डीपीएस द्वारका विवाद को लेकर हाईकोर्ट में 102 अभिभावकों की गुहार, स्कूल प्रशासन पर गंभीर आरोप
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (16 मई 2025): दिल्ली के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में शामिल डीपीएस द्वारका एक बड़े विवाद में घिर गया है। स्कूल प्रशासन के खिलाफ 102 अभिभावकों ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ताओं ने बढ़ी हुई फीस को अवैध बताते हुए उसे रद्द करने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने स्कूल में बच्चों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता जताते हुए इसे सरकार या उपराज्यपाल के अधीन करने की अपील की है। यह मामला न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है, बल्कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और अधिकारों को लेकर भी गंभीर बहस का विषय बन गया है।
अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल पिछले कुछ वर्षों से प्रत्येक छात्र के लिए 7,000 से 9,000 रुपये प्रतिमाह की अतिरिक्त फीस वसूलने का दबाव बना रहा है, जिसके कोई स्पष्ट दस्तावेज या प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। अभिभावकों ने यह भी कहा कि जो फीस अदा नहीं कर पा रहे हैं, उनके बच्चों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। यह प्रताड़ना सिर्फ शाब्दिक नहीं, बल्कि व्यवहारिक रूप से भी महसूस की जा रही है, जिससे छात्रों के आत्मसम्मान और शिक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। सबसे चौंकाने वाला आरोप यह है कि स्कूल ने परिसर में बाउंसरों की तैनाती की है, जो छात्रों पर अनुशासन बनाए रखने के नाम पर डर का माहौल बना रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि बाउंसरों की मौजूदगी से यह संदेश जाता है कि छात्रों को शिक्षकों के बजाय बल प्रयोग से नियंत्रित किया जाएगा। यह न केवल अमानवीय है बल्कि बच्चों के मानसिक विकास के लिए भी बेहद खतरनाक है। इस कदम की आलोचना करते हुए अभिभावकों ने कहा कि स्कूल शिक्षा का मंदिर है, न कि किसी जेल का परिसर।
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि फीस न भरने वाले छात्रों को कक्षा में बैठने नहीं दिया जा रहा, बल्कि उन्हें अलग-थलग करके लाइब्रेरी में ‘सजा का कमरा’ बना दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन छात्रों को कैंटीन, खेल और अन्य गतिविधियों से भी दूर रखा गया। यहां तक कि शौचालय जाने के लिए भी बाउंसरों की निगरानी में भेजा गया, जो बच्चों की निजता और गरिमा का घोर उल्लंघन है। दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने पहले ही स्कूल को दो बार निर्देश जारी किए थे 22 और 28 मई 2024 को। इन आदेशों में स्कूल को सत्र 2022-23 की अवैध रूप से वसूली गई फीस लौटाने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था कि किसी छात्र को मानसिक या शैक्षणिक नुकसान न पहुंचे। लेकिन अभिभावकों का कहना है कि स्कूल प्रशासन ने इन आदेशों को नजरअंदाज करते हुए अपने रवैये में कोई बदलाव नहीं किया।
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस विकास महाजन ने फिलहाल अंतरिम समाधान के रूप में 50 प्रतिशत बढ़ी हुई फीस जमा करने का सुझाव दिया। हालांकि, याचिकाकर्ता अभिभावकों ने इसे यह कहकर ठुकरा दिया कि वे अवैध मांग के सामने झुकने को तैयार नहीं हैं। उनका मानना है कि इससे न केवल स्कूल की मनमानी को वैधता मिल जाएगी, बल्कि बच्चों और अभिभावकों की लड़ाई कमजोर पड़ जाएगी। यह पहला मौका नहीं है जब डीपीएस द्वारका विवादों में घिरा हो। याचिका में कोर्ट को याद दिलाया गया कि इसी वर्ष अप्रैल में दायर एक अन्य याचिका में भी स्कूल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगे थे। एक जांच समिति की रिपोर्ट में पुष्टि हुई थी कि छात्रों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया गया, उन्हें कक्षाओं से वंचित रखा गया और निगरानी में रखा गया।
अब सबकी निगाहें शुक्रवार को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं। याचिकाकर्ताओं की मांग है कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल मिलकर स्कूल का प्रशासन अपने हाथ में लें ताकि बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके। यह मामला अब सिर्फ एक स्कूल तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की पारदर्शिता और जवाबदेही पर एक बड़ा सवाल बन चुका है।
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