दिल्ली में वाणिज्यिक संस्थानों को देना होगा सीवरेज आधारित पानी का बिल, सरकार का बड़ा फैसला
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (15 मई 2025): दिल्ली सरकार ने राजधानी में जल संसाधनों की हो रही बेतहाशा बर्बादी और राजस्व नुकसान को रोकने के लिए एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब राजधानी के सभी बड़े प्राइवेट होटल, मॉल, हॉस्पिटल, स्कूल और बैंक्वेट हॉल को पानी का बिल सीवरेज बहाव के आधार पर देना होगा। इसका मतलब यह है कि जितना पानी इन संस्थानों से सीवर में बहता है, उसी के अनुसार उनका जल बिल तय किया जाएगा। सरकार ने इस नीति को पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक ठोस प्रयास बताया है।
दिल्ली के जल मंत्री प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने इस निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि राजधानी में कई बड़े निजी संस्थान बिना वैध कनेक्शन के लाखों लीटर पानी हर दिन इस्तेमाल कर रहे हैं। ये संस्थान अपनी जल खपत की कोई जानकारी नहीं देते, लेकिन सीवरेज सिस्टम में भारी मात्रा में गंदा पानी छोड़ते हैं। इससे न सिर्फ जल संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि सरकार को हर साल सैकड़ों करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान भी झेलना पड़ रहा है।
नई नीति के तहत जिन वाणिज्यिक संस्थानों के पास वैध जल कनेक्शन नहीं है या जो अपनी जल आपूर्ति के स्रोत का खुलासा नहीं करते हैं, उन्हें अब सीवरेज बहाव के अनुसार जल बिल का भुगतान करना होगा। जल बोर्ड ऐसे संस्थानों की सीवरेज निकासी का विश्लेषण करके उनके पानी की खपत का अनुमान लगाएगा। उसी के मुताबिक उन पर जल शुल्क लगाया जाएगा, जिससे जल चोरी और मुफ्त में जल उपयोग पर लगाम लगाई जा सके। सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय केवल व्यावसायिक और बड़े निजी संस्थानों पर लागू होगा। इसका घरेलू उपभोक्ताओं, गरीब तबकों, झुग्गी बस्तियों या आम नागरिकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जल मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कोई नया टैक्स नहीं है, बल्कि एक जिम्मेदाराना प्रणाली है, जो जल संसाधनों की रक्षा और उचित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है।
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