दिल्ली में WAQF संशोधन के खिलाफ मुस्लिम संगठनों का जोरदार प्रदर्शन, आगे की रूपरेखा तय
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (22 अप्रैल 2025): वक्फ संशोधन कानून 2025 के विरोध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की अगुवाई में देशभर में विरोध की ज्वाला तेज होती जा रही है। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में मंगलवार को आयोजित ‘वक्फ बचाओ सम्मेलन’ इस आंदोलन की अब तक की सबसे बड़ी अभिव्यक्ति बनकर उभरा, जहां AIMPLB के शीर्ष नेतृत्व समेत कई मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों के प्रमुख नेता शामिल हुए। इस सम्मेलन को ‘तहफ्फुज-ए-औकाफ कॉन्फ्रेंस’ नाम दिया गया, जिसमें AIMPLB अध्यक्ष सैफुल्ला रहमानी, उपाध्यक्ष उबाईदुल्ला आजमी, महासचिव अब्दुल रहीम मुजद्दिदी, हैदराबाद से सांसद और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी और जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सदतुल्ला हुसैनी जैसे प्रभावशाली वक्ताओं ने केंद्र सरकार के इस कानून को मुस्लिम समाज के अधिकारों पर हमला करार दिया।
सम्मेलन में AIMPLB की ओर से स्पष्ट संदेश दिया गया कि वक्फ कानून की वापसी तक यह आंदोलन थमेगा नहीं। असदुद्दीन ओवैसी ने अपने संबोधन में कहा, “यह केवल वक्फ की बात नहीं, यह हमारी पहचान और अधिकारों की बात है। यह लड़ाई अब रुकने वाली नहीं है। जब तक वक्फ कानून रद्द नहीं हो जाता, तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा।” इस दौरान जमात-ए-इस्लामी हिंद ने भी नए कानून को तत्काल निरस्त करने की मांग करते हुए समाज से AIMPLB के नेतृत्व वाले ‘वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ’ अभियान में शामिल होने की अपील की।
AIMPLB के मुताबिक यह आंदोलन 11 अप्रैल से शुरू हो चुका है, और इसका पहला चरण 7 जुलाई तक चलेगा। इस दौरान देशभर में 1 करोड़ हस्ताक्षर एकत्र कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपे जाएंगे। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे संविधान की आत्मा और अल्पसंख्यकों के अधिकारों से जुड़ा मुद्दा बताते हुए स्पष्ट किया है कि यह केवल कानूनी संघर्ष नहीं, बल्कि जनअधिकारों की लड़ाई है।
देशव्यापी आंदोलन की रूपरेखा भी तेजी से बन चुकी है। 24 अप्रैल को दिल्ली के इंडिया इस्लामिक सेंटर में जमात-ए-इस्लामी के लीगल विंग द्वारा सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। 26 अप्रैल को कोलकाता, 27 अप्रैल को महाराष्ट्र, 1 मई को जमशेदपुर, और 3-4 मई को देवबंद में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्यकारिणी की बैठक में वक्फ आंदोलन को और धार दी जाएगी। सबसे बड़ी तैयारी 7 मई के लिए की जा रही है, जब दिल्ली के रामलीला मैदान में लाखों लोगों की उपस्थिति में ‘वक्फ बचाओ कार्यक्रम’ आयोजित होगा।
30 अप्रैल को देशभर में ‘बत्ती गुल’ कार्यक्रम रखा गया है, जिसमें मुस्लिम समाज के लोग रात 9 बजे अपने घरों की बिजली बंद करेंगे, ताकि सरकार को यह संदेश मिल सके कि यह विरोध सिर्फ मंचों पर नहीं, आम जनमानस के स्तर तक पहुंच चुका है।
इसी बीच, वक्फ कानून 2025 की भाषा और उसमें ‘प्रैक्टिसिंग मुस्लिम’ की परिभाषा पर भी विवाद खड़ा हो गया है। मुस्लिम संगठनों का कहना है कि इस परिभाषा के तहत धार्मिक रूप से सक्रिय मुस्लिमों को ही वक्फ से संबंधित अधिकार देने की बात की गई है, जो भारत के संविधान में समानता और धार्मिक स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।
कुल मिलाकर, यह आंदोलन अब केवल AIMPLB या किसी एक संगठन तक सीमित नहीं रह गया है। यह देशभर के मुस्लिम समाज की एकजुटता और उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए छेड़ी गई व्यापक लड़ाई बन चुका है। सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति अब सिर्फ विरोध प्रदर्शनों तक सीमित नहीं, बल्कि जनभागीदारी और शांतिपूर्ण असहयोग जैसे नागरिक तरीकों तक जा पहुंची है। आगामी दिनों में यह आंदोलन क्या मोड़ लेता है, यह देश की राजनीति और अल्पसंख्यकों के भविष्य को गहराई से प्रभावित कर सकता है।
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