नई दिल्ली (13 मई 2025): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पाकिस्तान के साथ हालिया सीजफायर को “स्थगित स्टैंड” बताए जाने के बाद विपक्षी दलों ने सरकार की मंशा और निर्णय प्रक्रिया पर कड़े सवाल उठाए हैं। पीएम मोदी ने 12 मई को अपने संबोधन में कहा था कि भारत ने कोई स्थायी समझौता नहीं किया है और उकसावे की स्थिति में पहले से भी ज्यादा सख्त जवाब दिया जाएगा। लेकिन कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि इस सीजफायर के पीछे अमेरिका के दबाव की भूमिका रही, खासकर जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने व्यापारिक दबाव से दोनों देशों को युद्धविराम पर राजी किया।
पवन खेड़ा ने उठाए सवाल
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि यह एक संप्रभु राष्ट्र के लिए चिंता की बात है कि उसकी सैन्य कार्रवाई से पहले और बाद में अमेरिका बयान देता है। उन्होंने मांग की कि इस मसले पर तुरंत संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए और प्रधानमंत्री देश को यह स्पष्ट करें कि क्या विदेश नीति अब अमेरिका के इशारों पर चल रही है। खेड़ा ने कश्मीर और पीओके जैसे मामलों को भारत का आंतरिक विषय बताते हुए कहा कि इन पर कोई बाहरी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं होगा।
मनीष सिसोदिया ने घेरा
आप नेता मनीष सिसोदिया ने भी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि जब देश पाकिस्तान के खिलाफ एकजुट था और ऑपरेशन सिंदूर सफलता की ओर बढ़ रहा था, तब अचानक सीजफायर क्यों किया गया? उन्होंने पहलगाम हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग करते हुए सवाल उठाया कि क्या इस समझौते से आतंकियों को राहत मिली? विपक्ष अब इस मुद्दे पर राष्ट्रीय सहमति की मांग कर रहा है और चाहता है कि सरकार आगे की रणनीति स्पष्ट करे।
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