यमुना को सीवेज मुक्त बनाने की मुहिम तेज, 11 नालों को टैप करने की तैयारी

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (06 मई 2025): दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने राजधानी की जीवनरेखा यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। अनट्रीटेड सीवेज को यमुना में गिरने से रोकने के लिए व्यापक एक्शन प्लान लागू किया गया है। सबसे पहले उन नालों की पहचान की गई है जो सीधे नदी में गिरते हैं। इन नालों को टैप करने और सीवेज को ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाने के लिए टीमें बनाई गई हैं। जल मंत्री परवेश वर्मा खुद इस अभियान की निगरानी कर रहे हैं।राजधानी में कुल 22 बड़े नालों में से 11 को फिलहाल टैप किया जा रहा है, जबकि दो अन्य नालों को उनके उद्गम पर ही टैप करने की योजना पर काम चल रहा है। डीजेबी इन नालों के मुहाने पर एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) और डीएसटीपी (विकेन्द्रीकृत ट्रीटमेंट प्लांट) स्थापित करेगा। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी गंदा पानी बिना साफ किए यमुना में न जाए। जल बोर्ड की योजना है कि हर इलाके के हिसाब से विकेन्द्रीकृत व्यवस्था बनाई जाए।

अबुल फजल और जैतपुर नालों पर विशेष फोकस

अबुल फजल एन्क्लेव के नाले की टैपिंग के बाद उसमें बचे सीवेज को ओखला एसटीपी में भेजा जाएगा। जरूरत पड़ी तो नाले में जाल लगाकर बहाव मोड़ा जाएगा। जैतपुर नाले में अली गांव, मदनपुर खादर और एनटीपीसी जैसे क्षेत्रों का गंदा पानी आता है। यहां भी सीवरेज नेटवर्क बिछाया जा रहा है और एक एसटीपी निर्माण की योजना है। इन क्षेत्रों में अनधिकृत कॉलोनियों की अधिकता के कारण प्रदूषण का स्तर अधिक है।मोरी गेट नाले में सीवेज को यमुना में बहने से पहले ट्रीट करने के लिए एसटीपी बनाया जाएगा। इसी तरह शास्त्री पार्क के 1,200 घरों की सीवर लाइनों को मौजूदा सिस्टम से जोड़कर टैपिंग की जाएगी। नाले के मुहाने पर डीएसटीपी लगाने से सीधे यमुना में गंदगी जाने पर रोक लगेगी। यह तकनीक सीमित स्थान वाले शहरी इलाकों में कारगर साबित हो रही है।

जून 2027 तक काम पूरा करने का लक्ष्य

जल मंत्री परवेश वर्मा ने स्पष्ट किया है कि नालों की टैपिंग का काम जून 2027 तक हर हाल में पूरा किया जाना है। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि किसी भी प्रकार की देरी स्वीकार नहीं की जाएगी। सभी संबंधित विभागों को तालमेल के साथ काम करने का आदेश दिया गया है। यह डेडलाइन राजधानी को साफ-सुथरा और पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में अहम कदम है। नजफगढ़ और शाहदरा जैसे बड़े ड्रेनों की सब-ड्रेन पर एसटीपी और डीएसटीपी लगाने की योजना है। इससे इन नालों से यमुना में गिरने वाले सीवेज को रोका जा सकेगा। कैलाश नगर नाले की टैपिंग के लिए आसपास के घरों को सीवर नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। यह नाला प्रतिदिन 2.5 एमजीडी सीवेज बहाता है, जिसे ट्रीट करना अत्यंत आवश्यक है।

दिल्ली गेट पर नई एसटीपी की योजना

दिल्ली गेट नाले पर मौजूदा 2.2 एमजीडी क्षमता के एसटीपी की जगह अब 15 एमजीडी का नया एसटीपी बनाया जाएगा। इससे पुराने प्लांट की सीमाएं खत्म होंगी और अधिक सीवेज ट्रीट किया जा सकेगा। यह प्लांट दिल्ली के मध्य क्षेत्र में सीवरेज ट्रीटमेंट की बड़ी जरूरतों को पूरा करेगा। इसके अलावा इस क्षेत्र की गंदगी सीधे यमुना में गिरने से रोकी जा सकेगी। उत्तर, उत्तर-पश्चिम, पश्चिम और दक्षिण दिल्ली के बाहरी हिस्सों में 40 डीएसटीपी बनाने की योजना है। इनमें से 13 को केंद्र सरकार की अमृत 2.0 योजना के तहत फंडिंग मिलेगी। बाकी 27 डीएसटीपी के लिए राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है और मई के अंत तक टेंडर जारी होने की उम्मीद है। ये प्लांट 400 से अधिक अनधिकृत कॉलोनियों और 100 से अधिक गांवों की सीवरेज जरूरतें पूरी करेंगे। इससे यमुना को स्थायी रूप से साफ बनाए रखने में बड़ी मदद मिलेगी।


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