UPSC की परीक्षा में 140वीं रैंक हासिल करने वाली प्रीति चौहान बनी प्रेरणा की मिसाल
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (24 अप्रैल 2025): प्रीति चौहान जो 2024 यूपीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर 140वीं रैंक हासिल की है। उनके माता-पिता ने टेन न्यूज से अपने कठिनाई और पुत्री के सफलता का राज साझा किया। प्रीति चौहान के पिता नरेंद्र चौहान ने टेन न्यूज़ से बातचीत में अपनी भावनाएं साझा कीं। उन्होंने कहा कि उन्हें पहले से भरोसा था कि उनकी बेटी यह एग्जाम जरूर पास करेगी। प्रीति ने काफी मेहनत की थी और हर बार जब वह हिम्मत हारती थी, तो उन्होंने उसका हौसला बढ़ाया। वे कहते हैं कि कोई भी पिता बेटी की पढ़ाई में कभी रुकावट न डाले। बार-बार प्रयास करने देने से ही सफलता मिलती है। उन्होंने यह भी बताया कि कोचिंग के लिए कुछ दिक्कतें जरूर आईं। लेकिन प्रीति ने अपनी तैयारी पूरी तरह ऑनलाइन क्लासेस से की। नरेंद्र चौहान ने कहा कि वे एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं और आज बेटी की कामयाबी पर गर्व महसूस कर रहे हैं।
मां बोलीं– फल की चिंता नहीं की, सिर्फ कर्म करते रहे
प्रीति की मां ने भी बेटी की सफलता पर अपनी भावनाएं साझा कीं। उन्होंने बताया कि जब भी प्रीति मायूस होती थी, तो वे उसे समझाती थीं कि घर की चिंता मत करो। माता-पिता के रूप में वे उसकी पढ़ाई का पूरा बोझ खुद उठाने को तैयार थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा प्रीति को यही सिखाया कि कर्म करो, फल देने वाला ऊपर वाला है। ग्रेटर नोएडा में रहते हुए वे तीन बच्चों की देखभाल करती रहीं। पति राजस्थान में नौकरी करते थे और दोनों ने मिलकर बच्चों के लिए संघर्ष किया। प्रीति की मां ने बताया कि इस लोअर मिडल क्लास स्थिति में भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
10वीं में आई थी सबसे बड़ी परीक्षा, मां ने दिखाई हिम्मत
प्रीति की मां भावुक होकर उस कठिन दौर को याद करती हैं जब उनके पति की नौकरी छूट गई थी। उस समय न रिश्तेदार साथ थे, न मायके वाले और न ही पड़ोसी। उन्होंने कहा कि चार साल तक ऐसा समय बीता जिसे केवल वही समझ सकती हैं। भगवान से वह रोज प्रार्थना करती थीं कि उन्हें इतनी शक्ति दे कि किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े। उन्होंने कहा कि चाहे नमक खिलाना पड़े, लेकिन बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकने दी। आज जब प्रीति ने सफलता पाई है, तो उन्हें लगता है कि उनके धैर्य का फल मिल गया। इस दौर ने उन्हें और मजबूत बना दिया है।
प्रेरणा बन गई है बड़ी बहन
प्रीति की मां ने बताया कि उनके दो और बच्चे भी हैं और अब वह उन्हें भी प्रीति की तरह बनाने की कोशिश करेंगी। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि वे प्रीति जैसी मेहनत कर पाएंगे, लेकिन कोशिश जरूर करेंगी। बच्चों को प्रेरणा देने के लिए प्रीति का उदाहरण सबसे बड़ा है। मां का मानना है कि बड़ी बहन की सफलता देख बाकी बच्चे भी मेहनत की अहमियत समझेंगे। पति-पत्नी दोनों बच्चों के भविष्य के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं। पिता बाहर रहकर कमा रहे हैं और मां घर संभाल रही हैं। उनका मानना है कि बच्चों का काम है इस मेहनत को सफल बनाना।
घर से बाहर नहीं निकलती, लेकिन हौसलों की मिसाल बनीं मां
प्रीति की मां बताती हैं कि वह कभी घर से बाहर नहीं जातीं, लेकिन अपने बच्चों को पढ़ने के लिए हर संभव मौका देती हैं। उनका मानना है कि मां का सबसे बड़ा धर्म है बच्चों को सही दिशा देना। वह कहती हैं कि घर में रहकर भी एक मां बहुत कुछ कर सकती है। उन्होंने हर त्योहार, हर खुशी अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए कुर्बान कर दी। अब उन्हें लगता है कि उनकी तपस्या सफल हुई है। प्रीति की मेहनत और मां-बाप की निस्वार्थ सेवा ने मिलकर यह मुकाम हासिल किया है। वह चाहती हैं कि हर मां-बाप इसी तरह बच्चों को सपोर्ट करें।
सेवा काल में नहीं झुकने दूंगी माता – पिता का सर
इस दौरान प्रीति ने खुद अपने कठिनाई के दिन और आज के दिन को साझा करते हुए कहा कि उन दिनों भी परिवार का फुल सपोर्ट रहा और आज तक भी फुल सपोर्ट रहा है। जब भी मैं हिम्मत हारती थी मेरी मम्मी मुझे हिम्मत देती थी। हालांकि तैयारी के दौरान हर दूसरे – तीसरे दिन हिम्मत टूटे नजर आती थी लेकिन फिर भी परिवार का फुल सपोर्ट और गुरुजनों का फुल सपोर्ट ने इस मुकाम तक पहुंचने में अहम योगदान दिया। उन्होंने कहा कि मेरे पिता प्राइवेट जॉब करते हैं और माताजी हम लोगों के साथ ही रहती हैं। मेरे परिवार वालों का मेरे इस सफलता में हर संभव सपोर्ट रहा है। उन्होंने कहा कि अपने परिवार के इस भरपूर सपोर्ट का मैं आभारी हूं और प्रयास करूंगी कि उनका सर कभी अपने सेवा काल के दौरान भी झुकने ना दूं।
एक बेटी की जीत, लाखों परिवारों की उम्मीद
प्रीति की सफलता केवल एक छात्रा की नहीं, बल्कि उन लाखों बेटियों की है जो सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखती हैं। यह कहानी उन माता-पिता की भी है जो अपनी बेटी को बेटे से कम नहीं समझते। नरेंद्र और उनकी पत्नी ने साबित किया कि मेहनत, धैर्य और विश्वास से कुछ भी संभव है। प्रीति आज एक प्रेरणा है उन परिवारों के लिए, जो मुश्किलों से लड़कर बच्चों का भविष्य बनाना चाहते हैं। यह सफलता समाज के लिए एक संदेश है कि बेटियों को पढ़ने का पूरा अधिकार और अवसर मिलना चाहिए। और हर मुश्किल के पार एक उजाला जरूर होता है।
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