बुद्ध पूर्णिमा विशेष: आज ही के दिन घटित हुईं भगवान बुद्ध से जुड़ी तीन दिव्य घटनाएं
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (12 मई 2025): आज पूरे देश और विश्वभर में श्रद्धा, भक्ति और शांति के साथ बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। वैशाख महीने की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह दिन भगवान गौतम बुद्ध के जीवन की तीन अत्यंत महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ा हुआ है। आज ही के दिन उनका जन्म लुंबिनी में हुआ, इसी दिन उन्हें बोधगया में ज्ञान प्राप्त हुआ और इसी दिन उन्होंने कुशीनगर में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया। इन तीनों घटनाओं के एक ही दिन घटित होने के कारण यह दिन त्रिस्मृति पर्व भी कहा जाता है। दिल्ली, बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर और नेपाल के लुंबिनी जैसे स्थानों पर विशेष आयोजनों की धूम है। श्रद्धालु पूजा, ध्यान और धर्म प्रवचनों में शामिल हो रहे हैं। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों ने विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए हैं। शिक्षण संस्थानों में भी बुद्ध की शिक्षाओं पर आधारित चर्चाएं हो रही हैं। देशभर में बुद्ध पूर्णिमा को लेकर एक सकारात्मक, शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक माहौल बना हुआ है।
गौतम बुद्ध का जीवन मानवता, करुणा और आत्मज्ञान का प्रतीक है, जिसकी शुरुआत आज ही के दिन 563 ईसा पूर्व लुंबिनी में हुई थी। जन्म से एक राजकुमार सिद्धार्थ गौतम ने सांसारिक सुखों का त्याग कर सत्य की खोज शुरू की। 7 वर्षों की तपस्या और साधना के बाद उन्होंने वैशाख पूर्णिमा की रात बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया। इसके बाद वे बुद्ध यानी ‘ज्ञानी’ कहलाए और उन्होंने अपना पूरा जीवन सत्य, अहिंसा और करुणा के प्रचार में लगा दिया। उन्होंने मध्यम मार्ग का सिद्धांत दिया ना अधिक भोग, ना कठोर तपस्या बल्कि संतुलन और विवेक से जीवन जीने की राह दिखाई। वर्षों के उपदेशों और अनुयायियों के साथ जीवन व्यतीत करने के बाद, उन्होंने वैशाख पूर्णिमा के दिन ही कुशीनगर में 86 वर्ष की उम्र में देह त्याग कर महापरिनिर्वाण प्राप्त किया। बौद्ध धर्म के अनुयायी मानते हैं कि यह दिन केवल उत्सव नहीं, बल्कि आत्मविकास और ध्यान का अवसर है। इस दिन को लेकर विशेष श्रद्धा इसलिए भी है क्योंकि यह जीवन के तीन महत्वपूर्ण सत्य—जन्म, ज्ञान और मृत्यु—से जुड़ा हुआ है। बुद्ध का यह त्रिसंधान उन्हें दिव्यता और मानवता का संगम बना देता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर ट्वीट करते हुए भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को आज के युग में अत्यंत प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा कि “बुद्ध का मार्ग पूरी मानवता के लिए एक प्रकाश स्तंभ है, जो हमें सहिष्णुता, करूणा और संतुलन का पाठ पढ़ाता है।” राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी देशवासियों को बुद्ध पूर्णिमा की बधाई देते हुए सत्य और संयम के पथ पर चलने की प्रेरणा दी। कई राज्यों में इस मौके पर राजकीय अवकाश घोषित किया गया है ताकि नागरिक इस दिन को ध्यान और भक्ति में व्यतीत कर सकें। संस्कृति मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय ने विशेष कार्यक्रमों की शृंखला आयोजित की है, जिसमें देश-विदेश से श्रद्धालु और विद्वान भाग ले रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी बुद्ध के विचारों को साझा किया जा रहा है। बौद्ध स्थलों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं और विशेष रेल व बस सेवाएं भी शुरू की गई हैं। धर्मगुरुओं ने अपने संदेशों में बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग को अपनाने की सलाह दी है। साथ ही युवाओं को ध्यान, अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। कई शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों में बुद्ध से संबंधित संगोष्ठियों का आयोजन किया गया है।
बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर और लुंबिनी जैसे पवित्र स्थलों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है। बोधगया के महाबोधि मंदिर में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें लगी हैं, जहां पूजा, ध्यान और प्रार्थनाओं का सिलसिला जारी है। लुंबिनी में भगवान बुद्ध के जन्म स्थल पर भिक्षुओं द्वारा विशेष दीप प्रज्ज्वलन और ध्यान सत्र आयोजित किए गए हैं। जापान, थाईलैंड, श्रीलंका और तिब्बत से आए श्रद्धालु पारंपरिक परिधानों में कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संघ के प्रतिनिधियों ने इस अवसर पर विश्व शांति की अपील की है। कुशीनगर में महापरिनिर्वाण स्थल पर भी हजारों लोग एकत्र हुए हैं, जहां धार्मिक ग्रंथों का पाठ और ध्यान शिविर चल रहे हैं। इन स्थलों पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, बुद्ध चरित्र पर आधारित नाट्य मंचन और चित्र प्रदर्शनियां भी हो रही हैं। श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा देने के लिए प्रशासन ने जल, भोजन और चिकित्सा की व्यवस्था की है। साथ ही विदेशी पर्यटकों के लिए मल्टी-लैंग्वेज गाइड की व्यवस्था भी की गई है। बुद्ध की शिक्षाओं को समझने और आत्मसात करने के लिए विशेष पुस्तकों और पुस्तिकाओं का वितरण किया जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1999 में बुद्ध पूर्णिमा को वेसाक दिवस के रूप में मान्यता दी थी, जिससे यह पर्व अब वैश्विक रूप से शांति और मानवता का प्रतीक बन चुका है। इस दिन को केवल बौद्ध धर्म से जोड़कर नहीं देखा जाता, बल्कि इसे सार्वभौमिक मूल्यों जैसे दया, संयम, अहिंसा और आत्मज्ञान के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया जाता है। बुद्ध के विचारों ने न केवल एशिया, बल्कि पूरी दुनिया के दार्शनिक चिंतन को प्रभावित किया है। आज के समय में जब हिंसा, तनाव और स्वार्थ बढ़ रहा है, बुद्ध की शिक्षाएं अत्यंत प्रासंगिक हो जाती हैं। उनका अष्टांगिक मार्ग व्यक्ति को आचरण, चिंतन और ध्यान में संतुलन की ओर ले जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य केवल पूजा नहीं, बल्कि आत्मावलोकन और आंतरिक शांति की खोज है। विभिन्न संस्थाओं ने ऑनलाइन वेबिनार और ध्यान सत्र भी आयोजित किए हैं। डिजिटल माध्यमों से बुद्ध वचनों का प्रसार हो रहा है। यह पर्व एक अवसर है, जब हम अपनी आत्मा से जुड़ते हैं और मानवता के लिए बेहतर बनने का संकल्प लेते है।
प्रिय पाठकों एवं दर्शकों, प्रतिदिन नई दिल्ली, दिल्ली सरकार, दिल्ली राजनीति, दिल्ली मेट्रो, दिल्ली पुलिस, दिल्ली नगर निगम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र की ताजा एवं बड़ी खबरें पढ़ने के लिए hindi.tennews.in : राष्ट्रीय न्यूज पोर्टल को विजिट करते रहे एवं अपनी ई मेल सबमिट कर सब्सक्राइब भी करे। विडियो न्यूज़ देखने के लिए TEN NEWS NATIONAL यूट्यूब चैनल को भी ज़रूर सब्सक्राइब करे।
Discover more from टेन न्यूज हिंदी
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
टिप्पणियाँ बंद हैं।