मकोका केस: नरेश बाल्यान समेत 7 आरोपियों की न्यायिक हिरासत 23 अप्रैल तक बढ़ी

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (19 अप्रैल 2025): दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मकोका के तहत दर्ज संगठित अपराध मामले में l आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक नरेश बाल्यान और छह अन्य आरोपियों की न्यायिक हिरासत 23 अप्रैल तक बढ़ा दी है। अदालत ने सभी आरोपियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया। इन पर आरोप है कि वे गैंगस्टर कपिल सांगवान उर्फ नंदू के आपराधिक सिंडिकेट से जुड़े हैं। कोर्ट ने विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अखंड प्रताप सिंह और जांच अधिकारी एसीपी नरेश की दलीलें सुनने के बाद यह निर्णय लिया। आरोपियों में रितिक उर्फ पीटर, रोहित उर्फ अन्ना, सचिन चिकारा, साहिल उर्फ पोली, विजय उर्फ कालू और ज्योति प्रकाश उर्फ बाबा शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि जांच की समयसीमा को ध्यान में रखते हुए हिरासत बढ़ाना जरूरी है। सभी आरोपियों को अब अगली पेशी तक जेल में रहना होगा।

विशेष लोक अभियोजक ने अदालत को बताया कि साहिल और विजय की जांच की समयसीमा 19 अप्रैल को समाप्त हो रही है, इसलिए उनकी हिरासत बढ़ाई जानी चाहिए। साथ ही कोर्ट को बताया गया कि आरोपी ज्योति प्रकाश उर्फ बाबा ने पुलिस हिरासत के दौरान मकोका के तहत अपना बयान दर्ज कराया है। वह गैंगस्टर कपिल सांगवान उर्फ नंदू का सगा भाई है और अपराध सिंडिकेट में उसकी भूमिका भी अहम रही है। इस मामले में दिल्ली पुलिस को नरेश बाल्यान के खिलाफ जांच पूरी करने के लिए पहले ही 60 दिन का अतिरिक्त समय मिल चुका है। एसपीपी ने कोर्ट को अवगत कराया कि यह समय 4 मई को समाप्त होगा। कोर्ट ने सभी दलीलों को गंभीरता से लेते हुए 23 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत बढ़ा दी। इससे पहले ज्योति प्रकाश को 6 दिन की पुलिस हिरासत भी मिल चुकी है।

कोर्ट को यह भी जानकारी दी गई कि रितिक उर्फ पीटर के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर पहले ही संज्ञान लिया जा चुका है। रोहित उर्फ अन्ना और सचिन चिकारा के खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल की गई है, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। यह दर्शाता है कि पुलिस ने अपनी जांच में ठोस सबूत और दस्तावेज तैयार किए हैं। अभियोजन पक्ष का मानना है कि इन सभी का आपराधिक सिंडिकेट में सीधा और गहरा संबंध है। आरोपियों की ओर से अधिवक्ता रोहित कुमार दलाल ने उनका पक्ष रखा और न्यायिक प्रक्रिया का पालन किया गया। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जांच के हित में हिरासत का विस्तार आवश्यक है। यह मामला संगठित अपराध से निपटने के लिए कानून के कठोर प्रावधानों के तहत आगे बढ़ रहा है।

नरेश बाल्यान को 4 दिसंबर 2024 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह न्यायिक प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं। उन पर संगठित अपराध को संरक्षण देने और उससे लाभ लेने के गंभीर आरोप हैं। पुलिस का दावा है कि बाल्यान और अन्य आरोपी नंदू गैंग के सक्रिय सदस्य हैं और उनकी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। दिल्ली पुलिस ने मकोका के तहत मामला दर्ज किया है, जो संगठित अपराधियों के खिलाफ सबसे सख्त कानूनी प्रावधानों में से एक है। अब तक की जांच में कई अहम खुलासे हो चुके हैं और पुलिस का कहना है कि मामले में और गिरफ्तारियां संभव हैं। अदालत भी इस मामले में गंभीर रुख अपनाए हुए है। केस की अगली सुनवाई में कुछ और नए तथ्यों के सामने आने की संभावना है।

यह मामला दिल्ली के संगठित अपराध के नेटवर्क को उजागर करने का एक बड़ा उदाहरण बनकर सामने आया है। गैंगस्टर कपिल सांगवान उर्फ नंदू की गतिविधियों पर पहले से ही कानून की नजर है और उसका नाम कई आपराधिक मामलों से जुड़ा है। इस सिंडिकेट से जुड़े राजनीतिक और अपराधी गठजोड़ पर पुलिस की पैनी निगाह है। मकोका जैसे कानून का इस्तेमाल यह दर्शाता है कि सरकार और जांच एजेंसियां अब संगठित अपराध को लेकर बेहद सख्त रुख अपनाए हुए हैं। कोर्ट के फैसले और पुलिस की तफ्तीश आने वाले समय में इस पूरे नेटवर्क की परतें खोल सकती हैं। अब सबकी नजर 23 अप्रैल की अगली सुनवाई पर है, जहां कुछ और खुलासे संभव हैं।


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