गांधी ने आतंकवादी हमलों के पीड़ितों के परिवारों के लिए भी अपनी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि उन्होंने कानपुर जाकर आतंकी हमले में मारे गए शुभम द्विवेदी के परिवार से मुलाकात की। राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने परिवार को आश्वासन दिया कि जिन्होंने यह हमला किया है, उन्हें सख्त सजा मिलेगी। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि इस मुद्दे पर पूरे देश को एकजुट होकर निर्णायक कदम उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विपक्ष इस मुद्दे पर पूरी तरह सरकार के साथ है। साथ ही उन्होंने शुभम को ‘शहीद’ का दर्जा देने की मांग भी उठाई।
राहुल गांधी ने कहा कि देश में विकास तभी होगा, जब हर वर्ग को बराबरी का हक मिलेगा। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना उस दिशा में पहला कदम है, जो वर्षों से रुका हुआ था। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ आर्थिक विकास ही काफी नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय भी उतना ही जरूरी है। राहुल ने सरकार से मांग की कि अब वह विकास के इस नए मॉडल को स्वीकार करे और इसके लिए ठोस कार्ययोजना सामने लाए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस इस संघर्ष को हर मंच पर जारी रखेगी। यह सिर्फ राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक आंदोलन है।
अंत में राहुल गांधी ने कहा कि हम केवल समर्थन नहीं कर रहे, बल्कि सरकार को दिशा भी दे रहे हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह केवल आंकड़ों तक सीमित न रहे, बल्कि उसका उपयोग नीतियों के निर्माण में करे। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारत की प्रगति इस बात पर निर्भर करेगी कि हम अपने समाज को कितना समावेशी बना पाते हैं। जातिगत जनगणना इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने फिर दोहराया कि कांग्रेस सरकार की मदद करने को तैयार है, बशर्ते सरकार ईमानदारी से इस कार्य को आगे बढ़ाए। संसद, सड़क और समाज—हर स्तर पर कांग्रेस इस मुद्दे को उठाएगी।
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