UPSC अभ्यर्थियों की मौत के मामले में CBI ने दाखिल किया चार्जशीट, किसे बनाया आरोपी?

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (30 मई 2025): दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में डूबकर तीन UPSC अभ्यर्थियों की दर्दनाक मौत के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने अपनी जांच पूरी कर ली है। दिल्ली हाईकोर्ट में पेश होकर CBI ने बताया कि एजेंसी ने एक पूरक आरोपपत्र दाखिल किया है, जिसमें दिल्ली नगर निगम (MCD) के एक अधिकारी और दिल्ली अग्निशमन सेवा के दो अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है। यह जानकारी उस जनहित याचिका के जवाब में दी गई, जो सामाजिक संगठन ‘कुटुंब’ की ओर से अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह द्वारा दाखिल की गई थी। याचिका में घटना की उच्च स्तरीय जांच और जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने की मांग की गई थी।

यह हादसा 27 जुलाई 2023 को हुआ था, जब भारी बारिश के कारण राव आईएएस स्टडी सर्कल के बेसमेंट में पानी भर गया था। यहां मौजूद तीन युवा अभ्यर्थी तान्या सोनी, श्रेया यादव और नेविन डेल्विन वहीं फंस गए और डूबने से उनकी मौत हो गई। जिस जगह पर यह त्रासदी घटी, वह क्षेत्र भवन नियमों के मुताबिक केवल पार्किंग या स्टोरेज के लिए स्वीकृत था, लेकिन वहां अवैध रूप से एक लाइब्रेरी चलाई जा रही थी। फायर सेफ्टी मानकों की अनदेखी और प्रशासनिक लापरवाही ने इन तीनों होनहार छात्रों की ज़िंदगी लील ली।

गुरुवार को हुई सुनवाई में जब मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ के सामने CBI की रिपोर्ट पेश की गई, तो MCD और PWD के बीच भी तीखी बहस हुई। MCD के वकील मनु चतुर्वेदी ने कोर्ट को बताया कि बड़ा बाजार जैसे निचले इलाकों से बारिश का पानी निकालने की व्यवस्था MCD ने पूरी कर ली है, लेकिन लोक निर्माण विभाग (PWD) ने अपना काम अभी अधूरा छोड़ा है। इस पर कोर्ट ने दोनों विभागों के कार्यकारी इंजीनियरों को तत्काल संयुक्त बैठक कर समाधान निकालने का निर्देश दिया।

उधर PWD की ओर से पेश वकील समीर वशिष्ठ ने अदालत को आश्वासन दिया कि विभाग पूरी जिम्मेदारी से काम कर रहा है और परियोजना अंतिम चरण में है। कोर्ट ने दोनों विभागों को सख्त लहज़े में चेतावनी दी कि अगर समय पर काम पूरा नहीं हुआ, तो इसकी गंभीर जवाबदेही तय की जाएगी। पीठ ने स्पष्ट किया कि मानसून से पहले सभी जरूरी इंतज़ाम पूरे होने चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

CBI की इस रिपोर्ट ने एक बार फिर सरकारी तंत्र की खामियों और शहर की अव्यवस्थित शहरी योजना पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनहित याचिका में साफ तौर पर कहा गया था कि यह त्रासदी सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि सरकारी एजेंसियों की सामूहिक विफलता का नतीजा है। याचिका में आरोप लगाया गया कि दिल्ली सरकार, MCD और DDA जैसी एजेंसियों के भीतर फैले भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के चलते आवासीय क्षेत्रों में अवैध व्यवसायिक गतिविधियों को लगातार बढ़ावा मिला है।

इस घटना के बाद अगस्त 2024 में दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की जांच दिल्ली पुलिस से लेकर CBI को सौंप दी थी। साथ ही, दिल्ली के प्रशासनिक, भौतिक और वित्तीय बुनियादी ढांचे की समीक्षा और सुधार हेतु मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन भी किया गया था, जिसे आठ सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपनी थी।

राजेंद्र नगर त्रासदी ने एक बार फिर उन हज़ारों छात्रों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है, जो देश के विभिन्न हिस्सों से राजधानी दिल्ली आते हैं और अक्सर बदहाल, असुरक्षित और अवैध इमारतों में कोचिंग की आस में जीवन गुजारते हैं। यह घटना प्रशासन के लिए सिर्फ चेतावनी नहीं, बल्कि जवाबदेही का ऐलान है।


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