नेशनल हेराल्ड केस: राहुल – सोनिया के खिलाफ चार्जशीट, सांसद बांसुरी स्वराज ने बोला हमला

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (22 अप्रैल 2025): नेशनल हेराल्ड केस एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। इसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी और ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा के नाम शामिल है। इस मामले की सुनवाई 25 अप्रैल को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में होगी। चार्जशीट दायर होने के बाद राजनीतिक बयानबाज़ी तेज हो गई है। भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने इस मुद्दे पर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से जुड़ा भ्रष्टाचार बताया।

बांसुरी स्वराज ने बोला तीखा हमला

बांसुरी स्वराज ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने मीडिया से जुड़े संस्थानों को भी भ्रष्टाचार का जरिया बना लिया। उन्होंने कहा कि यंग इंडिया लिमिटेड कंपनी ने 2000 करोड़ की संपत्ति सिर्फ 50 लाख रुपये में हड़प ली। इस कंपनी में गांधी परिवार की 76% हिस्सेदारी है, इसलिए कांग्रेस नेतृत्व की जवाबदेही तय होनी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि यह एक गंभीर आर्थिक अपराध है जो कांग्रेस की पुरानी सोच को उजागर करता है। बांसुरी ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए इस मुद्दे पर सख्त कार्रवाई जरूरी है। उन्होंने ईडी की चार्जशीट को सशक्त साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया। उनका कहना है कि यह घोटाला कांग्रेस की असलियत उजागर करता है।

क्या है नेशनल हेराल्ड केस

नेशनल हेराल्ड केस की शुरुआत साल 2012 में हुई जब भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट में याचिका दाखिल की। उन्होंने आरोप लगाया कि गांधी परिवार की यंग इंडिया लिमिटेड ने केवल 50 लाख रुपये में 90 करोड़ रुपये की वसूली का रास्ता निकाल लिया। यह डील एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) और कांग्रेस पार्टी के बीच हुई वित्तीय लेन-देन से जुड़ी थी। इस याचिका के आधार पर अदालत ने 2014 में राहुल और सोनिया को समन जारी किया था। इसके बाद ईडी ने 2015 में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। मामला धीरे-धीरे राजनीतिक और कानूनी दोनों मोर्चों पर गर्माने लगा।

नेशनल हेराल्ड की कब हुई शुरुआत

नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना 1938 में जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इसे चलाने वाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड थी जो नवजीवन और कौमी आवाज जैसे अखबार भी प्रकाशित करती थी। 1956 में इसे एक गैर-व्यावसायिक संस्था के रूप में दर्ज किया गया और कर से छूट दी गई। लेकिन समय के साथ कंपनी घाटे में चली गई और उस पर करीब 90 करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ गया। 2008 में आर्थिक संकट के चलते अखबार का प्रकाशन बंद करना पड़ा। यही से यंग इंडिया लिमिटेड के गठन और पूरे विवाद की शुरुआत होती है। कांग्रेस पार्टी ने AJL का सारा कर्ज यंग इंडिया को ट्रांसफर कर दिया।

कैसे आई विवादों में ये कंपनी

2010 में बनाई गई यंग इंडिया कंपनी में सोनिया और राहुल गांधी के पास 76% हिस्सेदारी थी। शेष 24% मोतीलाल बोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के पास था। कांग्रेस ने यंग इंडिया को 90 करोड़ रुपये का कर्ज ट्रांसफर किया, जबकि बदले में यंग इंडिया ने सिर्फ 50 लाख रुपये दिए। इसके बाद AJL के सारे शेयर यंग इंडिया को ट्रांसफर कर दिए गए। यहीं से आरोप लगे कि कांग्रेस नेताओं ने संपत्ति हड़पने का रास्ता अपनाया। बीजेपी ने इसे नियमों के खिलाफ बताते हुए भ्रष्टाचार करार दिया। स्वामी की याचिका में इसे अवैध आर्थिक लेन-देन कहा गया।

2015 में पटियाला हाउस कोर्ट ने राहुल, सोनिया समेत अन्य आरोपियों को नियमित जमानत दे दी। इसके बाद कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन कोर्ट ने कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया। हालांकि कोर्ट ने व्यक्तिगत पेशी से छूट जरूर दे दी थी। फिर 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने राहुल और सोनिया की आयकर विभाग के नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। इसके खिलाफ भी कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट पहुंची लेकिन राहत नहीं मिली। अदालतों के इन फैसलों से जांच एजेंसियों को आगे बढ़ने का आधार मिला। धीरे-धीरे मामला अब चार्जशीट तक पहुंच गया है।

ईडी के चार्जशीट में किसके- किसके नाम शामिल

अब ईडी ने राहुल गांधी, सोनिया गांधी, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है। चार्जशीट में मनी लॉन्ड्रिंग, बेनामी लेनदेन और संपत्ति हड़पने जैसे गंभीर आरोप हैं। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 25 अप्रैल को सुनवाई की तारीख तय की है। इससे पहले ईडी ने इस मामले से जुड़ी कई संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। जांच में मिले दस्तावेजों और गवाहों के आधार पर चार्जशीट तैयार की गई है। ईडी के अनुसार, यह संपत्तियां दिल्ली समेत अन्य बड़े शहरों में हैं। इनकी कीमत 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा आंकी गई है।

कांग्रेस ने बताया राजनीति से प्रेरित मामला

कांग्रेस ने इस कार्रवाई को बदले की राजनीति बताया है। पार्टी नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ईडी का इस्तेमाल विपक्ष को दबाने के लिए कर रही है। कांग्रेस ने पूरे देश में ईडी दफ्तरों के बाहर प्रदर्शन का ऐलान भी किया है। पार्टी ने कहा कि गांधी परिवार को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। राहुल गांधी ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। उन्होंने कहा कि जो सवाल सरकार से पूछता है, उसे जांच एजेंसियों के जरिए डराया जा रहा है। वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि कानून सबके लिए बराबर है।

बांसुरी स्वराज के बयान के बाद मामला और गर्मा गया है। उन्होंने कांग्रेस पर परिवारवाद और भ्रष्टाचार का आरोप दोहराया। उनका कहना है कि मीडिया जैसी संस्थाएं भी कांग्रेस की सत्ता के समय सुरक्षित नहीं थीं। उन्होंने दावा किया कि 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति को हथियाने के पीछे सुनियोजित साजिश थी। स्वराज ने कहा कि चार्जशीट से साबित होता है कि ये सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि कानूनी अपराध भी है। उन्होंने कांग्रेस को चुनौती दी कि वह इस मुद्दे पर देश के सामने सच्चाई रखे। साथ ही उन्होंने गांधी परिवार से नैतिक जवाबदेही निभाने की अपील की।

नेशनल हेराल्ड केस ने भारतीय राजनीति को एक बार फिर विचारधारा और नैतिकता के मोर्चे पर खड़ा कर दिया है। जहां एक ओर विपक्ष इसे राजनीति से प्रेरित बता रहा है, वहीं सत्तापक्ष इसे न्याय प्रक्रिया का हिस्सा मान रहा है। 25 अप्रैल की सुनवाई पर सबकी नजरें टिकी हैं क्योंकि यह केस कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से जुड़ा है। यदि कोर्ट चार्जशीट को संज्ञान में लेता है, तो गांधी परिवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यह मामला आने वाले चुनावी माहौल को भी प्रभावित कर सकता है। देशभर में लोग जानना चाहते हैं कि क्या नेहरू की विरासत अब कानून के कटघरे में है।


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