दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में बंदी से कुकर्म, सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (11 अप्रैल 2025): दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट परिसर में एक कैदी के साथ हुए कुकर्म की शर्मनाक घटना ने जेल प्रशासन की कार्यशैली और सुरक्षा व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला तब सामने आया जब तिहाड़ जेल में बंद दो कैदियों को कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया। कोर्ट के खारजा परिसर स्थित शौचालय में एक कैदी ने दूसरे के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए और जान से मारने की धमकी दी। इस संवेदनशील घटना ने न केवल कैदियों की सुरक्षा पर चिंता जताई है, बल्कि कोर्ट परिसर में मौजूद निगरानी तंत्र की कमजोरी को भी उजागर किया है।
जानकारी के मुताबिक, पीड़ित कैदी को हत्या के प्रयास के मामले में मार्च महीने में गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेजा गया था। मूल रूप से यूपी के अलीगढ़ निवासी युवक की फिलहाल तिहाड़ जेल नंबर-4 में बंदी के रूप में पहचान हुई है। पांच अप्रैल को इसी केस की सुनवाई के लिए उसे तीस हजारी कोर्ट लाया गया था। आरोप है कि कोर्ट परिसर में जेल नंबर-3 में बंद एक अन्य कैदी ने पीड़ित के साथ पहले अभद्रता की और फिर उसे बातचीत के बहाने शौचालय में ले जाकर कुकर्म किया।
पीड़ित के अनुसार, आरोपी कैदी का जेल के भीतर दबदबा है, जिस वजह से उसने तुरंत शिकायत नहीं की। हालांकि, जेल वापसी के बाद उसने अपने साथियों को इस अमानवीय घटना के बारे में बताया। इसके बाद जेल प्रशासन को मामले की जानकारी दी गई और पीड़ित को इलाज के लिए डीडीयू अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां उसका बयान दर्ज करने के बाद पुलिस ने IPC की संबंधित धाराओं के तहत सब्जी मंडी थाने में मामला दर्ज कर लिया है।
इस घटना ने साफ कर दिया है कि न केवल जेलों में बल्कि कोर्ट में पेशी के दौरान भी बंदियों की सुरक्षा को लेकर भारी चूक हो रही है। कोर्ट परिसर जैसी सुरक्षित मानी जाने वाली जगह पर ऐसी घटना का घटित होना यह दर्शाता है कि निगरानी और बंदियों की देखरेख के लिए बनी व्यवस्था में गंभीर खामियां हैं। सवाल यह भी उठता है कि क्या ऐसे संवेदनशील मामलों में कैदियों को अलग रखने या विशेष निगरानी देने के लिए कोई दिशानिर्देश प्रभावी हैं?
फिलहाल पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और जेल प्रशासन से घटना से जुड़े सभी बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी गई है। वहीं मानवाधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए न्यायिक जांच की मांग की है। यह जरूरी है कि इस घटना को एक चेतावनी के तौर पर लिया जाए और देश की जेलों तथा न्यायालय परिसरों में बंदियों की सुरक्षा के लिए तत्काल सख्त कदम उठाए जाएं।यदि समय रहते ऐसा नहीं हुआ, तो तिहाड़ जैसी हाई-सेक्योरिटी जेल में भी बंदियों के मौलिक अधिकार और जीवन की सुरक्षा सवालों के घेरे में बनी रहेगी।
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