कल्पना कला केंद्र ने मनाया 48वां वार्षिक स्थापना दिवस, ‘भगवान’ थीम पर आधारित भव्य कार्यक्रम

टेन न्यूज नेटवर्क

नोएडा (14 अप्रैल 2025): सेक्टर-62 स्थित इन्डस वैली पब्लिक स्कूल के प्रांगण में कल्पना कला केंद्र का 48वां वार्षिक स्थापना दिवस समारोह अत्यंत धूमधाम से संपन्न हुआ। यह विशेष आयोजन बैसाखी के पावन अवसर पर रविवार की संध्या 6:30 बजे से आरंभ हुआ। केंद्र की निदेशक एवं नृत्यांगना डॉ. कल्पना भूषण द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम कला, संस्कृति और अध्यात्म का अद्वितीय संगम प्रस्तुत करता नज़र आया।

इस वर्ष का थीम था ‘भगवान’, जिसमें “भ” से भूमि, “ग” से गगन, “व” से वायु, “अ” से अग्नि और “न” से नीर – इन पांच पंचतत्वों के माध्यम से दर्शकों को भारतीय दर्शन और प्रकृति के गहरे संबंध को समझाने का प्रयास किया गया। यह विषयवस्तु संस्था की वरिष्ठ सदस्या और निर्देशिका सुपर्णा भूषण सूद की कल्पना थी, जिन्होंने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि इस विचार का बीजारोपण वर्ष 2023 में हुआ था, जिसे इस वर्ष पूर्ण रूप दिया गया।

संस्था का उद्देश्य और विरासत

कल्पना कला केंद्र, 48 वर्षों से भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को नृत्य, संगीत और शारीरिक फिटनेस के माध्यम से नई पीढ़ी तक पहुँचाने का कार्य कर रहा है। यह संस्था शास्त्रीय एवं लोक नृत्य, वादन, गायन और योग जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण देती है और अब तक हजारों विद्यार्थियों को प्रशिक्षित कर चुकी है। डॉ. कल्पना भूषण का योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जिन्होंने बच्चों में न केवल कलात्मक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित किया बल्कि उन्हें भारतीय संस्कृति से जोड़ने का भी प्रयास किया।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ: पंचतत्वों की जीवंत झलक

कार्यक्रम में कुल 100 बच्चों ने भाग लिया। पांचों तत्वों पर आधारित नृत्य-नाटिकाएं दर्शकों को अध्यात्म और प्रकृति के स्वरूप से जोड़ने में सफल रहीं। डॉ. कल्पना भूषण ने स्वयं रावण की भूमिका निभाते हुए एक सशक्त अभिनय प्रस्तुत किया, वहीं सुपर्णा भूषण ने ‘भूमि’ का चरित्र निभाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जटायु और रावण के युद्ध दृश्य ने प्रस्तुति को भावनात्मक गहराई प्रदान की।

मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति

इस सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान कैलाश अस्पताल की निदेशक डॉ. पल्लवी शर्मा ने प्रख्यात नृत्यांगना और कला साधिका डॉ. कल्पना भूषण के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा और प्रशंसा व्यक्त की। उन्होंने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, मैं यहां उपस्थित सभी जनों को नमन करती हूं और मुझे आमंत्रित करने के लिए आयोजकों का हृदय से धन्यवाद देती हूं। डॉ. कल्पना भूषण से मेरी अब तक दो-तीन बार ही मुलाकात हुई है, लेकिन उनमें एक ऐसी आत्मीयता और आकर्षण है, जो सामने वाले को सहज ही अपनी ओर खींच लेता है। वह न केवल बाहरी रूप से सुंदर हैं, बल्कि उनके अंदर की कला, भाव, और व्यक्तित्व भी अत्यंत प्रभावशाली है। इसी कारण मैं उनके प्रति विशेष निकटता और सम्मान की भावना रखती हूं।

आगे उन्होंने कहा कि डॉ. कल्पना भूषण पिछले 40 वर्षों से निरंतर भारतीय संस्कृति के एक अत्यंत महत्वपूर्ण लेकिन उपेक्षित पक्ष — नृत्य और संगीत — को संजोने और अगली पीढ़ियों तक पहुंचाने के कार्य में लगी हुई हैं। यदि इन सांस्कृतिक धरोहरों को आज की पीढ़ी तक नहीं पहुंचाया गया, तो वह समृद्ध विरासत, जिससे हम आए हैं, धीरे-धीरे खो जाएगी, डॉ. कल्पना के गुरु-शिष्य परंपरा को जीवंत बनाए रखने के प्रयासों की भी सराहना की और कहा कि वह बच्चों तक हमारी सांस्कृतिक जड़ों को पहुंचाने में जो भूमिका निभा रही हैं, वह अत्यंत सराहनीय है।

इस अवसर पर एक और महत्वपूर्ण पहल देखी गई, जब प्रयागराज से आए शिरोमणि वेलफेयर फाउंडेशन के प्रतिनिधि अनुराग अस्थाना विशेष अतिथियों को भेंट स्वरूप ‘रामलाल की मूर्ति’ लेकर आए। टेन न्यूज़ से खास बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि यह मूर्ति उनके एक नए वेंचर का हिस्सा है, जो कलाकारों (आर्टिस्ट्स) के उत्थान और उन्हें एक मंच देने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। उन्होंने बताया, हमने लखनऊ में ‘बियोंड बाउंड्रीज़’ नाम से एक स्टूडियो शुरू किया है, जहां हम आध्यात्मिकता से जुड़ी कलाकृतियां, विशेषकर मूर्तियां, तैयार करते हैं। इन मूर्तियों की मांग कॉर्पोरेट क्षेत्र में उपहार स्वरूप देने के लिए दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

शिरोमणि फाउंडेशन की गतिविधियों के बारे में बताते हुए अनुराग अस्थाना ने कहा, हम मूल रूप से चार मुख्य क्षेत्रों में काम करते हैं—शिक्षा, सामाजिक सेवा, कला एवं संस्कृति, और आध्यात्मिकता। हमारा पारिवारिक परिवेश भी हमेशा से सामाजिक कार्यों से जुड़ा रहा है, और विशेषकर हम कला और संस्कृति को संरक्षण देने की दिशा में कार्य करते हैं। उन्होंने यह भी साझा किया कि वर्ष 2017 में फाउंडेशन ने राम मंदिर का एक मॉडल तैयार किया था, जिसे अब तक लाखों लोगों को भेंट स्वरूप दिया जा चुका है। उन्होंने कहा, “रामलीला के आयोजन और रामलाल की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से हम ‘रामलाल की मूर्ति’ बनाकर श्रद्धालुओं और समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुंचा रहे हैं।”

समश उत्थान संस्था से आए योगेंद्र सिंहा और प्रीति देवी ने पंचतत्व में मूर्ति विसर्जन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जैसे शरीर मृत्यु के बाद पंचतत्व में विलीन होता है, वैसे ही भगवान की प्रतिमाओं का विसर्जन भी सम्मानपूर्वक होना चाहिए।

नवरतन अग्रवाल भी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे और उन्होंने बच्चों की प्रस्तुतियों की सराहना करते हुए कल्पना कला केंद्र की प्रशंसा की।

धन्यवाद ज्ञापन एवं समापन

कार्यक्रम का संचालन और संयोजन डॉ. अशोक श्रीवास्तव द्वारा किया गया। अंत में डॉ. कल्पना भूषण ने सभी अतिथियों, अभिभावकों, विद्यार्थियों और सहयोगियों को धन्यवाद देते हुए कहा,आज के इस विशेष दिन बैसाखी पर, जब सबके घरों में कार्य होते हैं, तब भी आप सभी का यहाँ आना मेरे और मेरे छात्रों के लिए एक वरदान है। यही सच्चा समर्थन और आशीर्वाद है जो हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

इस कार्यक्रम ने यह सिद्ध कर दिया कि जब कला, संस्कृति और अध्यात्म एक मंच पर मिलते हैं, तो वह आयोजन केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण बन जाता है।


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