नई दिल्ली (30 मई 2025): 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी करने वाली बीजेपी ने 20 फरवरी 2025 को नई शुरुआत की थी, और अब रेखा गुप्ता सरकार के 100 दिन पूरे हो चुके हैं। इन शुरुआती दिनों में सरकार ने कई बड़े फैसले लिए और कुछ प्रमुख योजनाओं को लागू भी किया। हालांकि जनता के बीच अब यह सवाल गूंज रहा है कि क्या बीजेपी अपने सभी चुनावी वादों पर अमल कर पाई? सरकार ने काम की रफ्तार को लेकर आश्वासन तो दिया, लेकिन कई योजनाएं अब भी पाइपलाइन में ही हैं। रेखा गुप्ता सरकार का दावा है कि काम की शुरुआत हो चुकी है और बाकी योजनाओं पर भी जल्द अमल होगा। लेकिन जनता अब ठोस नतीजों की अपेक्षा कर रही है।
किन वादों पर दिखी अमल की झलक
सरकार ने शुरुआत में ही आयुष्मान भारत योजना को दिल्ली में लागू कर कार्ड बनवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी। महिलाओं के लिए फ्री बस सेवा भी जारी है, हालांकि अब इसके लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी कर दिया गया है। अटल कैंटीन योजना के तहत ₹5 में पौष्टिक भोजन की व्यवस्था चालू कर दी गई है, और इसके लिए बजट में फंड भी जारी हुए हैं। यमुना सफाई अभियान की शुरुआत तो हुई, लेकिन इसकी रफ्तार बहुत धीमी है। सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का अभियान भी मुख्य मार्गों तक ही सीमित नजर आया, जबकि अंदरूनी इलाकों की हालत जस की तस है। वहीं सीवर सफाई की बात करे तो वहां भी हालत कुछ खास नहीं सुधरे है, क्योंकि आज भी थोड़ी देर की ही बारिश में सड़के नालियों का रूप धारण कर लेती है। मुख्य सड़कें भी जलजमाव से अछूती नहीं रहती है।
गैस सिलेंडर और महिला समृद्धि योजना पर अभी इंतजार
बीजेपी ने चुनावी वादों में बीपीएल परिवारों को मुफ्त गैस सिलेंडर देने और महिलाओं को हर महीने ₹2500 देने की बात कही थी, लेकिन इन योजनाओं पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। महिला समृद्धि योजना पर सिर्फ एक कमेटी गठित करने की बात सामने आई है, लेकिन अमल की कोई तारीख तय नहीं हुई है। गैस सिलेंडर योजना पर भी कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला है, जिससे लाभार्थियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। बीजेपी के चुनावी वादों के अनुसार दिल्ली की महिलाओं को साल में दो बार होली और रक्षाबंधन पर मुफ्त सिलेंडर दिए जाने के वादे में भी कोई प्रगति नहीं दिख रही है। क्योंकि होली के मुफ्त सिलेंडर तो नहीं मिल पाए और अब देखना बाकी है कि रक्षाबंधन का मुफ्त सिलेंडर क्या दिल्ली सरकार दिल्ली की महिलाओं को दे पाती है या नहीं। इन दोनों योजनाओं को लेकर जनता सरकार से जवाब की मांग कर रही है।
अन्य अधूरी घोषणाएं और बढ़ता असंतोष
गर्भवती महिलाओं को ₹21,000 की आर्थिक सहायता, गिग वर्कर्स और टेक्सटाइल वर्कर्स को ₹10 लाख तक का बीमा, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों को ₹15,000 और एससी/एसटी छात्रों को ₹1,000 मासिक सहायता जैसे कई ऐलान अब भी फाइलों में दबे हैं। इन योजनाओं के लिए कोई स्पष्ट रोडमैप अब तक जारी नहीं किया गया है। जनता का भरोसा बनाए रखने के लिए सरकार को इन वादों पर शीघ्रता से अमल करना होगा, वरना धीरे-धीरे यह असंतोष राजनीतिक चुनौती में बदल सकता है।
सरकार के सामने प्रशासनिक चुनौतियां
हालांकि एलजी और सरकार के बीच तालमेल बेहतर हुआ है, लेकिन काम की रफ्तार अभी भी धीमी बनी हुई है। बेहतर गवर्नेंस के नाम पर जनता को शुद्ध पानी, स्वच्छ हवा, सुचारु ट्रैफिक और सुरक्षित कानून-व्यवस्था की दरकार है, लेकिन इन क्षेत्रों में भी ठोस सुधार नहीं दिख रहा है। सरकारी विभागों के बीच समन्वय और जवाबदेही की कमी अब रेखा गुप्ता सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभर रही है।
आगे का रास्ता और जनता की उम्मीदें
बीजेपी के पास अभी लगभग साढ़े चार साल हैं, लेकिन शुरुआती 100 दिन जनता की कसौटी पर संतोषजनक नहीं कहे जा सकते। सरकार को चाहिए कि वह बजट घोषणाओं को ज़मीन पर उतारने की दिशा में तेज़ी से काम करे और घोषणाओं को ठोस अमल में बदले। दिल्ली जैसे जटिल महानगर में जनविश्वास बनाए रखने के लिए केवल घोषणाएं नहीं, बल्कि नजर आने वाले बदलाव जरूरी हैं। जनता ने उम्मीद के साथ सत्ता सौंपी है, अब सरकार को उसका उत्तर देना होगा।
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