“मोदी के हनुमान” का NDA से मोहभंग?, बिहार में खेल बिगाड़ देंगे प्रशांत- चिराग! | टेन न्यूज विश्लेषण
टेन न्यूज नेटवर्क
पटना (22 अप्रैल 2025): बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है, क्योंकि 2025 के अक्टूबर-नवंबर तक संभावित विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल पूरी तैयारी में जुट गए हैं। एक ओर जहां एनडीए गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और अन्य सहयोगी दल रणनीति बना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन के तहत राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और अन्य वाम दलों ने भी अपने सियासी समीकरण साधने शुरू कर दिए हैं।
लेकिन इन सबके बीच जो सबसे चौंकाने वाला और दिलचस्प घटनाक्रम सामने आ रहा है, वह चिराग पासवान और चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (पीके) की संभावित साझेदारी है। सूत्रों की मानें तो चिराग पासवान की अगुवाई वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) अब एनडीए से मोहभंग की ओर बढ़ रही है और वह प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के साथ हाथ मिलाकर एक नया राजनीतिक गठबंधन बनाने की तैयारी में है।
इस गठजोड़ की अटकलों ने बिहार की सियासत में भूचाल ला दिया है। साल 2020 के विधानसभा चुनाव की यादें एक बार फिर ताज़ा हो रही हैं, जब चिराग पासवान ने एनडीए और महागठबंधन दोनों से अलग होकर अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। इसका नुकसान जदयू को सबसे ज्यादा उठाना पड़ा और वह तीसरे नंबर की पार्टी बनकर रह गई।
अब 2025 में चिराग पासवान कहीं ज्यादा मजबूत, अनुभवी और सक्रिय नजर आ रहे हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 5 में से 5 सीटें जीतकर 100 प्रतिशत स्ट्राइक रेट दर्ज किया था, जिससे उनकी लोकप्रियता और सियासी ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। खासकर युवाओं के बीच उनका “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” नारा व्यापक प्रभाव डाल रहा है।
वहीं प्रशांत किशोर भी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने देश के कई राज्यों में चुनावी रणनीति बनाकर सरकारें बनवाई हैं। चाहे वह दिल्ली हो, पंजाब हो या पश्चिम बंगाल, पीके ने अपनी रणनीतिक सूझबूझ से पार्टियों को चुनावी जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। अब जब वह बिहार की सियासत में सीधे उतर चुके हैं, तो चिराग के साथ उनका गठजोड़ वाकई एक तीसरे विकल्प के तौर पर उभर सकता है।
इस समीकरण से सबसे अधिक चिंता जदयू खेमे में देखी जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सेहत और नेतृत्व को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। वहीं भाजपा और राजद में अब भी कई मजबूत चेहरे मौजूद हैं भाजपा में सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा, नित्यानंद राय जैसे नेता हैं, तो राजद में तेजस्वी यादव अब विपक्ष के बड़े चेहरे के रूप में स्थापित हो चुके हैं। कांग्रेस भी कन्हैया कुमार को प्रमोट कर रही है, लेकिन जदयू चेहराविहीन होती जा रही है।
सूत्र बताते हैं कि जदयू लगातार भाजपा पर दबाव बना रही है कि किसी भी कीमत पर चिराग पासवान को स्वतंत्र रूप से चुनाव में उतरने से रोका जाए। लेकिन चिराग के इरादे कुछ और ही बताते हैं। वह खुद को बिहार के भविष्य के नेता के रूप में देख रहे हैं और इस बार अपनी पूरी ताकत आजमाने को तैयार हैं।
अगर चिराग और पीके मिलकर एनडीए और महागठबंधन दोनों के खिलाफ मोर्चा खोलते हैं, तो यह बिहार के चुनावी परिदृश्य को पूरी तरह बदल सकता है। ऐसे में 2025 का चुनाव ना केवल दिलचस्प होगा, बल्कि यह तय करेगा कि क्या बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है।
राजनीतिक पंडितों की नजर अब इस बात पर टिकी है कि क्या चिराग पासवान और प्रशांत किशोर की यह संभावित जोड़ी वास्तव में मैदान में उतरती है, और अगर उतरती है तो बिहार की सियासत में कितनी बड़ी लकीर खींच सकती है।
रंजन अभिषेक (टेन न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली)
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