द्वारका में बिना अनुमति कटे 100 पेड़, वन विभाग ने CPWD और NII को भेजा नोटिस

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (11 अप्रैल 2025): राजधानी दिल्ली में हरियाली पर एक बार फिर मानव निर्मित हथौड़ा चला है। द्वारका सेक्टर-5 से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां करीब 100 पेड़ों को बिना किसी अनुमति के काट दिया गया। मामले की भनक लगते ही दिल्ली के वन और वन्यजीव विभाग ने सख्त रुख अपनाते हुए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) और राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (NII) को नोटिस जारी कर दिया है। विभाग को यह शिकायत एक स्थानीय नागरिक से मिली थी, जिसने बताया कि द्वारका के एक भूखंड पर मिनी-फॉरेस्ट जैसे हरित क्षेत्र को कुछ ही दिनों में पूरी तरह साफ कर दिया गया है।

वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, जिस जमीन पर पेड़ काटे गए हैं, वह एनआईआई की है, जबकि वहां निर्माण कार्य सीपीडब्ल्यूडी द्वारा कराया जा रहा था। दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम (DPPTA), 1994 के तहत, राजधानी में किसी भी एजेंसी को पेड़ काटने से पहले वन विभाग से लिखित अनुमति लेना अनिवार्य है। लेकिन इस मामले में न तो किसी ने अनुमति मांगी, और न ही विभाग ने किसी को अनुमति दी। इसके बावजूद वहां के पेड़ों को बेरहमी से काट दिया गया।

सूचना मिलते ही विभाग की एक टीम ने घटनास्थल पर जाकर निरीक्षण किया और पाया कि लगभग 100 पेड़ों को हटाया गया है। इनमें से कुछ पेड़ पतले और छोटे हो सकते हैं, इसलिए विभागc अब यह जांच कर रहा है कि ये पेड़ तकनीकी रूप से “पेड़” की श्रेणी में आते हैं या नहीं। डीपीटीए के अनुसार, किसी भी ऐसे लकड़ी वाले पौधे को पेड़ माना जाता है जिसकी शाखाएं कम से कम 5 सेमी व्यास की हों और जिसकी ऊंचाई जमीन से एक मीटर से ज्यादा हो।

निरीक्षण के दौरान वन विभाग ने निर्माण स्थल से एक अर्थमूवर मशीन भी जब्त की है। अधिकारियों ने बताया कि दोनों एजेंसियों को न सिर्फ प्रतिबंधात्मक नोटिस जारी किया गया है, बल्कि उनसे जल्द से जल्द इस अवैध कार्य के पीछे का स्पष्टीकरण भी मांगा गया है। अगर एजेंसियां संतोषजनक जवाब नहीं दे पातीं, तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

इस घटना ने न सिर्फ पर्यावरणप्रेमियों को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि एक बार फिर इस सवाल को भी जन्म दिया है कि विकास के नाम पर क्या हरियाली की बलि दी जा सकती है? खासकर तब जब दिल्ली जैसे प्रदूषण-ग्रस्त शहर में हर पेड़ जीवनदायिनी ऑक्सीजन का स्रोत माना जाता है। अब देखना होगा कि दिल्ली सरकार और संबंधित एजेंसियां इस मामले में कितनी गंभीरता से आगे बढ़ती हैं और दोषियों को क्या सज़ा मिलती है।


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